मध्य प्रदेश में 29 में से पांच सीटों पर कांग्रेस ने मतदान से पहले ही हार मान ली है. इसकी बड़ी वजह इन सीटों पर सपा-बसपा का जनाधार है. पिछले लोकसभा चुनाव में इन सीटों पर सपा और बसपा ने कांग्रेस का खेल खराब कर दिया था. इस बार यह नुकसान और ज्यादा होने की के कयास लगाए जा रहे हैं, क्योंकि सपा-बसपा एक साथ मैदान में हैं. कांग्रेस के नेता दबे हुए स्वर में यह स्वीकार करते हैं कि मायावती और अखिलेश यादव के गठबंधन को मध्यप्रदेश में जितने भी वोट मिलेंगे यह उनके वोट बैंक में सेंधमारी होगी.
2014 के चुनाव नतीजों को आधार बनाएं तो मध्यप्रदेश की मुरैना, रीवा, सतना, बालाघाट और ग्वालियर सीट पर कांग्रेस को सपा-बसपा के गठबंधन से खतरा है. ये पांचों सीटें उत्तर प्रदेश से सटी हुई हैं और यहां बसपा और सपा समर्थकों की कमी नहीं है. विशेष तौर पर मायावती के समर्थक इन सीटों पर काफी संख्या में हैं. हालांकि बसपा का मध्य प्रदेश में लोकसभा सीटें जीतने का रिकॉर्ड अच्छा नहीं है. 2009 में बसपा ने एक सीट जीती थी जबकि 1996 में 2 और 1991 में एक सीट पर फतह हासिल की. सपा ने अभी तक मध्यप्रदेश में एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं की है.
2014 के लोकसभा चुनाव में सूबे की मुरैना सीट पर बसपा के प्रत्याशी वृंदावन सिंह सिकरवार दूसरे नंबर पर रहे. बीजेपी प्रत्याशी अनूप मिश्रा इस सीट से महज 1,32,981 वोट से जीते जबकि कांग्रेस के गोविंद सिंह को 1,84,253 वोट मिले. रीवा सीट पर बसपा ने कांग्रेस का खेल खराब किया. बसपा के प्रत्याशी देशराज सिंह पटेल को 1,75,567 वोट मिले जबकि कांग्रेस प्रत्याशी सुंदरलाल तिवारी 1,68,726 वोटों से हारे.
सतना सीट पर कांग्रेस 2014 के चुनाव में सबसे कम अंतर से हारी थी. पार्टी के उम्मीदवार अजय सिंह को बीजेपी के गणेश सिंह ने 8,688 वोट से हराया जबकि इस सीट पर बसपा के प्रत्याशी धर्मेंद्र सिंह तिवारी ने 1,24,602 वोट हासिल किए. बालाघाट सीट की बात करें तो 2014 के चुनाव में कांग्रेस की हिना कावरे यहां से 96,041 वोट से हारीं जबकि सपा प्रत्याशी अनुभा मुंजारे को 99,395 वोट मिले. ग्वालियर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी अशोक सिंह को बीजेपी प्रत्याशी नरेंद्र सिंह तोमर के मुकाबले 29,700 वोट कम प्राप्त हुए जबकि बसपा के आलोक शर्मा को 68,196 वोट मिले.
हालांकि कांग्रेस इससे इंकार करती आ रही है प्रदेश में सपा और बसपा का गठजोड़ उसे कोई नुकसान पहुंचाएगा. इसके पीछे वे यह तर्क देते हैं विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने बसपा और सपा के साथ गठबंधन नहीं किया फिर भी पार्टी का जीत हासिल हुई. कांग्रेस नेताओं का दावा है कि विधानसभा चुनाव की तरह ही लोकसभा चुनाव में भी पार्टी की जीत होगी.