पॉलिटॉक्स ब्यूरो. अयोध्या में राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) और बाबरी मस्जिद जमीन विवाद फैसले (Ayodhya Case) का काउंटडाउन शुरू हो गया है, किसी भी वक्त आ सकता है फैसला. ऐसे में सम्भावित फैसले को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने मोर्चा संभाल लिया है. सतर्कता बरतते हुए अयोध्या में रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद से जुड़े सभी आयोजनों पर रोक लगा दी गयी है. सुरक्षा व्यवस्था को पहले से ओर सख्त करना शुरू कर दिया गया है. यहां तक की कोई भी व्यक्ति, समुह व संगठन राम जन्मभूमि एवं मस्जिद से जुड़े समारोह, पदयात्रा, जनसभा पर रोक लगा दी गयी है ताकि जनसमुदाय विशेष की धार्मिक भावनाएं आहत न हों. कई रास्तों को सील किया गया है. सोशल मीडिया पर भी पुलिस प्रशासन की पूरी नजर है. 28 दिसम्बर तक जिलेभर में धारा 144 सख्ती से लागू की गयी है.
चीफ जस्टिस आॅफ इंडिया (CJI) रंजन गोगोई की पांच सदस्यीय खंडपीठ ने 16 नवंबर तक इस मामले (Ayodhya Case) पर फैसले के लिए समय मांगा है. लेकिन माना जा रहा है कि अयोध्या मामले का फैेसला 9 नवंबर या फिर 11 नवंबर तक हर हाल में आ जाएगा. इस मामले में अंतिम सुनवाई 16 अक्टूबर को हुई थी. राम मंदिर फैसले पर अयोध्या ही नहीं बल्कि देशभर के हिंदू-मुस्लिम समुदाय की नजरें हैं.
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बेहद संवेदनशील माहौल को देखते हुए अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने सोशल मीडिया मैसेज और पोस्टर पर रोक लगा दी है. कोई भी अयोध्या विवाद, राम मंदिर या बाबरी मस्जिद से जुड़ा मैसेज न तो सोशल मीडिया पर शेयर कर पाएगा और न ही कोई पोस्टर लगाया जाएगा. झा ने कहा कि अयोध्या, मंदिर, मस्जिद या फिर सांप्रदायिक कमेंट सोशल मीडिया पर बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे. अगर लोग अपने व्हाट्सएप्प, फेसबुक टि्वटर इंस्टाग्राम या दूसरे अन्य सोशल मीडिया ग्रुप पर आपत्तिजनक पोस्ट या कमेंट लिखते हुए पाए जाएंगे तो उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट के आखिरी फैसले के पहले अयोध्या प्रशासन ने नया सर्कुलर भी जारी किया है. अयोध्या के साथ मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी अगले दो माह के लिए धारा 144 जारी की गयी है. जिले में जुलूस और प्रदर्शन पर रोक है. यहां तक की कोई भी व्यक्ति बिना पुलिस को सुचना दिए पेइंग गेस्ट नहीं रख सकेगा. होटल, लॉज और धर्मशाला में रूकने वालों की जानकारी भी पुलिस को देनी होगी. बैनर-पोस्टर का इस्तेमाल भी वर्जित है. 28 दिसंबर तक अयोध्या में सभी तरह के सार्वजनिक कार्यक्रम, राजनैतिक धार्मिक-सामाजिक रैलियां, वॉल पेंटिंग जलसे और जुलूस पर रोक रहेगी.
अयोध्या में तो पहली बार सार्वजनिक स्थान से लेकर लोगों के घर तक निषेधज्ञा के दायरे में आए हैं. हनुमानगढ़ी के रास्ते रामलला को जाने वाले दर्शन मार्ग के अलावा अन्य सभी मार्गों से श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगायी गयी है. इस भी रास्तों को आने वाले कुछ दिनों में पूरी तरह सील किया जाएगा. सुरक्षा व्यवस्था को कड़ी करते हुए आसपास रहने वाले नागरिकों और फेरी/प्रसाद बेचने वालों का सत्यापन कर परिचय पत्र दिए जाएंगे. इसके लिए सभी के फोटो व आधार कार्ड जमा किए जा रहे हैं. यलो जोन की सुरक्षा में पैरामिलिट्री फोर्स भी लगायी जा चुकी है.
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अयोध्या में कोई भी शख्स किसी भी तरह के हथियार, चाहे वे लाइसेंसी हथियार ही क्यों ना हो, लेकर अयोध्या में नहीं चल सकता. सिर्फ सरकारी लोग ही अपने सरकारी हथियारों के साथ अयोध्या के भीतर आ सकेंगे. पूरे जिले में धारा 144 लागू रहेगी और अगर कोई भी इसका उल्लंघन करता पाया गया तो आईपीसी के 188 के तहत उन पर कार्रवाई की जाएगी. मीडिया पर भी पाबंदियां लगायी गयी हैं. मीडिया को सभी तरह के आपत्तिजनक और भड़काऊ लोगों को अलग रखना होगा. कार्यक्रमों में आपत्तिजनक भाषा, भड़काऊ भाषा आदि पर बैन होगा. बिना अनुमति के डिबेट आयोजित नहीं किए जा सकेंगे.
आरएसएस ने अयोध्या मामले (Ayodhya Case) पर फैसले को लेकर अपने सदस्यों को एडवाइजरी जारी की है. संघ परिवार से जुड़े प्रचारकों को यह भी एडवाइजरी दी गई है कि अगर फैसला हिंदू पक्ष में आता है तो जश्न मनाते वक्त कभी भी सीमाएं ना तोड़ी जाए, जिससे दूसरे धर्मों के लोगों को असहज महसूस हो. आरएसएस के अनुसार, राम मंदिर निर्माण के लिए अबतक करीब 76 से ज्यादा लड़ाइयां लड़ी गई हैं. कोर्ट के द्वारा लड़ी जा रही है 77वीं लड़ाई है. इस 77वीं लड़ाई के बाद फैसला पक्ष में आए या विपक्ष में, सभी को इसे बड़े दिल से स्वीकार करना चाहिए. आरएसएस की कोशिश है कि राम मंदिर पर पक्ष में फैसला आए तो हिन्दू समाज उत्सव तो मनाए लेकिन उस उत्सव से भारत के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बिल्कुल भी ठेस ना पहुंचे.