Politalks.News/Rajasthan/HimmatSinghGurjar. प्रदेश में जारी गुर्जर आन्दोलन को लेकर गुर्जर नेता हिम्मत सिंह गुर्जर ने एक बार फिर कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला और उनके पुत्र विजय बैंसला की हठधर्मिता को जिम्मेदार बताते हुए कहा है कि कर्नल बैंसला ने अपने बेटे विजय सिंह बैंसला की राजनीतिक स्थापना एवं मीडिया में बने रहने के लिए रेल पटरियों को चुना है.
आंदोलन शुरू करने से पहले ही करनी चाहिए थी वार्ता
हिम्मत सिंह ने कर्नल बैंसला पर केवल अपने बेटे को आगे लाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब सरकार गुर्जरों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं तो आंदोलन शुरु करने से पहले उसके साथ वार्ता करनी चाहिए थी. हिम्मत सिंह ने कहा कि गुर्जर समाज के पंच पटेलों ने एक राय होकर सरकार के साथ बातचीत की और वार्ता सफल भी रही और 14 बिन्दु पर सहमति बनी जिसमें गुर्जरों की सभी मांगें आ गई थी.
केवल बेटे के लिए पटरियों पर ही बातचीत करने की हठधर्मिता अपना ली
हिम्मत सिंह ने आगे कहा कि कर्नल बैंसला ने अपने बेटे की राजनीतिक स्थापना एवं मीडिया में बने रहने के लिए इस समझौते को नहीं माना और 50-60 लोगों को साथ लेकर रेल पटरियों पर जाम लगाकर आंदोलन शुरु कर दिया. जबकि जब सरकार बातचीत के लिए तैयार हैं और वह इसके लिए बुला रही है तो बातचीत की जानी चाहिए, लेकिन कर्नल बैंसला ने अपने केवल बेटे के लिए पटरियों पर ही बातचीत करने की हठधर्मिता अपना ली.
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जब कर्नल बैंसला को बातचीत पटरियों पर ही करनी थी तो अब बातचीत के लिए जयपुर क्यों आए
यही नहीं हिम्मत सिंह ने आगे कहा कि जब खेल मंत्री अशोक चांदना बातचीत के लिए आगे आए तब कर्नल बैंसला ने उनसे वार्ता क्यों नहीं की. जब कर्नल बैंसला को बातचीत पटरियों पर ही करनी थी तो अब बातचीत के लिए जयपुर क्यों आए हैं. गुर्जर ने कहा कि कर्नल बैंसला ने अपने बेटे को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया हैं. हिम्मत सिंह ने कहा कि यह कोई राजा की गद्दी नहीं हैं जो बेटे को सौंप दी.
इस वजह से गुर्जर समाज के ज्यादा लोग नहीं जुट पाए आंदोलन में
हिम्मत सिंह ने कहा कि गुर्जरों का यह सामाजिक आंदोलन हैं और गुर्जर समाज यह संदेश देना चाहता था कि वह अपनी मांगों के लिए बातचीत के लिए तैयार हैं. वर्ष 2007 से आंदोलन में मुकदमों का दर्द झेल रहा गुर्जर समाज ऐसी समस्याओं से बचने के लिए बातचीत की पहल की और उनकी वार्ता सकारात्मक भी रही. लेकिन कर्नल बैंसला की हठधर्मिता कुछ लोगों को रेल पटरी पर पहुंचा दिया. हिम्मत सिंह ने कहा कि यही कारण है जिस वजह से इस आंदोलन में गुर्जर समाज के ज्यादा लोग नहीं जुट पाए.