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‘भारतीय भाग्यशाली हैं कि उनके पास मोदी हैं’

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लोकसभा चुनाव में जबरदस्त सफलता हासिल करने के बाद बीजेपी टीम के सेनापति नरेंद्र मोदी 30 मई को प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने जा रहे हैं. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 300+ और एडीए को 350+ सीटें मिली हैं. उनके चुनाव जीतने के बाद विभिन्न देशों से बधाई संदेश आ रहे हैं. इस लिस्ट में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी शामिल हैं. ट्रंप ने नरेंद्र मोदी को महान व्यक्ति बताते हुए कहा है कि भारतीय खुशनसीब हैं कि उनके पास मोदी है.

अपने ट्वीटर हैंडल से मोदी को बधाई संदेश देते हुए ट्रंप ने कहा, ‘अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात हुई. उन्हें इतनी बड़ी जीत के लिए बधाई दी. वह महान आदमी हैं और भारतीयों के नेता हैं- वह खुशनसीब हैं कि आप उनके (भारतीयों) पास हैं.’

डोनाल्ड ट्रंप की बेटी और नेता और इवांका ट्रंप ने भी प्रधानमंत्री मोदी को जीत की बधाई दी है. इवांका ने ट्वीट किया, ‘शानदार जीत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई. भारत के अद्भुत लोगों के लिए आगे रोमांचक समय होगा.’

इसके बाद नरेंद्र मोदी ने इवांका ट्रंप का धन्यवाद किया. उन्होंने ट्वीट पोस्ट करते हुए कहा, ‘शुक्रिया इवांका ट्रंप. आपके जैसे भारत के सच्चे दोस्त से शुभकामनाएं मिलना अमूल्य हैं.’

कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक शुरु, राहुल गांधी दे सकते हैं इस्तीफा

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दिल्ली में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक शुरु हो चुकी है. लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद यह कांग्रेस वर्किंग कमेटी की पहली बैठक है. इसमें पार्टी को मिली करारी हार के कारणों पर चर्चा की जाएगी. इस बैठक में हिस्सा लेने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी एआईसीसी में साथ पहुंचे हैं. खास बात यह है कि इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी चुनाव में हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे सकते हैं.

बैठक में हिस्सा लेने के लिए यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे, गुलाम नबी आजाद, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत पहुंचे हैं.

मोदी की प्रचंड लहर में भी जीत गए चार निर्दलीय उम्मीदवार

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देश में लोकसभा चुनाव के नतीजों में मोदी की प्रचंड लहर नजर आई. बीजेपी के लिए मोदी मैजिक फिर से काम कर गया और पार्टी अकेले अपने दम पर 300 सीटों का आंकड़ा पार करने में सफल रही. वहीं एनडीए भी मोदी के तुफान में 350 से अधिक सीटें जीतने में कामयाब रहा है. लेकिन मोदी की सुनामी के बीच देश के चार उम्मीदवार ऐसे भी हैं जो बिना टिकट के ही चुनाव जीतने में कामयाब रहे. नीचे उन उम्मीदवारें के बारे में बता रहे है जो निर्दलीय चुनाव जीते हैं…

अमरावतीः
महाराष्ट्र में एक बार फिर से मोदी का मैजिक देखने को मिला. बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने प्रदेश की 48 सीटों में से 41 पर जीत हासिल की. गठबंधन ने अपने 2014 के प्रदर्शन को दोबारा दोहराया. इसमें बीजेपी का प्रदर्शन तो और भी अव्वल रहा. उसने 24 में से 23 सीटों पर जीत हासिल की. लेकिन मोदी की इस लहर में भी अमरावती से निर्दलीय उम्मीदवार नवनीत रवि राना ने जीत हासिल की. उन्होंने शिवसेना के प्रत्याशी को 37000 वोटों से मात देकर जीत हासिल की है.

मंड्याः
कर्नाटक की मंड्या लोकसभा क्षेत्र से भी निर्दलीय प्रत्याशी सुमलता अंबरीश ने जीत हासिल की. उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के पुत्र निखिल कुमारस्वामी को करीब सवा लाख वोटों से हराया. सुमलता की जीत इसलिए भी बड़ी है क्योंकि कर्नाटक लोकसभा चुनाव पूरी तरह से मोदी लहर पर सवार था. पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौडा जैसे दिग्गजों को यहां से हार का सामना करना पड़ा है. वहां सुमलता निर्दलीय चुनाव जीतकर सदन में आएगी, यह बड़ी बात है.

