अर्थव्यवस्था को लेकर कांग्रेस ने खोला मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा

भारतीय अर्थव्यवस्था की गिरती हालत पर अब बीजेपी-कांग्रेस आमने सामने हो गयी हैं. इंडियन इकॉनोमी के ताजा और सोचनीय हालातों पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. तीनों ने सोशल मीडिया पर अपने तीखे कमेंट से मोदी 2.0 सरकार पर तेज प्रहार किए. मोदी सरकार की इस भारी असफलता को पूर्व वित्तमंत्री और यूपीए सरकार में गृहमंत्री रहे पी.चिदंबरम से भी जोड़ा जा रहा है. कांग्रेस के आला नेताओं का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था की लगातार गिरती हालातों को छिपाने और जनता का ध्यान भटकाने के लिए ही चिदंबरम पर ये कार्यवाही हुई है.

हालांकि शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारण ने जनता को देश की अर्थव्यवस्था पर भरोसा दिलाने की कोशिश करते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था के ताजा हालात पर सरकार के कदमों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि दुनियाभर के देशों की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था फिलहाल बेहतर हालात में है. देश की आर्थिक वृद्धि दर भी कई देशों की तुलना में ऊंची है. लेकिन चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर की वजह से अर्थव्यवस्था पर उसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है लेकिन सरकार इसे संभालने की दिशा में काम कर रही है. उन्होंने ये भी कहा कि जीएसटी रिफंड के सभी लम्बित पड़े मामलों को अगले एक महीने में निपटा दिया जाएगा. इसके बावजूद कांग्रेस नेताओं के बेतहाशा प्रहारों में कमी नहीं आ रही.

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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने ट्वीटर हैंडल पर कई प्रमुख मीडिया संस्थाओं की रिपोर्ट का हवाला देकर मोदी सरकार से दिए गए सभी सवालों का जवाब मांगा है. ट्वीट पर उन्होंने पोस्ट किया, ‘भाजपा सरकार को अब देश को साफ-साफ बताना चाहिए कि अर्थव्यवस्था की दुर्दशा ऐसी क्यों हो रही है? व्यापार टूट रहा है, उद्योग डगमगा रहे हैं, रुपया कमजोर होता जा रहा है, नौकरियां खत्म हो रही हैं. इससे हो रहे नुकसान की भरपाई कौन करेगा?’

इससे पहले भी प्रियंका ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा, ‘अभी तक औद्योगिक संस्थाएं विज्ञापन देती थीं कि हम आगे बढ़ रहे हैं. लेकिन अब भाजपा सरकार के शासन में कईयों को विज्ञापन देकर कहना पड़ रहा है कि हम डूब रहे हैं, हमें बचाओ.’


इसके अलावा पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी को लेकर भी प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया है.


वहीं कांग्रेस नेता और पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘सरकार के स्वयं के आर्थिक सलाहकारों ने आखिरकार स्वीकार किया कि हमने लंबे समय तक क्या सावधानी बरती है – भारत की अर्थव्यवस्था एक गहरी गड़बड़ी में है. अब, हमारे समाधान को स्वीकार करें और जरूरतमंदों के हाथों में पैसा वापस करके अर्थव्यवस्था को फिर से संगठित करें.’ दरअसल उन्होंने इशारों-इशारों में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार के उस बयान की ओर संकेत किया जिसमें राजीव कुमार ने कहा था, ‘देश की अर्थव्यवस्था 70 सालों में सबसे खराब दौर में है. इसके लिए नोटबंदी और जीएसटी जिम्मेदार है. गंभीर आर्थिक संकट को देखते हुए और कदम उठाने की जरूरत है.’


कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी अपने ट्वीट के जरिए केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण पर सीधा निशाना साधा. उन्होंने अपना ट्वीट वित्तमंत्री को समर्पित करते हुए कहा, ‘वित्त मंत्री जी, अर्थव्यवस्था की जो भयानक दुर्दशा भाजपा ने की है, उस पर सरकारी पॉवर पाईंट की 32 स्लॉईडों से पर्दा नहीं डल सकता. देश मंदी से झूझ रहा है. मोदी सरकार पहले बजट में आधा अधूरा रोलबैक कर रही है. GDP औंधे मुंह लुढ़क रहा है और NPA दिन-रात ऊफान पर है पर पर ठोस हल कहां है?’


सुरजेवाला इससे पहले भी पीएम मोदी पर इंडियन इकॉनोमी को लेकर कटाक्ष कर चुके हैं. अपने ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘अगर मोदीजी ने अर्थव्यवस्था को अपनी पसंद, विदेशी परेड और जंगल फोटो शूट पर प्राथमिकता दी होती तो यह दिन नहीं आता.’ दरअसल उन्होंने इस ट्वीट के जरिए प्रधानमंत्री के मेन इक वाइल्ड कार्यक्रम में भाग लेने को लेकर चुटकी ली.


एक अन्य ट्वीट में सुरजेवाला ने कहा कि चौपट अर्थव्यवस्था से एक दिन में निवेशकों के 2,00,000 करोड़ डूब जाते हैं. उद्यमी रोज आंसू बहाते हैं लेकिन बर्बादी के मंज़र पर भाजपाई चुप्पी साध जाते हैं. यही हैं अच्छे दिन पार्ट 2.0?’

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अर्थव्यवस्था को लेकर मोदी सरकार पर तंज कसा. उन्होंने मीडिया को बताया, ‘एफएम द्वारा कल घोषित किए गए उपाय केवल एक चेहरा बचाने की कवायद है. ये कदम अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अपर्याप्त हैं. विभिन्न क्षेत्रों के सामने आने वाली समस्याओं पर गौर करने की जरूरत है. उन्हें मंदी, धीमी वृद्धि, कम बिक्री और इतने पर लाने के लिए अलग से उपायों की घोषणा करें.’

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