Politalks.News/Rajasthan/Gurjar Movement. एमबीसी में 5% आरक्षण देने सहित अन्य कई मांगों को लेकर भरतपुर-बयान के पीलूपुरा में कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला और उनके पुत्र विजय बैंसला के नेतृत्व में रेलवे ट्रैक पर चल रहा आरक्षण आंदोलन का आज सातवां दिन है. अब प्रदेश के अन्य जिलों में भी गुर्जर आंदोलन की चिंगारी सुलग गई है. शुक्रवार को राजस्थान के अजमेर के मांगलियावास गांव में हुई गुर्जर आरक्षण समन्वय समिति की बैठक में गुर्जर समाज ने ऐलान किया है कि आगामी 11 नवंबर से नारेली गांव में महापड़ाव डाला जाएगा जिसमें पूरे जिले के गुर्जर अनिश्चितकाल धरने पर बैठेंगे.
समिति की बैठक में तय किया गया कि कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के नेतृत्व में चल रहे आरक्षण आंदोलन को मजबूती देने के लिए अजमेर में भी गुर्जर समाज को आगे आना होगा और अब यह आंदोलन सांकेतिक नहीं होगा. गुर्जर आरक्षण समन्वय समिति की इस बैठक में अजमेर जिले के सभी गुर्जर पंच पटेलों ने इस बैठक में हिस्सा लिया और गुर्जर आरक्षण आंदोलन की रणनीति तैयार की.
गुर्जर समाज की हुई इस बैठक में नारेली के स्थान को तय करने के पीछे गुर्जर नेताओं ने स्पष्ट किया है कि नारेली गांव हाईवे से सटा हुआ है. जबकि इसी गांव से ही रेलवे लाइन भी गुजर रही है. ऐसी स्थिति में यदि कर्नल बैंसला का आह्वान हुआ तो कुछ ही मिनटों में हाईवे, रेल मार्ग को भी जाम किया जा सकेगा. मांगलियावास की इस बैठक में गुर्जर आरक्षण आंदोलन से जुड़े सामाजिक नेताओं के साथ ही भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस से जुड़े गुर्जर नेता भी शामिल हुए और सभी ने एक स्वर में कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के नेतृत्व में आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया है.
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शुक्रवार का घटनाक्रम- सरकार को 12 घण्टे का अल्टीमेटम, विजय बैंसला को सौंपी कमान
उधर शुक्रवार को पीलूपुरा गांव के पास रेलवे ट्रेक पर छठवें दिन भी गुर्जर समाज के लोग अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत रहे. हालांकि, शुक्रवार सुबह से दिनभर कोई बड़ा नेता मौके पर नहीं पहुंचा, लेकिन शाम को कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला व उनके पुत्र विजय समेत अन्य नेता रेलवे ट्रेक पर पहुंचे और कर्नल ने राज्य सरकार को 12 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि सरकार में मंत्री अशोक चांदना का समाज सम्मान करता है और वह जल्द समाज के पक्ष में अच्छी खबर लेकर आए. वहीं, बैंसला ने आंदोलन के नेतृत्व को लेकर चल रहे विवाद पर भी शुक्रवार को स्थिति स्पष्ट कर दी है. बैंसला ने कहा कि वह अपने पुत्र विजय को समाज के लिए सौंप रहे हैं. यह समाज का बेहतर और मिलजुट कर नेतृत्व करेंगे.
इसके बाद विजय बैंसला ने कहा कि जो लोग उनका नेतृत्व स्वीकार नहीं करते हैं उन लोगों के प्रति उनके मन में कोई दुर्भावना नहीं है. वह लोग अभी मुझे समझते नहीं है लेकिन आशा करता हूं कि वह धीरे-धीरे उन्हें समझ जाएंगे. विजय बैंसला ने यह भी स्वीकार किया कि उनका स्वभाव थोड़ा तीखा है, जिसमें वह भी सुधार करेंगे. वहीं, शुक्रवार के घटनाक्रम से बैंसला गुट के रुख में थोड़ी नरमी दिखी.
दरअसल, राजस्थान में गुर्जरों का आंदोलन लगातार जारी है. गहलोत सरकार का दावा है कि कांग्रेस ने हमेशा गुर्जरों का ध्यान दिया है. लेकिन गुर्जर समुदाय जिस तरह से आंदोलन कर रहा है वो ठीक नहीं, बीते दिनों विधानसभा में भी सरकार की तरफ से बोलते हुए स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा था कि सरकार सभी से बात करने के लिए तैयार है. लेकिन जिस तरह से आंदोलन किया जा रहा है वह तरीका सही नहीं है.
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बता दें, हाल ही हुए विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान सरकार में मंत्री रघु शर्मा ने स्पष्ट कहा था कि बातचीत के लिए सरकार के दरवाजे हमेशा खुले हैं. लेकिन सड़क और पटरी जाम करने का किसी को अधिकार नहीं है. स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि सरकार ने 14 बिंदुओं पर बातचीत में सहमति बनाई है. यह वार्ता 80 गांवों के पंचों से हुई है. फिर भी कर्नल बैंसला को लगता है कि कोई बात अधूरी रह गई है, तो बातचीत के लिए सरकार के दरवाजे खुले हैं. आप वार्ता का निमंत्रण लेने से मना कर दें. यह ठीक नहीं है. लोकतंत्र में सड़क और पटरी रोकने का अधिकार किसी को नहीं. बातचीत के लिए सरकार हमेशा तैयार है. लेकिन राजस्थान का अमन-चैन प्रभावित नहीं होना चाहिए. दूसरे लोग आप के आंदोलन से परेशान नहीं हों. इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए.