पंचायत चुनाव में कांग्रेस की पुरानी रणनीति- जो जीता वो होगा ‘सिकंदर’, यानी बागी जीते तो लगाएंगे गले

नाम वापसी के बाद अब पंचायत चुनाव की तस्वीर साफ, कांग्रेस की रणनीति, जहां एक से ज्यादा उम्मीदवार वहां नहीं दिया गया सिंबल, जो जीतेगा वहीं कांग्रेस का सिकंदर, बागियों पर नहीं चलेगा अनुशासन का डंडा! 78 पंचायत समितियों के लिए 6537 वैलिड नामांकन में से 1338 उम्मीदवारों ने नाम लिए वापस

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Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान के 6 जिलों में होने जा रहे पंचायत चुनाव के रण में योद्धाओं की तस्वीर अब साफ हो गई है, नाम वापसी का समय निकल चुका है. अब मान मनोव्वल का दौर खत्म हो चुका है. पंचायत चुनाव में बागियों से परेशान सत्ताधारी कांग्रेस अपना पुराना फॉर्मूला ही अपनाएगी. कांग्रेस ने तय किया है कि मैदान में बागी बनकर ताल ठोंकने वालों पर कार्रवाई नहीं की जाएगी, बल्कि अगर वे जीत जाएंगे तो पार्टी उन्हें गले लगाएगी. साथ ही जिला प्रमुख और प्रधान बनाने में उनकी मदद ली जाएगी.

बागी जीता तो लगाया जाएगा गले!
आपको बता दें, राजस्थान में 6 जिलों जयपुर, जोधपुर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, सिरोही और दौसा जिलों में पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्यों के लिए नाम वापसी का कल अंतिम दिन था. तमाम मान-मनुहार के बाद भी कांग्रेस और भाजपा के कई बागी अभी भी मैदान में डटे हुए हैं. तस्वीर साफ होने के बाद भी लगभग हर सीट पर कांग्रेस या भाजपा का एक प्रत्याशी बगावत कर चुनाव लड़ रहा है. लेकिन कांग्रेस पार्टी ने यह तय किया है कि जीतकर आने वाले बागी प्रत्याशी को पार्टी गले लगाएगी और प्रधान व जिला प्रमुख चुनने में मदद लेगी. यानी कांग्रेस पार्टी बागियों पर कार्रवाई करने से बचेगी. क्योंकि अगर पार्टी बागियों पर नाम वापस नहीं लेने पर कार्रवाई करती तो बागियों के दूसरी पार्टी के साथ गठजोड़ करने का डर रहता. यही कारण है कि पार्टी ने बागियों पर कार्रवाई नहीं करने का फैसला लिया.

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जो जीतेगा वहीं कांग्रेस का सिकंदर!
ऐसा नहीं है कि कांग्रेस पार्टी ने पहली बार यह निर्णय लिया है. बल्कि कांग्रेस पार्टी इससे पहले वर्ष 2020 में 20 जिलों में पंचायती राज चुनाव और प्रदेश में हुए नगर निकाय व निगम चुनाव में भी ऐसा कर चुकी है. बागियों पर कार्रवाई नहीं करने के पीछे एक कारण यह भी है कि कांग्रेस पार्टी ने जान-बूझकर उन सीटों पर सिंबल नहीं दिये थे जिन पंचायत समितियों और जिला परिषद की सीटों पर एक से ज्यादा प्रत्याशी थे. ऐसे में पार्टी ने नेताओं को यह संदेश दे दिया कि जो जीतेगा वह कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने का काम करेगा. मतलब साफ है जो जीतेगा वहीं होगा सिंकंदर..!

कुल 1,338 प्रत्याशियों ने लिए नाम वापस
प्रदेश की 78 पंचायत समितियों के लिए 6537 वैलिड नामांकन में से 1338 उम्मीदवारों ने नाम वापस लिए हैं. 26 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिनके सामने एक भी उम्मीदवार मैदान में नहीं बचा तो उन्हे निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया. जिला परिषद सदस्यों की बात करें तो 6 जिलों में 200 सीटों के लिए 1,092 उम्मीदवार मैदान में आए थे. इनमें से 299 उम्मीदवारों के आवेदन रिजेक्ट कर दिए, जबकि 139 ने खुद नाम वापस ले लिया. जोधपुर जिला परिषद में एक उम्मीदवार निर्विरोध जीत गया. अब 199 सीटों के लिए कुल 653 उम्मीदवार मैदान में बचे है.

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जयपुर में 11 प्रत्याशियों ने वापस लिए नाम
बात करें जयपुर जिला परिषद की स्थिति देखें तो यहां 51 वार्डों के लिए 16 अगस्त नामांकन के आखिरी दिन तक कुल 170 उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र भरे थे. इसमें से 31 उम्मीदवारों के नामांकन पत्र 17 अगस्त को जांच प्रक्रिया के दौरान निरस्त हो गए थे. नामांकन वापसी के आखिरी दिन कुल 11 प्रत्याशियों ने नाम वापस ले लिए हैं. इस तरह कुल मिलाकर अब कुल 128 उम्मीदवार मैदान में बचे हैं. इनमें वार्ड संख्या 1, 4, 16, 21, 22, 30, 31, 32, 34, 39, 40,45 और 46 में तो सीधी टक्कर है.

तीन चरणों में होगी वोटिंग
आपको बता दें, जयपुर के अलावा भरतपुर, दौसा, सवाई माधोपुर, जोधपुर और सिरोही हैं. जिला परिषद सदस्यों के लिए तीन चरण में 26 अगस्त, 29 अगस्त और 1 सितंबर को वोटिंग होगी. वोटिंग की काउंटिंग 4 सितंबर को सुबह 9 बजे से जिला मुख्यालय पर होगी. जिला प्रमुख और पंचायत समितियों में प्रधान के चुनाव के लिए नामांकन 6 सितंबर को सुबह 10 से 11 बजे तक भरे जाएंगे. उसी दिन सुबह 11:30 बजे नामांकन पत्रों की जांच होगी. दोपहर एक बजे तक उम्मीदवार अपना नाम वापस ले सकेंगे. एक से अधिक उम्मीदवार होने पर उसी दिन दोपहर 3 से शाम 5 बजे तक वोटिंग होगी.शाम 5 बजे वोटिंग पूरी होने के बाद काउंटिंग कर परिणाम घोषित किया जाएगा. इसी तरह प्रक्रिया जिला परिषद में उप प्रमुख और पंचायत समितियों में उप प्रधान के चुनाव के लिए 7 सितंबर को होगी.

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