लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत दर्ज कर सत्ता में लौटे नरेंद्र मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने की तैयारी शुरू हो गई है. संसदीय दल की बैठक में मोदी को नेता चुनने और राष्ट्रपति के सामने सरकार बनाने का दावा पेश करने की खानापूर्ति करने के बाद शपथ ग्रहण समारोह होगा. सूत्रों के अनुसार मोदी 30 मई को शपथ ले सकते हैं. मोदी का फिर से प्रधानमंत्री बनना तय होने के बाद अब इस बात की चर्चा होने लगी है कि इस बार उनके मंत्रिमंडल में कौन-कौन शामिल हो सकता है.
राजस्थान की बात करें तो पांच से छह सांसदों को मोदी की टीम में शामिल होने का मौका मिल सकता है. आपको बता दें कि पिछली मोदी सरकार में राजस्थान से राज्यवर्धन सिंह राठौड़, गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल, पीपी चौधरी और सीआर चौधरी मंत्री बने थे. इनमें से सीआर चौधरी को छोड़कर सभी फिर से लोकसभा में पहुंच गए हैं. गौरतलब है कि सीआर चौधरी नागौर से सांसद का चुनाव जीते थे, लेकिन बीजेपी ने इस बार उन्हें टिकट देने की बजाय राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल से गठबंधन कर उन्हें मैदान में उतारा.
पिछली सरकार में मंत्री होने की वजह से राज्यवर्धन सिंह राठौड़, गजेंद्र सिंह शेखावत और अर्जुनराम मेघवाल का दावा इस बार भी मजबूत है, लेकिन पीपी चौधरी को इस बार मोदी की टीम से बाहर रहना पड़ सकता है. पिछली बार चौधरी को अरुण जेटली की पैरवी से मंत्रिमंडल में जगह मिली थी, लेकिन इस बार वे खुद खराब सेहत से जूझ रहे हैं. उन्हें गुरुवार को ही दिल्ली के एम्स से डिस्चार्ज किया गया है. बीमारी की वजह से जेटली करीब तीन हफ्ते से ऑफिस नहीं जा रहे थे. सूत्रों के अनुसार उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर रखा जा सकता है.
वहीं राज्यवर्धन सिंह राठौड़, गजेंद्र सिंह शेखावत और अर्जुनराम मेघवाल के अलावा राजस्थान से लोकसभा का चुनाव जीते 22 और राज्यसभा के 10 सांसदों में से कई चेहरे खुद को मंत्री बनने की दौड़ में शामिल मान रहे हैं. इनमें से कईयों ने तो बाकायदा लॉबिंग शुरू कर दी है. आइए जानते हैं कि मंत्री बनने की दौड़ में कौन-कौनसे सांसद शामिल हैं और किसका दावा कितना मजबूत है-
राज्यवर्धन सिंह राठौड़
जयपुर ग्रामीण सीट से दोबारा सांसद बने राज्यवर्धन सिंह मोदी की पहली सरकार में मंत्री रहे हैं. उनके पास खेल मंत्रालय के अलावा सूचना एवं प्रसारण जैसे अहम मंत्रालय का जिम्मा था. सेना में कर्नल और ओलंपिक में रजत पदक विजेता राज्यवर्धन पर नरेंद्र मोदी के अलावा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का वरदहस्त है. नई सरकार में उनका मंत्री बनना तय माना जा रहा है. इस बार उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है. हालांकि एक चर्चा यह भी है कि मोदी-शाह उनके भीतर राजस्थान में पार्टी की कमान संभालने वाला नेता देख रहे हैं.
गजेंद्र सिंह शेखावत
जोधपुर सीट से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को बड़े अंतर से पटकनी देकर दूसरी बार सांसद बने गजेंद्र सिंह शेखावत मोदी की पहली सरकार में कृषि राज्य मंत्री रहे हैं. वे मोदी-शाह के तो चहेते हैं ही, संघ का वरदहस्त भी उन्हें प्राप्त है. गजेंद्र सिंह शेखावत का इस बार भी मंत्री बनना तय माना जा रहा है. हालांकि चर्चा यह भी है कि उन्हें प्रदेशाध्यक्ष बनाया जा सकता है. आपको बता दें कि अशोक परनामी के इस्तीफे के बाद मोदी-शाह ने उन्हें राजस्थान में पार्टी की कमान सौंपने का फैसला कर लिया था, लेकिन वसुंधरा राजे के ‘वीटो’ से घोषणा अटक गई.
