siddaramaiah vs dk shivkumar karnataka congress
siddaramaiah vs dk shivkumar karnataka congress

KarnatakaUpdates. कर्नाटक में जब से कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी को शिखस्त दी है, उनके लिए यह हार पचा पाना संभव नहीं हो पा रहा है. इस हार की जलन कर्नाटक नहीं, बल्कि देशभर के बीजेपी के नेताओं के मन में भी हो रही है. यही वजह है कि बीजेपी के नेता कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार को बद्दुआ देने के साथ साथ आगामी तीन महीनों में सरकार गिरने तक का दावा कर रहे हैं. वहीं सरकार बने अभी एक महीना भी पूरा नहीं हुआ और कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पर संकट के बादल छाने लगे हैं. यहां मंत्री पद न मिलने की वजह से असंतुष्ठ विधायकों की नाराजगी सामने आने लगी है और वे खुले मंच पर इसे जाहिर करके बीजेपी के पस्त हौसलों को बल दे रहे हैं.

हालांकि कर्नाटक में शपथ ग्रहण से पहले ही सिद्धारमैया और प्रदेशाध्यक्ष डीके शिवकुमार के बीच विरोधाभास की स्थिति पनपने लगी थी लेकिन वक्त रहते कांग्रेस आलाकमान ने दोनों को समझा बुझाकर समझौता करा दिया. डीके ने समझौता करते हुए उप मुख्यमंत्री पद से समझौता कर लिया और सिद्धारमैया बन बैठे सीएम. लेकिन अब विधायकों में असंतुष्ठीकरण का भाव सामने आने लगा है और इसकी शुरूआत की है

कर्नाटक के पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी ने. मंत्रिमंडल में जगह न मिल पाने से नाराज सावदी ने कहा कि राजनीति में कोई भी संत या संन्यासी नहीं होता है. सावदी चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे. लक्ष्मण सावदी ने ये भी कहा कि जो एक न्यायाधीश है, वह अदालत में पट्टे वाला (कर्मचारी) नहीं बन सकता है.

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लक्ष्मण सावदी ने कर्नाटक बीजेपी के लिंगायत वोट बैंक को तोड़ने में मदद की. इसके बाद भी सीएम सिद्धारमैया ने उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं दी. इसके बाद सावदी ने पहली बार कैबिनेट पद से वंचित किए जाने पर नाखुशी जताई. उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘मुख्यमंत्री सिद्दरमैया के मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित 34 मंत्री हैं. इस बार कांग्रेस के अनुभवी नेताओं को चुना गया है और उन्हें प्रतिनिधित्व दिया गया है. हम हाल ही में कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए हैं. राजनीति में दृष्टि और धैर्य होना चाहिए. अगर ये दोनों चीजें बरकरार हैं तो कोई भी राजनीति कर सकता है. मुझे उम्मीदें थीं. राजनीति में कोई भी साधु या संन्यासी नहीं होता. हर किसी की इच्छा मंत्री, डिप्टी सीएम या सीएम बनने की होती है.’’

सूत्रों के अनुसार, सावदी को पार्टी ने एक बोर्ड या एक निगम का अध्यक्ष बनने की पेशकश की थी लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. सावदी ने बेलगावी जिले की अथानी सीट से बीजेपी उम्मीदवार को 70,000 मतों के भारी अंतर से हराया था. सावदी ने जिस तरह से खुलेआम मीडिया के समक्ष अपनी नाराजगी जाहिर की है, उससे कर्नाटक में पिछली बार जो हुआ, वहीं दोहराए जाने के आसार घिरते दिख रहे हैं. अगर सिद्धारमैया या डीके ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया तो इतिहास दोहरान सही वक्त का इंतजार नहीं करता और पीछे केवल निशान रह जाते हैं.

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