Rajasthan Politics: राजस्थान की राजनीति में ईआरसीपी का मुद्दा इन दिनों एक अहम मुद्दा है. ईआरसीपी के मुद्दे पर इन दिनों भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टी के नेताओं के बीच सियासी घमासान चरम पर है. केंद्रीय जलशक्ति मंत्री व जोधपुर सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच ईआरसीपी के मुद्दे पर सियासी खींचतान इन दिनों लगातार जारी है. मंत्री शेखावत ने एक बार फिर इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री गहलोत पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि ईआरसीपी के नाम पर मुख्यमंत्री गहलोत ने 13 जिलों की पीठ में खंजर घोंपा है.
केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट के नाम पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों की पीठ में खंजर घोंपने का काम कर रहे हैं. ईआरसीपी पर गहलोत सरकार के फैलाए झूठ और भ्रम को बेनकाब करना होगा. राजस्थान सरकार ने ईआरसीपी पर आज तक केन्द्र को आवश्यक मंजूरी नहीं दी है. आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की सरकार बनना तय है. प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद कैबिनेट की पहली बैठक में ही इसे मंजूरी दे दी जाएगी.
यह भी पढ़ें: फिर से उछला राहुल गांधी का फ्लाइंग किस! स्मृति ईरानी बोली – उन्हें आनी चाहिए शर्म
मंत्री शेखावत ने बीते दिन बगरू विधानसभा क्षेत्र के वाटिका में भाजपा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के बीच ईआरसीपी पर विस्तार से बात की. मंत्री शेखावत ने ईआरसीपी को लेकर जन जागरण करने का संकल्प दोहराते हुए कहा कि ईआरसीपी को लेकर गहलोत सरकार विशुद्ध राजनीति कर रही है. ईआरसीपी के नाम पर मुख्यमंत्री गहलोत ने 13 जिलों की पीठ में खंजर घोंपा, इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने के लिए जो तकनीकी स्वीकृतियां देनी चाहिए थीं, वह राज्य सरकार ने केन्द्र को आज तक नहीं दी है. अब इस मुद्दे पर गहलोत सरकार बेनकाब हो रही है और जनता का भ्रम दूर हो रहा है.
मंत्री शेखावत ने कहा कि गहलोत जिस ईआरसीपी को खुद पूरा करने की बात कह रहे हैं, उससे मात्र तीन शहरों जयपुर, टोंक और अजमेर की प्यास बुझेगी. भरतपुर, अलवर सहित पूर्वी राजस्थान के शेष जिलों के कंठ प्यासे ही रहेंगे. किसी परियोजना को राष्ट्रीय दर्जा देने के लिए पर्यावरण, वन, वित्तीय और तकनीकी क्लीयरेंस जरूरी है, लेकिन इस मामले में गहलोत सरकार तकनीकी स्वीकृतियां उपलब्ध नहीं करा पाई है.
मंत्री शेखावत ने कहा कि राजस्थान सरकार के मुखिया अशोक गहलोत को मैंने बार-बार पत्र लिखकर आग्रह किया कि इस पर आगे मार्ग निकालते हैं. मेरे मंत्रालय ने नौ बार दिल्ली में मीटिंग का आयोजन किया, लेकिन एक भी बार राजस्थान सरकार का कोई प्रतिनिधि उन बैठकों ने उपस्थित नहीं हुआ. प्रधानमंत्री के निर्देश पर जयपुर में 18 अप्रैल 2022 को बैठक रखी, जिसकी एक महीने पहले सूचना मुख्यमंत्री और मंत्री को देखकर समय निश्चित किया. बैठक की पूर्व संध्या पर मुख्यमंत्री और मंत्री की तरफ से कहलवा दिया गया कि वो दोनों बैठक में नहीं आ सकते है. उस बैठक में भी राजस्थान के अधिकारियों ने हमारी बात पर सहमति व्यक्त की, लेकिन दुर्भाग्य से ईआरसीपी सिरे नहीं चढ़ पाई.