विपक्ष को अवांछनीय मुद्दों में अटकाकर केंद्र सरकार कर रही है अपना राजनीतिक स्वार्थ पूरा- मायावती

केंद्र सरकार पर मायावती ने खोला मोर्चा, बसपा संगठन की समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए बोली बसपा सुप्रीमो- 'संसद व राज्यों में सदन के प्रति सरकारें अगर गंभीर, जिम्मेदार व उत्तरदायित्व नहीं होंगी तो इससे देश में हर तरफ बढ़ेगी निरंकुशता

मायावती के निशाने पर केंद्र सरकार
मायावती के निशाने पर केंद्र सरकार

Politalks.News/Mayawati. एक तरफ जहां आम आदमी बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी से परेशान है तो वहीं सत्ता दल इन मुद्दों पर सदन के बाहर एवं अंदर दोनों जगह चर्चा से कतरा रही है. विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर इस तरह के आरोप लगा रहा है. वहीं लोकसभा एवं राज्यसभा में इन मुद्दों को लेकर व्यापक चर्चा तो हुई लेकिन विपक्ष सत्ता पक्ष के जवाबों से संतुष्ट नहीं दिखा. क्योंकि सत्ता दल के कई सांसदों का कहना था कि देश में महंगाई है ही कहां. सदन के अंदर एवं बाहर मुद्दों पर चर्चा ना होने को लेकर गुरूवार को बसपा प्रमुख मायावती ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. मायावती ने केंद्र सरकार पर विपक्ष को गैर जरूरी मुद्दों में उलझाकर सदन की कार्यवाही प्रभावित करने और राजनीतिक स्वार्थ साधने का आरोप लगाया. मायावती ने कहा कि, ‘देश के ज्वलन्त मुद्दों पर समुचित चर्चा ना कर के केन्द्र सरकार अपनी जिम्मेदारी ओढ़ने से बच जा रही है.’

गुरूवार को हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में बसपा संगठन की समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. मायावती ने कहा कि, ‘संसद के चल रहे मानसून सत्र में संसद में देश की ज्वलन्त समस्याओं पर समुचित चर्चा से केंद्र सरकार बचती जा रही है.’ मायावती ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि, ‘विपक्षि दलों को नित नए दिन अवांछनीय विवादित मुद्दों में उलझाना और उन्हें उत्तेजित करके सदन की कार्यवाही को प्रभावित करके अपने राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति करना सरकारों की नयी प्रवृति बन गई है. यह प्रवृति घोर अनुचित व जनविरोधी प्रवृति है तथा इससे देशहित बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है.’

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मायावती ने आगे कहा कि, ‘संसद व राज्यों में सदन के प्रति सरकारें अगर गंभीर, जिम्मेदार व उत्तरदायित्व नहीं होंगी तो इससे देश में हर तरफ निरंकुशता और ज्यादा बढ़ेगी. आज देश में कड़वी वास्तविकता यही है कि ऐसी कोई सरकार नहीं दिखती जो महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी के अलावा जनहित व जनकल्याण के सम्बंध में पूरी गंभीरता व ईमानदारी के साथ काम करने की स्थिति में हो. इसलिए नये भारत की नयी सुन्दर तस्वीर बनकर कोई राज्य नहीं उभार पा रहा है.’ कांग्रेस पर निशाना साधते हुए मायावती ने कहा कि, ‘पहले कांग्रेस के समय में जातिवाद, भ्रष्टाचार और द्वेष का अभिशाप देश को खोखला कर रहा था, मगर अब भाजपा राज्य में उसमें साम्प्रदायिक हिंसा, तनाव तथा सरकारी विद्वेष भी बड़े पैमाने पर शामिल हो गया है. ऐसे में देश के विकास के लिए जरूरी हिंसा व तनाव-मुक्त व्यवस्था का माहौल कहां से पैदा होगा?’

बसपा सुप्रीमो मायावती ने आगे कहा कि, ‘कांग्रेस-शासित छत्तीसगढ़, दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश व तेलंगाना राज्यों में भी जन अपेक्षा के अनुसार लोगों की सबसे बड़ी गरीबी व बेरोजगारी आदि की समस्या को दूर करने के लिए रोजगार की ज़रूरत ठीक से पूरी नहीं हो रही है. वहां भी परिवारों का बुरा हाल है, जो देश के अन्य राज्यों में लगातार बना हुआ है और यह अति-दुःखद है. महाराष्ट्र के बाद आज कल एक बार फिर से झारखंड की आदिवासी समाज के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार गिराए जाने के लिए षडयंत्र की चर्चाएं काफी जोरों पर हैं जो कि पूरी तरह अनुचित है. राजनीति में पहले अपराधियों का बोलबाला होने के कारण अस्थिर व बदनाम थी, मगर अब धनबल भी इसमें काफी ज्यादा हावी हो गया है. ऐसे में छोटी पार्टियों की सरकारों का जीवित रह पाना असंभव नहीं, तो काफी मुश्किल जरूर होता जा रहा है.’

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सरकारी अनुसंधानों के निजीकरण पर सवाल उठाते हुए मायाआती ने कहा कि, ‘आज देश में बहुमूल्य राष्ट्रीय सम्पत्तियों का जिस धड़ल्ले से निजीकरण किया जा रहा है वह देश की बुनियाद को खोखला करने जैसा ही घातक है. देश की पूंजी को बेच कर बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों के स्वार्थ के सहारे देश की लगभग 130 करोड़ गरीब जनता को बेसहारा नहीं छोड़ देना चाहिए. इसका नतीजा घातक होगा. हरियाणा, मध्य प्रदेश, यूपी का नाम आते ही वहाँ व्याप्त गरीबी, बेरोजगारी, जातिवादी व साम्प्रदायिक तनाव-हिंसा आदि की दुःखद तस्वीर सामने आ जाती है जबकि यहाँ इन राज्यों में वर्षों से कथित डबल इंजन की सरकारें होने के कारण उन राज्यों में बहुप्रचारित सरकारी विकास व स्मार्ट राज्य के सुखद जीवन की सुनहरी तस्वीर लोगों के सामने उभर कर आनी चाहिए थी.’

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