Wednesday, January 15, 2025
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गंगा-तीस्ता जल बंटवारे पर बंगाल और केंद्र सरकार में टकराव: ममता ने क्यों जताई नाराजगी?

30 साल से भी ज्यादा पुराना है गंगा जल बंटवारा मुद्दा जबकि तीस्ता मास्टर प्लान का सुरक्षित रास्ता तलाश कर रही है बांग्लादेश सरकार, भारत यात्रा के दौरान बांग्लादेश पीएम की प्रधानमंत्री मोदी के साथ हुई थीं उक्त मुद्दों पर चर्चा

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पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार ने भारत-बांग्लादेश के बीच गंगा और तीस्ता नदी के जल बंटवारे को लेकर हुई बातचीत पर नाराजगी जताई है. इस मसले पर पीएम नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के बीच तब बातचीत हुई, जब पड़ौसी देश की प्रधानमंत्री शेख हसीना 21 जून को दो दिनों के लिए भारत दौरे पर आई थीं. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी कई मुद्दों पर बातचीत हुई. दोनों प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय बैठक में तीस्ता नदी के संरक्षण और प्रबंधन और 1996 की गंगा जल संधि के नवीनीकरण पर भी चर्चा की थी. अब इस बैठक पर नाराजगी जाहिर करते हुए ​पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने गंगा और तीस्ता नदी के जल बंटवारे को लेकर हुई बातचीत पर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा है कि इस बातचीत में राज्य सरकार को आमंत्रित नहीं किया गया जबकि पश्चिम बंगाल का बांग्लादेश के साथ भौगोलिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से बहुत करीबी रिश्ता है.

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखा है. इसमें ममता ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि राज्य सरकार से पूछे बिना इस तरह की एकतरफा बातचीत हमें मंजूर नहीं है. हालांकि ममता के आरोपों पर केंद्र सरकार ने जवाब देते हुए कहा है कि तीस्ता जल बंटवारे और फरक्का संधि को लेकर बांग्लादेश के साथ केंद्र की चर्चा के बारे में पश्चिम बंगाल सरकार को जानकारी दी गई थी. ऐसे में राज्य सरकार और केंद्र के बीच एक बार फिर से टकराव की स्थिति बनते दिख रही है.

क्या है गंगा और तीस्ता जल बंटवारे का मुद्दा?

भारत ने 1975 में गंगा नदी पर फरक्का बैराज का निर्माण किया था, जिस पर बांग्लादेश ने नाराजगी जताई थी. इसके बाद दोनों देशों के बीच 1996 में गंगा जल बंटवारा संधि हुई थी. यह संधि सिर्फ 30 सालों के लिए थी, जो अगले साल खत्म होने वाली है. बांग्लादेश, भारत से तीस्ता मास्टर प्लान को लेकर भी बातचीत कर सकता है. तीस्ता मास्टर प्लान के तहत बांग्लादेश बाढ़ और मिट्टी के कटाव पर रोक लगाने के साथ गर्मियों में जल संकट की समस्या से निपटना चाहता है. तीस्ता मास्टर प्लान के लिए चीन लंबे समय से बांग्लादेश को कर्ज देने की कोशिश कर रहा है लेकिन भारत की नाराजगी की वजह से ये डील नहीं हो पाई है. शेख हसीना इसके लिए भी कोई रास्ता तलाशने की कोशिश कर रही हैं.

क्या कहना है केंद्र का मुद्दे पर

पश्चिम बंगाल के आरोपों का खंड़न करते हुए केंद्र ने कहा है कि तीस्ता जल बंटवारे और फरक्का संधि को लेकर बांग्लादेश के साथ केंद्र की चर्चा के बारे में पश्चिम बंगाल सरकार को जानकारी दी गई थी. सूत्रों के अनुसार, केंद्र ने 24 जुलाई 2023 को बंगाल सरकार को लेटर लिखा था. उसने फरक्का में जल बंटवारे पर 1996 की संधि की आंतरिक समीक्षा को लेकर कमेटी के लिए बंगाल सरकार को अपने एक अधिकारी को नॉमिनेट करने को कहा था.उसी साल 25 अगस्त में बंगाल सरकार ने कमेटी के लिए राज्य के चीफ इंजीनियर (डिजाइन और अनुसंधान), सिंचाई और जलमार्ग को नॉमिनेट करने की सूचना दी. इस साल 5 अप्रैल को बंगाल सरकार के जॉइंट सेक्रेटरी (कार्य, सिंचाई और जलमार्ग विभाग) ने फरक्का बैराज से अगले 30 सालों के लिए पानी छोड़ने की मांग की थी.

जल बंटवारे पर चर्चा से नाराज सीएम ममता

इधर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गंगा और तीस्ता नदी के जल बंटवारे को लेकर हुई चर्चा पर आपत्ति जताई है. ममता का कहना है कि पश्चिम बंगाल ने अतीत में बांग्लादेश के साथ कई मुद्दों पर सहयोग किया है. इनमें भारत-बांग्लादेश एनक्लेव के एक्सचेंज पर समझौता, दोनों देशों के बीच रेल-बस कनेक्टिविटी जैसे काम मील के पत्थर साबित हुए हैं. हालांकि, पानी बहुत कीमती है और लोगों की लाइफलाइन है. हम ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर समझौता नहीं कर सकते क्योंकि तीस्ता और फरक्का जल बंटवारे को लेकर समझौतों से बंगाल के लोगों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा.

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सीएम ममता ने ये भी कहा कि पिछले कुछ सालों में तीस्ता में पानी का प्रवाह कम हो गया है. अगर बांग्लादेश के साथ पानी साझा किया गया, तो सिंचाई के लिए पानी की कमी होगी. इससे उत्तरी बंगाल के लाखों लोग प्रभावित होंगे. वे लोग पीने के पानी के लिए भी तीस्ता जल पर निर्भर हैं. उन्होंने कहा कि मैं बांग्लादेश के लोगों से प्यार और उनका सम्मान करती हूं. मैं हमेशा उनकी भलाई की कामना करती हूं, लेकिन बंगाल सरकार के बिना बांग्लादेश के साथ तीस्ता जल बंटवारे और फरक्का संधि पर कोई चर्चा नहीं की जानी चाहिए.

ममता ने कहा कि पश्चिम बंगाल में लोगों का हित सर्वोपरि है, जिससे किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाना चाहिए. अब देखना ये है कि केंद्र पश्चिम बंगाल सरकार के इन जवाबों से सहमत होता है या नहीं. हालांकि बीच का कोई रास्ता निकालने की जद्दोजहद के बीच राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच एक बार फिर से तीव्र टकराव की आशंका बनते दिख रही है.

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