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भारत की राजनीति के इतिहास में अब तक लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव सर्व सम्मति से ही हुआ है. परन्तु इस बार स्थितियां काफी विकट हैं. सदन में विपक्ष अब तक का सबसे मजबूत विपक्ष बनकर बैठा है. हालांकि बहुमत अभी भी एनडीए के पास ही है लेकिन सरकार की हर बात को नकारने का दम इस बार विपक्ष रखता है. सदन की मर्याओं के विपरीत जाते हुए बीजेपी ने इस बार प्रोटेम स्पीकर का पद अपनी ही पार्टी के सांसद को लेकर ऐसा माहौल बना दिया है कि अब विपक्ष भी आरपार की लड़ाई लड़ने और सत्ताधारी दल की हर बात की काट करने को तैयार है. इसके चलते 18वीं लोकसभा सदन में पहली लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव भी होते हुए नजर आ रहा है. अब से पहले आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ है.

दरअसल, आठ बार के सांसद और सबसे वरिष्ठ लोकसभा सदस्य होने के नाते परंपराओं के अनुसार, कांग्रेस सांसद कोडिकुन्निल सुरेश को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाना चाहिए था. लेकिन एनडीए ने सात बार के सांसद और बीजेपी नेता भर्तृहरि महताब को लोकसभा का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है. सत्ताधारी दल के इस निर्णय का विरोध सभी तरफ से किया जा रहा है. स्वयं के.सुरेश ने कहा कि यह निर्णय देश में संसदीय लोकतंत्र को खतरे में डालने के समान है.

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उन्होंने यह भी कहा कि यह दर्शाता है कि बीजेपी संसदीय प्रक्रियाओं को दरकिनार करना जारी रखेगी या अपने हितों के लिए उनका इस्तेमाल करेगी, जैसा कि उसने पिछले दो कार्यकाल में किया था. निर्णय यह भी दर्शाता है कि बीजेपी विपक्ष का अपमान करती रहेगी, उसके अवसर छीनती रहेगी और उसे वह मान्यता नहीं देगी, जिसकी वह हकदार है.

वहीं केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने संसदीय परंपराओं का कथित उल्लंघन करते हुए भर्तृहरि महताब को लोकसभा का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने के केंद्र के फैसले को आपत्तिजनक बताया. विजयन ने कहा कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि लोकसभा में सबसे वरिष्ठ सांसद सुरेश को परंपरा के अनुसार इस पद के लिए क्यों नहीं चुना गया? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी सत्ताधारी दल के इस निर्णय की आलोचना की है.

सदन की परंपरा के अनुसार, सबसे अधिक कार्यकाल पूरा करने वाले सांसद को पहले दो दिनों के लिए प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाता है, जब सभी नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाई जाती है. हालांकि संविधान में लिखित में इसका कहीं जिक्र नहीं किया गया है लेकिन सदन की कार्यकारी पुस्तक में इसका जिक्र है. 18वीं लोकसभा में बीजेपी के वीरेंद्र कुमार सबसे वरिष्ठ सांसद हैं लेकिन अब वे केंद्रीय मंत्री हैं. ऐसे में 8 बार के सांसद के.सुरेश ही इस सम्मान के दावेदार थे. इसके विपरीत जाते हुए एनडीए ने 7 बार सांसद रह चुके भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया है. वह 6 बार बीजेडी सांसद रहे और अब बीजेपी सांसद हैं.

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इधर, विपक्ष को घेरते हुए संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने दावा किया कि के.सुरेश आठ बार के सांसद हैं, लेकिन 1998 और 2004 में वह लोकसभा के सदस्य नहीं थे. ऐसे में वह लगातार सांसद नहीं रहे हैं. पिछले उदाहरणों का हवाला देते हुए संसदीय कार्य मंत्री ने दावा किया कि एनडीए सरकार ने 2004 में वरिष्ठता सिद्धांत की अनदेखी कर 8 बार के सांसद बाला साहेब विखे-पाटिल को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया था, जबकि जॉर्ज फर्नांडिस 9 बार के लोकसभा सदस्य थे.

हालांकि कांग्रेस एवं समस्त विपक्ष इस तर्कबाजी में नहीं पड़ना चाह रहा है और एकजुट होकर स्पीकर के चुनाव की मांग करने की तैयारी में है. शायद यही वजह है कि लोकसभा अध्यक्ष के नाम का निर्णय करने में एनडीए भी समय लगा रहा है. बीजेपी की ओर से ओम बिड़ला का नाम करीब करीब फाइनल है लेकिन जदयू एवं टीडीपी को भी संतुष्ठ करना आवश्यक है. वहीं अगर विपक्ष भी स्पीकर की दौड़ में किसी उम्मीदवार को खड़ा करता है तो परिस्थितियां थोड़ी सी बदल सकती हैं. अगर जदयू एवं टीडीपी की ओर से कोई जालबाजी नहीं हो तो विपक्ष की आवाज एनडीए के बहुमत के चलते सदन की दीवारों के बीच दबकर रह जाएगी और ऐसा होना स्वभाविक भी है.

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