Poliatalks.News/Rajasthan. राजस्थान के हाड़ौती अंचल सहित अन्य इलाकों में भारी बारिश बर्बादी और तबाही लेकर आई है. इसको देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक कर बाढ़ से हुए नुकसान की जानकारी ली. मुख्यमंत्री की ओपन रिव्यू मीटिंग में राज्य सरकार के आठ मंत्री और कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ और धौलपुर के कलेक्टर जुड़े थे. इस दौरान आपदा राहत प्रबंधन के प्रमुख शासन सचिव आनंद कुमार ने बताया कि इस पूरे मानसून (करीब 68 दिन) में बिजली गिरने, बारिश के पानी में बहने सहित अन्य प्राकृतिक आपदा से 80 लोगों की जान चली गई है. 55 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. उन्होंने बताया पिछले दिनों कोटा, बारां, बूंदी, झालावाड़ और सवाई माधोपुर में हुई तेज बारिश से नुकसान का आकलन कराया जा रहा है. मुख्यमंत्री गहलोत ने आपदा राहत प्रबंधन के प्रमुख शासन सचिव को जल्द से जल्द बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन करके उसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपने के लिए कहा है
हाड़ौती संभाग में 5 से 25 फीसदी फसलें बर्बाद
कोटा संभाग में हुई बाढ़ के कारण कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ के कुछ जिलों में फसल के खराब होने की आशंका बढ़ गई है. कोटा जिले के कई गांव के खेतों में नदियों का पानी भर गया है. सबसे ज्यादा सोयाबीन की फसल प्रभावित हुई है. बूंदी, बारां जिला प्रशासन और कोटा प्रशासन की ओर से 5 से 25 फीसदी तक फसल बर्बाद होने की आशंका जताई जा रही है. इस पर मुख्यमंत्री गहलोत ने आपदा राहत प्रबंधन के प्रमुख शासन सचिव को जल्द से जल्द बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन करके उसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपने के लिए कहा, ताकि इसका प्रस्ताव तैयार करके मुआवजे के लिए केन्द्र सरकार को भेजा जाए’.
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इन जिलों में हुई इतनी मौत
भारी बारिश और आकाशीय बिजली गिरने से प्रदेश के कई इलाकों में मौत का तांडव हुआ है. मानसून के इस बार के सीजन में कोटा 6, बूंदी 16, धौलपुर 3, जयपुर 15, सवाई माधोपुर 4, टोंक 8, जोधपुर, करौली, चित्तौड़गढ़, जोधपुर और उदयपुर में 3-3, बारां 2, भरतपुर, भीलवाड़ा में 2-2 और झालावाड़, डूंगरपुर, जैसलमेर, बांसवाड़ा, दौसा, नागौर, पाली, प्रतापगढ़, अजमेर और अलवर में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है.
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प्रमुख शासन सचिव ने कोटा कलेक्टर को टोका
मुख्यमंत्री की वीसी में कोटा कलेक्टर उज्जवल राठौड़ में आपदा राहत प्रबंधन के नियमों की जानकारी का अभाव दिखा. राठौड़ ने वीसी के दौरान मुख्यमंत्री से कहा कि बाढ़ग्रस्त लोगों के खाने के प्रबंधन के लिए इंदिरा रसोई से व्यवस्था कराने का प्रावधान करें, ताकि टेण्डर की प्रक्रिया से बचा जा सके. इस पर आपदा राहत प्रबंधन के प्रमुख शासन सचिव ने बीच में टोका. उन्होंने कहा कि यह प्रावधान पहले से है. इसके लिए टेण्डर प्रक्रिया करने की जरूरत नहीं है. SDRF फंड में ये प्रावधान है कि जहां भी कहीं लोग प्राकृतिक आपदा में फंसते है, उनके लिए 7 दिन तक खाने का प्रबंधन कलेक्टर की अनुमति से किया जा सकता है. इसके लिए कलेक्टर को किसी से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.