Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश भाजपा में पार्टी विरोधी बयानबाज़ी करने वाले बाबोसा और बाऊजी के चेले और वसुधंरा राजे के कट्टर समर्थक पूर्व मंत्री रोहिताश्व शर्मा के निष्कासन का मामला जबरदस्त चर्चा का विषय बना हुआ है. सियासी गलियारों इस निष्कासर को लेकर कई सवाल गूंज रहे हैं. प्रदेश नेतृत्व के इस सख्त रुख के बाद क्या पहले से चली आ रही गुटबाज़ी और तूल पकड़ेगी या फिर शांत हो जायेगी? क्या शिशुपाल ने 100वीं गलती मोदी जी पर बयान देकर की, क्या जल्द ही हो सकता है बीजेपी में बड़ा घमासान, क्या होगा वसुंधरा राजे कैंप का अगला दांव? क्या रोहिताश्व शर्मा के बाद और भी शिशुपालों पर कार्रवाई होगी? हालांकि पूर्व मंत्री पर चले अनुशासन के डंडे के बाद की परिस्थितियों पर कई तरह के कयास और अटकलें लगाई जा रही हैं.
इन सबके बीच निष्कासन झेल रहे पूर्व मंत्री रोहिताश्व शर्मा ने इस कार्रवाई के खिलाफ केंद्रीय संगठन के समक्ष अपनी बात रखने की बात कही है. रोहिताश्व ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक से मिलने की बात कही है, रोहिताश्व शर्मा ने केंद्रीय संगठन से क्लीन चिट मिलने की उम्मीद भी जताई है.
रामलाल शर्मा और रोहिताश्व शर्मा हुए आमने-सामने!
पूर्व मंत्री रोहिताश्व के निलंबन से पहले शनिवार को दिनभर पार्टी के भीतर ही बयानबाजी का दौर चला भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने शर्मा को अनर्गल बयानबाजी मामले में निलंबन की मांग की थी. इस पर रोहिताश्व शर्मा ने भी भाजपा के मुख्य प्रवक्ता रामलाल शर्मा के बयान पर पलटवार कर उन्हें बच्चा बताया.
विधायक रामलाल शर्मा ने की थी कार्रवाई की मांग
बीजेपी प्रवक्ता औऱ विधायक रामलाल शर्मा ने कहा कि कुछ नेताओं की उत्पत्ति परिस्थितियों के कारण हुई है जो पार्टी की रीति, नीति और विचारधारा के आधार पर आगे नहीं बढ़ पाए. रोहिताश्व शर्मा इसी प्रकार के नेता हैं. इनकी उत्पत्ति तत्कालीन परिस्थितियों के आधार पर हुई. शर्मा पार्टी संगठन के विरूद्व जाकर पार्टी के प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे हैं. अमुख नेता व कार्यकर्ता कितना ही बड़ा हो मर्यादा में रहना चाहिए. प्रदेश नेतृत्व को सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई करके कार्यकर्ताओं के लिए नजीर पेश करनी चाहिए.
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क्या मोदी पर टिप्पणी रोहिताश्व शर्मा को पड़ी भारी!
सूत्रों की माने तो विधायक राम लाल शर्मा के बयान पर पूर्व मंत्री रोहिताश्व शर्मा ने पलटवार किया था और इस बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी लपेट लिया था. माना जा रहा है कि इस बयान को प्रदेश नेतृत्वने ‘शिशुपाल’ की 100 वीं गलती मान लिया. रोहिताश्व ने कहा था कि, ‘मैं उस गुरु पं. नवलकिशोर शर्मा का चेला हूं, जिन्होंने गुजरात के राज्यपाल रहते हुए गोधरा कांड में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को क्लीनचिट दिलवाई थी. आप राजनीति में अभी बच्चे हो मुझे रीति-नीति ना सिखाएं’. रोहिताश्व ने आरोप लगाया कि, ‘जो व्यक्ति नेता प्रतिपक्ष के समय व अन्य समय वसुंधरा राजे के खिलाफ षड्यंत्र में सबसे आगे था, उस समय आपकी रीति नीति कहां गई थी. रोहिताश ने कहा कि, ‘भैरोंसिंह शेखावत भाजपा में लेकर आए थे और मैं उनके साथ इसलिए आया कि 1978 में इंदिरा गांधी की जयपुर यात्रा के समय शेखावत ने जो दरियादिली दिखाई और इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करने के स्थान पर उन्हें सुरक्षा मुहैया करवाने तक की बात कहने वाले शेखावत के कारण ही भाजपा में आया.
