ढाई दशक पुराना ब्रू शरणार्थी मसला सुलझा, 34 हजार ब्रू-आदिवासियों को मिलेगा स्थाई घोसला

ब्रू शरणार्थियों को लेकर मिजोरम, त्रिपुरा और केंद्र सरकार में हुआ समझौता, त्रिपुरा की वोटर लिस्ट में होंगे शामिल, 4 लाख की एफडी के साथ मिलेगा 40 फीट का प्लॉट

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. देश में 25 साल पुराना ब्रू शरणार्थी मसला आज पूरी तरह सुलझ गया. मोदी सरकार में ऐतिहासिक फैसले तहत ब्रू शरणार्थियों (Bru-Reang refugees) को लेकर मिजोरम, त्रिपुरा और केंद्र सरकार में समझौता हुआ जिसके तहत करीब 34 हजार शरणार्थियों को मिजोरम से त्रिपुरा में बसाया जाएगा. समझौता पत्र पर हस्ताक्षर के समय त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देब और मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा भी मौजूद रहे.

बता दें, नागालैंड और मिजोरम में मिजो और ब्रू आदिवासी शरणार्थियों (Bru-Reang refugees) के बीच संघर्ष के चलते करीब 30 हजार ब्रू आदिवासी त्रिपुरा में शरणार्थी बन कर रह रहे थे. अब उन्हें स्थाई घरोंदा मिल सकेगा. इससे पहले 1997 में जातीय तनाव के कारण करीब 5,000 ब्रू-रियांग परिवारों ने, जिसमें करीब 30,000 व्यक्ति शामिल थे, मिजोरम से त्रिपुरा में शरण ली जिनको वहां कंचनपुर, उत्तरी त्रिपुरा में अस्थायी शिविरों में रखा गया था.

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दिल्ली में ब्रू शरणार्थियों (Bru-Reang refugees) की समस्या का समाधान पर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बताया कि ब्रू शरणार्थियों को 4 लाख रुपए की फिक्स्ड डिपॉजिट के साथ 40 से 30 फीट का प्लॉट मिलेगा. साथ ही उन्हें 2 साल के लिए 5000 रुपए प्रति माह की नकद सहायता और मुफ्त राशन भी दिया जाएगा. उन्हें त्रिपुरा के वोटर लिस्ट में भी शामिल किया जाएगा.

अमित शाह ने दोनों राज्यों की सरकारों सहित ब्रू परिवारों को बधाई देते हुए कहा कि भारत सरकार ने 600 करोड़ रुपये का पैकेज इन 30 हजार लोगों को दिया है. ये पूर्वोत्तर का बहुत पुराना मसला था जिसका आज हल निकाल लिया गया है. अब मिजोरम और त्रिपुरा की सरकार केंद्र सरकार की मदद से इनके कल्याण के लिए काम करेगी. शाह ने कहा कि एनएफएफटीएसडी आतंकी संगठन के 88 लोगों का त्रिपुरा में सरेंडर और यह समझौता त्रिपुरा की दिक्कतों को सुलझाने के मामले में भारत सरकार का बेहतरीन प्रयास है.

क्या है पूरा मामला

साल 1997 में जातीय तनाव के कारण करीब 5,000 ब्रू-रियांग परिवारों ने, जिसमें करीब 30,000 व्यक्ति शामिल थे, मिजोरम से त्रिपुरा में शरण ली जिनको वहां कंचनपुर, उत्तरी त्रिपुरा में अस्थायी शिविरों में रखा गया.

2010 से भारत सरकार इस समस्या के समाधान को लेकर लगातार प्रयास करती रही है कि इन ब्रू-रियांग परिवारों को स्थायी रूप से बसाया जाए. साल 2014 तक विभिन्न बैचों में 1622 ब्रू-रियांग परिवार मिजोरम वापस गए. ब्रू-रियांग विस्थापित परिवारों की देखभाल और पुनर्स्थापन के लिए भारत सरकार त्रिपुरा और मिजोरम सरकारों की सहायता करती रही है.

3 जुलाई, 2018 को भारत सरकार, मिजोरम, त्रिपुरा सरकार और ब्रू-रियांग प्रतिनिधियों के बीच एक समझौता हुआ था जिसके बाद ब्रू-रियांग परिवारों को दी जाने वाली सहायता में काफी बढ़ोतरी की गई. समझौते के उपरांत 2018-19 में 328 परिवार, जिसमें 1369 व्यक्ति थे, त्रिपुरा से मिजोरम इस नए समझौते के तहत वापस गए. अधिकांश ब्रू-रियांग परिवारों की यह मांग थी कि उन्हें सुरक्षा की आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए त्रिपुरा में ही बसा दिया जाए.

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