अर्जुनराम मेघवाल
बीकानेर सीट से जीत की हैट्रिक लगाकर संसद पहुंचे अर्जुनराम मेघवाल की गिनती बीजेपी के बड़े दलित नेताओं में होती है. वे मोदी की पिछली सरकार में राज्य मंत्री रहे हैं. मेघवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की गुड बुक्स में शामिल हैं. उनका इस बार भी मंत्री बनना तय माना जा रहा है. हालांकि सियासी गलियारों में एक चर्चा यह भी है कि अर्जुन मेघवाल को लोकसभा का अध्यक्ष बनाया जा सकता है. आपको बता दें कि 16वीं लोकसभा की अध्यक्ष रहीं सुमित्रा महाजन ने इस बार चुनाव नहीं लड़ा है. बीजेपी को इस पद के लिए वरिष्ठ नेता की तलाश है.
हनुमान बेनीवाल
नरेंद्र मोदी के नए मंत्रिमंडल में सबसे बड़ा और चौंकाने वाला नाम नागौर सीट से चुनाव जीते हनुमान बेनीवाल का हो सकता है. आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी यानी आरएलपी से नागौर सीट पर गठबंधन किया था. इस सीट पर खुद हनुमान मैदान में उतरे और कांग्रेस की ज्योति मिर्धा को बड़े अंतर से पटकनी दी. जाट बिरादरी के सबसे लोकप्रिय नेता बन चुके बेनीवाल का मंत्री बनना इसलिए तय माना जा रहा है, क्योंकि राजस्थान में बीजेपी के पास कोई बड़ा जाट नेता नहीं है. सूत्रों के अनुसार बेनीवाल मंत्री बनने पर अपनी पार्टी का विलय बीजेपी में कर सकते हैं.
दीया कुमारी
राजसमंद सीट से चुनाव जीती दीया कुमारी को मोदी के मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है. आपको बता दें कि दीया कुमारी जयपुर के पूर्व राजपरिवार की राजकुमारी हैं. उन्होंने 2013 के विधानसभा चुनाव से राजनीति में एंट्री की थी. पार्टी ने उन्हें सवाई माधोपुर सीट से उम्मीदवार बनाया, जहां से उन्होंने जीत दर्ज की. 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी ने टिकट नहीं दिया. कहा जाता है वसुंधरा राजे से तनातनी की वजह से उनका टिकट कटा. वे लोकसभा चुनाव में टोंक-सवाई माधोपुर से टिकट चाहती थीं, लेकिन पार्टी ने उन्हें राजसमंद से उम्मीदवार बनाया. सूत्रों के अनुसार यदि राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और गजेंद्र सिंह शेखावत को प्रदेश संगठन में कोई भूमिका मिलती है तो दीया कुमारी को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है.
डॉ. किरोड़ी लाल मीणा
मोदी के मंत्रिमंडल में डॉ. किरोड़ी लाल मीणा का नाम भी शामिल हो सकता है. वे फिलहाल राज्यसभा सांसद हैं. उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का करीबी माना जाता है. हालांकि दौसा लोकसभा सीट पर टिकट को लेकर हुई रस्साकशी में जिस तरह से डॉ. किरोड़ी की राय को दरकिनार किया गया, उसके बाद यह कयास लगाया जा रहा है कि शायद पार्टी नेतृत्व उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं दे, लेकिन मोदी-शाह राजस्थान में वसुंधरा राजे को कमजोर करने के लिए उनके खिलाफ बोलने वाले नेताओं को ताकतवर बना सकती है. आपको बता दें कि डॉ. किरोड़ी को वसुंधरा का विरोधी माना जाता है. लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद वे खुलेआम यह कह रहे हैं कि यदि पार्टी विधानसभा चुनाव में वसुंधरा की बजाय दूसरे चेहरे को सामने लाती तो परिणाम दूसरे होते.
दावेदारों की इस फेहरिस्त के बीच यह देखना रोचक होगा कि नरेंद्र मोदी इनमें से किसे कितनी तवज्जो देते हैं. दावेदारी अपनी जगह है, लेकिन मंत्री तो वही बनेंगे जिन पर मोदी हाथ रखेंगे. फिलहाल सभी दावेदार अपने-अपने स्तर पर लॉबिंग में जुटे हैं.