सतीश पूनियां पहले ही दे चुके थे लास्ट वॉर्निंग !
इधर, प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने कार्रवाई को लेकर पहले ही संकेत दे दिए थे, पूनियां ने पार्टी विरोधी बयानवीरों शिशुपाल बताया था और कहा था कि ‘शिशुपाल’, 99 गलतियां माफ़- 100 वीं गलती पर बड़ी कार्रवाई होगी. पूनियां के इस बयान से अंदाज़ा लगाया जा रहा था कि अब यदि नेताओं की ओर से पार्टी विरोधी बयानबाज़ी का सिलसिला जारी रहा तो ऐसे नेताओं से सख्ती से निपटा जाएगा. डॉ. पूनियां ने रोहिताश्व शर्मा के पार्टी विरोधी बयान सामने आने के बाद पिछले महीने उन्हें नोटिस जारी कर ‘लास्ट वार्निंग’ भी दे दी थी.
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सोशल मीडिया पर छाया रोहिताश्व निष्कासन
इस बीच पूर्व मंत्री रोहिताश शर्मा के निष्कासन का मामला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी चर्चा में है. वसुंधरा राजे और सतीश पूनिया कैंप के समर्थक इस कार्रवाई का अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं. कुछ यूजर्स ने तो इसे आने वाले घमासान का बड़ा कारण भी बताया है.
क्या और भी ‘शिशुपालों’ पर होगी कार्रवाई ?
सियासी गलियारों में ये भी चर्चा है कि क्या प्रदेश भाजपा नेतृत्व क्या रोहिताश्व तक ही रुकने वाले हैं. क्या प्रदेश के अन्य नेताओं पर जो की कई बार प्रदेश नेतृत्व को चुनौत दे चुके हैं और वसुंधरा राजे को प्रदेश का सबसे बडा़ नेता बता चुके हैं उन्हें भी नोटिस दिया जाएगा. इन नेताओं में हाड़ौती के दिग्गज प्रहलाद गुंजल और भवानी सिंह राजावत जैसे सरीखे नेता शामिल हैं.
6 साल के निष्कासन का क्या है मतलब?
पूर्व मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता के खिलाफ अनुशासन समिति की रिपोर्ट पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने निष्कासन की कार्रवाई की है. जारी हुए निष्कासन आदेश के अनुसार अब रोहिताश्व शर्मा अगले 6 वर्ष तक भाजपा के किसी भी बैठकों में शामिल नहीं हो सकेंगे. यदि इस बीच निष्कासन वापस नहीं हुआ तो उनका वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्टी से उम्मीदवारी करने की संभावना भी ख़त्म हो जायेगी.
निष्कासन के बाद क्या ये बोले रोहिताश्व शर्मा
भाजपा से 6 साल के निष्कासन पर पूर्व मंत्री डॉ. रोहिताश्व शर्मा का बयान आया है शर्मा ने कहा कि, ‘सतीश पूनियां ने व्यक्तिगत रंजिश और पद का दुरूपयोग कर मुझे निष्कासित किया है. मुझे पार्टी से निष्कासन किया जाए इसका का कोई कारण नहीं था, मैंने कोई अनुशासनहीनता नहीं की और न ही मैं पार्टी के खिलाफ बोला हूं. मैंने मात्र इतना कहा था कि सतीश पूनिया ने २२ साल पहले भाजपा और पार्टी नेताओं के खिलाफ अभद्र शब्दों का प्रयोग किया और त्यागपत्र दे दिया. चुनाव के समय में अपनी पूरी पार्टी को साथ लेकर चले गए. ऐसे अनुशासनहीन व्यक्ति दूसरों पर क्या अनुशासन का डंडा चलाएंगे. मात्र इस रंजिश को पूरा करने के लिए उन्होंने मुझे पार्टी से निकाला.भाजपा मेरी मां है और मैं पार्टी के साथ हूं, मैं कभी भाजपा के साथ धोखा नहीं करूंगा और मैं कभी कांग्रेस में जाने वाला नहीं हूं. कांग्रेस के लिए मैंने इतना जरूर कहा कि वह मेरा पीहर है और भाजपा ससुराल तो इसमें क्या दिक्कत है. भाजपा में अपनी हक की लड़ाई लडूंगा. मुझे सतीश पूनिया ने व्यक्तिगत रंजिश के कारण और कुछ अनुभवहीन नेताओं ने जान बूझकर अनर्गल बात कही है.
