महिला वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश किया. इस बजट के खास सेंगमेट महिला शक्ति की शुरूआत करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि नारी तू नारायणी. यानी कि नारी को सर्वोपरी बताते हुए उन्होंने कहा कि जब तक महिलाओं की स्थिती में सुधार नहीं होगा तब तक दुनिया बेहतरी की और नहीं बढ़ सकती है. जब तक महिलाएं आत्मनिर्भर नहीं होंगी तब तक देश आत्मनिर्भर नहीं हो सकता.
बजट का इंतजार हर वर्ग को होता है हर किसी का आत्मविश्वास बजट पर टिका रहता है लेकिन आज की महिला ना केवल किचन में रियायत चाहती है बल्कि आत्मनिर्भर है तो आगे बढ़ने का विश्वास भी चाहती है. अपने कंधों पर घर और देश दोनों की जिम्मेदारियां लेकर चल रही है इसका उदाहरण सबके सामने है.
आज किसी भी कारोबार को शुरू करने के लिए आर्थिक मदद की सबसे ज्यादा जरूरत है बजट में स्कीम के तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को कारोबार शुरू करने में मदद करने की बात कही गई .महिलाओं के स्वयंसेवी समूहों को बढ़ावा देने के लिए हर ज़िले में उनके लिए फ़ंड का ऐलान किया गया है. जिसके पास भी जन धन खाता होगा उसको ओवरड्राफ्ट की सुविधा भी दी जाएगी.
मुद्रा, स्टार्टअप और स्टैंडअप स्कीम के तहत महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा आत्मनिर्भर बनाने की बात भी बजट में कही गई. स्टार्ट अप ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाई है लेकिन स्किल प्रोग्राम ज्यादा से ज्यादा चलाए जाने की आज भी जरूरत है ताकि दूर दराज की ग्रामीण महिलाएं जुड़ सके. हालांकि बजट में एक ऐसी समिति के गठन करने की बात कही गई जो महिलाओं को देश के विकास में योगदान के लिए प्रेरित कर सुझाव देने का काम करेगी.
उज्ज्वला योजना का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इस योजना से देश की महिलाओं को धुएं से छुटकारा मिला है लेकिन सिलेंडर की आसमान छूती कीमतें क्या उस सपने को पूरी तरह से साकार होने दे रही हैं. इसके अलावा महिलाओं के सम्मान के लिए शौचालय बनवाने की बात कही लेकिन आज भी बेटी घर हो या बाहर कहीं महफूज महसूस नहीं कर पा रही है, सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाए जाने की आज भी जरूरत है ताकि एक भय से मुक्त वातावरण में महिलाएं आराम से काम कर सके. अपने सपने साकार कर सकें.
छोटे उद्योग लगाकर या घर से काम करने वाली महिलाओँ के लिए जरूर बजट में ध्यान दिया गया है लेकिन ऑफिस में काम करने वाली महिलाओं पर ध्यान देने की जरूरत है. क्योंकि अधिकतर कामकाजी महिलाएं पारिवारिक जिम्मेदारियों की वजह से अपने पेशे से दूर हो जाती है ऐसे में इस ओर ध्यान देने की जरूरत है. कामकाजी महिलाएं, स्वास्थ्य नीति, शिक्षा नीति में भी बहुत कुछ अलग से किए जाने की जरूरत है ताकि हर महिला आत्मनिर्भर बन सके.
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि इस बजट में आम गृहणी को उसकी रसोई या घर के लिए कुछ खास नहीं मिला है. स्व-सहायता समूह या अपना रोजगार स्थापित करने वाली महिलाओं के लिए यह बजट बहुत उम्मीदों वाला कहा जा सकता है।