सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चल रहे अयोध्या मामले (Ayodhya Case) की सुनवाई के 33वें दिन समय बर्बाद करने को लेकर सीजेआई रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) ने नाराजगी जताते हुए मुस्लिम पक्ष के वकीलों को फटकार लगाई. गोगोई ने कहा कि सुनवाई तय शेड्यूल के हिसाब से नहीं चल रही. मुस्लिम पक्ष अपनी दलील और जिरह में बहुत देरी कर रहा है.

दरअसल, गुरुवार को सीजेआई रंजन गोगोई ने मुस्लिम पक्ष को दो दिन अतिरिक्त समय देकर कहा था कि आप फिर से दलीलों का समय निर्धारित करें और किसी भी सूरत में 18 अक्टूबर तक सभी पक्ष अपनी दलीलें पूरी कर लें. उसके एक महिने के अंदर अयोध्या राम जन्मभूमि (Ram JanamBhumi) और बाबरी मस्जिद विवाद में फैसला सुनाया जाएगा. शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष की दलीलें देने का अंतिम दिन था और शेखर नाफड़े को अपनी दलील पूरी करनी थी. लेकिन मुस्लिम पक्ष की अन्य वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने उनके हिस्से का समय भी ले लिया. मीनाक्षी ने गुरुवार को भी अपनी दलीलें संविधान पीठ के समक्ष रखी थी. ऐसे में मीनाक्षी की जो दलीलें गुरुवार को पूरी होनी थी, वो शुक्रवार तक भी पूरी नहीं हो पाई और नाफड़े अपनी दलील पेश ही नहीं कर पाए. इस पर संविधान पीठ ने नाराजगी जताई.

33वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम (Muslims) की ओर से एक पक्ष मो.फारुख की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नाफड़े (Shekhar Nafade) ने कहा कि हिंदूओं के पास केवल राम चबूतरे का अधिकार है लेकिन वे पूरी जगह का स्वामित्व चाहते हैं. हिंदूओं की ओर से लगातार अतिक्रमण की कोशिश की जा रही है.

इससे पहले शुक्रवार को अपनी दलीलें पेश करते हुए मीनाक्षी अरोड़ा ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India)  की रिपोर्ट का फिर जिक्र किया. उन्होंने इस ASI रिपोर्ट को महज विचार बताया जिसके आधार पर किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता. अरोड़ा ने कहा कि ASI रिपोर्ट ओपिनियन और अनुमान पर आधारित है कोई पुरातत्व विज्ञान, भौतिक और रसायन विज्ञान की तरह साइंस नहीं. प्रत्येक पुरातत्व विज्ञानी अपने अनुमान और ओपिनियन के आधार पर नतीजा निकलता है.

उनकी इस दलील को बीच में रोकते हुए न्यायमूर्ति बोबड़े ने ASI की रिपोर्ट का बचान करते हुए कहा कि हमें पता है पुरातत्व विभाग की तरफ से निष्कर्ष निकाले जाते हैं. अयोध्या मामले में विवादित जगह के बारे में पेश की गई एएसआई की रिपोर्ट किसी की साधारण राय नहीं है. 2003 में पेश हुई इस रिपोर्ट के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देशन में काम कर रही थी. टीम को खुदाई में प्राप्त वस्तुओं के आधार पर अपना दष्टिकोण पेश करना था.

जस्टिस बोबड़े ने ये भी कहा​ कि दोनों पक्ष अनुसार के अनुसार पर दलीलें दे रहे हैं. कोई प्रत्यक्षदर्शी गवाह नहीं है.

इस पर मीनाक्षी ने कहा कि एएसआई की रिपोर्ट में कहीं नहीं कहा गया कि उस स्थान पर मंदिर था. रिपोर्ट में जरूरी सबूतों को ही शामिल किए जाने चाहिए.

संविधान पीठ ने जवाब देते हुए कहा कि एएसआई की रिपोर्ट के ​निष्कर्ष शिक्षित और विकसित दिमागों ने निकाले थे. जस्टिस एसए नजीर ने कहा कि एएसआई रिपोर्ट की जांच की गई और आपत्तियों पर विचार किया जा चुका है. आप इस तरह से रिपोर्ट की प्रामणिकता पर सवाल नहीं उठा सकतीं हैं क्योंकि कमिश्नर ने ये रिपोर्ट दी है जो एक जज के समान ही हैं.

अदालत ने मुस्लिम पक्ष के बार बार अचानक से नए मामले उठाए जाने पर भी नाराजगी वक्त की. साथ ही मुस्लिम पक्ष के वकीलों से पूछा है कि विवादित जमीन सिर्फ राम चबूतरा है या पूरी जमीन ही विवादित है.

अगली सुनवाई सोमवार को होगी जिसमें ​मीनाक्षी अरोड़ा को अदालत के सवालों का जवाब देना है. वहीं मुस्लिम पक्ष के अन्य वकील शेखर नाफड़े को अपनी दलीलें रखनी है.

पुरानी सुनवाई के लिए यहां पढ़ें

बता दें, पूर्व की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने हिंदू पक्ष, ​मुस्लिम पक्ष और निर्मोही अखाड़ा पक्ष को अपनी दलीलें रखने के लिए 18 अक्टूबर तक का समय निश्चित किया है. इसके बाद फैसला सुनाने के लिए एक महीने का समय रिजर्व रखा है. सीजेआई रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर्ड हो रहे हैं. ऐसे में वे चाहते हैं कि 25 साल से अधिक पुराना ये महत्वपूर्ण मामला अपने अंतिम अंजाम तक पहुंचा सकें. संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस.ए.बोबडे, न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस.अब्दुल नजीर शामिल हैं.

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