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बाड़मेर से टिकट कटने पर नाराज कर्नल सोनाराम ने घर वापसी की तैयारी कर ली है. हाथ का दामन थामने के लिए कर्नल ने दो दिन से दिल्ली में डेरा डाल रखा है. उन्होंने सीधे आलाकमान के जरिए कांग्रेस में वापसी की कवायद की है. हालांकि सीएम अशोक गहलोत उनके पक्ष के नहीं माने जाते हैं, लेकिन जोधपुर से वैभव गहलोत के चुनाव लड़ने के चलते वे पुरानी बातें भूलने को तैयार हो गए हैं. आपको बता दें कि जोधपुर लोकसभा सीट पर जाटों के अच्छी संख्या में वोट हैं.

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों का एलान होने से पहले जब अशोक गहलोत जोधपुर दौरे पर थे तो सोनाराम गहलोत से सर्किट हाउस में मिलने आए थे, सीएम ने उन्हें मिलने का समय नहीं दिया. तब से ही सोनाराम के कांग्रेस में आने की अटकलें शुरू हो गई थी. असल में कर्नल को बाड़मेर सीट से विधानसभा चुनाव हारने के बाद यह लग गया था कि उन्हें इस बार लोकसभा का टिकट नहीं मिलेगा.

संभवत: इसीलिए सोनाराम ने विधानसभा का चुनाव हारने के बाद से ही कांग्रेस नेताओं से संपर्क साधना शुरू कर दिया था. उन्होंने विधानसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल की पार्टी और बीजेपी के बीच मिलिभगत का आरोप भी कांग्रेस की ओर कदम बढ़ाने के लिए लगाया. लोकसभा का टिकट नहीं मिलने के बाद वे खुलकर सामने आ गए. उन्होंने बीजेपी पर दूध में से मक्खी की तरह निकाल फेंकने का आरोप लगाया. सोनाराम ने बीजेपी नेतृत्व पर टिकट बेचने का आरोप भी लगाया.

आज राहुल गांधी दिल्ली से बाहर है. सीएम अशोक गहलोत, पीसीसी चीफ सचिन पायलट और प्रभारी अविनाश पांडेय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने के लिए दिल्ली पहुंच चुके हैं. तीनों ने कर्नल के कांग्रेस में आने पर मंथन भी कर लिया है. यदि राहुल गांधी ने हरी झंडी दिखा दो तो सोनाराम की कांग्रेस में वापसी पर मुहर लग सकती है. हालांकि हरीश चौधरी भी नहीं चाहते हैं कि कर्नल वापस कांग्रेस में आए, क्योंकि लोकसभा चुनाव में उनके सामने मानवेंद्र सिंह के अलावा एक और दावेदार खड़े हो जाएंगे.

गहलोत के विरोधी रहे हैं सोनराम

कर्नल सोनाराम जब कांग्रेस से विधायक थे तब अशोक गहलोत राजस्थान क मुख्यमंत्री थे. उस दौरान कर्नल खुलकर गहलोत के खिलाफ बयानबाजी करते थे. बताया जाता है कि उन्होंने मंत्री नहीं बनाने से नाराज होकर गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोला. बाद में सोनाराम चुनाव हार गए. अलगे चुनाव में वसुंधरा राजे ने उन्हें जसवंत सिहं का टिकट कटवाकर बाड़मेर से मैदान में उतार दिया. इस चुनाव में उनकी जीत हुई, लेकिन पिछले साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा.

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