अब रोहिताश्व को केन्द्रीय नेतृत्व से आस !
प्रदेश नेतृत्व की ओर से निष्कासन की कार्रवाई होने के बाद भी रोहिताश्व शर्मा को केंद्रीय संगठन से क्लीन चिट मिलने की उम्मीद है. रोहिताश्व शर्मा का कहना है कि उनके खिलाफ हुई कार्रवाई की शिकायत वे दिल्ली जाकर केंद्रीय नेतृत्व से मिलकर करेंगे. उन्होंने एक प्रतिक्रिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक से मिलकर निष्कासन को गलत बताने और इसे रद्द करने की अपील की जायेगी. उन्होंने इस कार्रवाई पर जल्द ही क्लीन चिट मिलने की उम्मीद जताई.
इन बयानों के लिए रोहिताश्व शर्मा को जारी किया गया था नोटिस
बाबोसा और बाऊजी यानि भैंरों सिंह शेखावत और पंडित नवल किशोर शर्मा के चेले और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कट्टर समर्थक माने जाने वाले शर्मा को पार्टी विरोधी बयान देने के कारण पिछले महीने कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. अनुशासनहीनता का नोटिस मिलने के बाद पूर्व मंत्री डॉ. रोहिताश्व शर्मा ने पार्टी पदाधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. रोहिताश्व शर्मा ने अलवर की उपेक्षा और किसी बड़े नेता के अलवर ना आने को लेकर बयान दिया था. साथ ही शर्मा वसुंधरा राजे को प्रदेश बीजेपी का सबसे बड़ा नेता बताते रहे हैं. नोटिस में एक बयान का हवाला दिया गया था. बयान में शर्मा ने राजस्थान बीजेपी के नेताओं द्वारा गांव में जाने के बजाए दफ्तर से पार्टी चलाए जाने का जिक्र किया था. उन्होंने तीन सीटों पर मई में हुए उपचुनावों के परिणामों के लिये पार्टी के प्रदेश नेताओं को जिम्मेदार ठहराया था और राजस्थान में विपक्ष के रूप में बीजेपी की हालत कमजोर बताते हुए उसकी तुलना केंद्र में विपक्ष में बैठी कांग्रेस से की थी.
रोहिताश्व ने प्रदेश नेतृत्व को दी थी खुली चुनौती !
रोहिताश शर्मा ने कहा था कि कि केंद्र में हमारे मंत्री, नेता भी अब अपने क्षेत्र तक सीमित रह गए हैं, पूरे राजस्थान की कोई सुध लेने वाला नहीं है. रोहिताश शर्मा ने अपने बयान में कहा था कि अभी प्रदेश स्तर पर कोई ऐसा नेता नहीं है, जिसे पूरे राजस्थान की जानकारी हो. जिसके बाद बीजेपी संगठन की ओर से उन्हें नोटिस जारी किया गया था. नोटिस में लिखा था कि रोहिताश शर्मा ने कई अनर्गल आरोप संघ, बीजेपी संगठन पर सार्वजनिक रूप से लगाए हैं जो तथ्यों से
परे थे. शर्मा पर प्रदेश पदाधिकारियों के लिए अपशब्द और गाली का प्रयोग करने के भी आरोप लगाए गए थे.