कोकराझारः
असम की कोकराझार लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी नबा कुमार ने जीत हासिल की. उन्होंने बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट प्रमिला रानी को लगभग 35 हजार मतों से मात दी. असम में यह इलाका पूर्णतया आदिवासी क्षेत्र है. प्रदेश में बीजेपी ने भारी जीत हासिल की है.

दादर-नगर हवेलीः
गुजरात और महाराष्ट्र के मध्य स्थित इस क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी देलकर मोहनभाई ने जीत हासिल की है. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार नथुभाई गोमनभाई को लगभग 9000 वोटों से मात लेकर जीत हासिल की है.

चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में यह रही स्थिति…

देश में लोकसभा चुनाव के शोर के बीच कई राज्यों के विधानसभा चुनाव गौण हो गए. देश में हर किसी की निगाह लोकसभा चुनाव के नतीजों पर रही. बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व में ऐतिहासिक जीत हासिल की. बता दें, लोकसभा चुनाव के साथ-साथ चार राज्यों में विधानसभा के चुनाव भी संपन्न हुए हैं. इनमें आंध्र-प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और ओडिशा शामिल हैं. आइए जानते हैं इन राज्यों में क्या रहे चुनावों के परिणाम …

आंध्रप्रदेश:
आंध्र-प्रदेश के विधानसभा चुनाव में वाईएसआर कांग्रेस की सुनामी देखने को मिली. पार्टी ने अपने नेता जगनमोहन रेड्डी के चमत्कारिक नेतृत्व में विशाल जीत हासिल की. वाईएसआर कांग्रेस ने प्रदेश की 175 विधानसभा सीटों में से 151 सीटों पर फतह हासिल की. वहीं पांच साल से सत्तासीन चंद्रबाबु नायडू की तेलूग देशम पार्टी का राज्य में सूपड़ा साफ हो गया. नायडू की पार्टी को केवल 22 सीटों से ही संतोष करना पड़ा. यहां बीजेपी की प्रचंड आंधी मृतप्राय साबित हुई. 2014 में 3 सीट हासिल करने वाली बीजेपी विधानसभा और लोकसभा में इस बार अपना खाता तक नहीं खोल पायी.

ओडिशा:
बीजेपी को इस बार जिन नए राज्यों से सफलता मिलने की उम्मीद थी उनमें ओडिशा अग्रिम पंक्ति में था. लेकिन विधानसभा चुनाव के नतीजों ने उसके अनुमान को गलत साबित किया. प्रदेश की सत्ता में लंबे समय से काबिज बीजू जनता दल ने सत्ता में दमदार बहुमत के साथ वापसी की. प्रदेश की 149 सीटों में से बीजेडी ने 122 सीटों पर जीत हासिल की. बीजेपी के हाथ 22 सीटें लगी. कांग्रेस के लिए हालात यहां चिंताजनक रहे. पार्टी को केवल 9 सीटों पर जीत मिली.

अरुणाचल प्रदेश:
बीजेपी ने प्रदेश की सत्ता में पूर्ण बहुमत के साथ वापसी की है. प्रदेश की 55 सीटों में से बीजेपी ने 37 सीटों पर जीत हासिल की. कांग्रेस को चार सीटों पर जीत मिली.

सिक्किम:
यहां हुए विधानसभा चुनाव में सिक्किम क्रांतिक्रारी मोर्चा ने जीत हासिल की. हालांकि सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा और सिक्किम डेमोक्रटिक फ्रंट के बीच मुकाबला काफी करीबी रहा. यहां दोनो पार्टियों के बीच हार—जीत का अंतर केवल दो सीट का रहा. सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा ने 17 जबकि सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट 15 सीटों पर जीत हासिल कर पाई है.

16वीं लोकसभा को भंग करने की मंजूरी, मोदी ने राष्ट्रपति को सौंपा इस्तीफा

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लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल कर इतिहास रच दिया. पार्टी अकेले अपने दम पर 300 का आंकड़ा पार करने में सफल रही तो मोदी मैजिक के चलते एनडीए भी 350 सीट पर जा पहुंचा. मोदी सुनामी के चलते विपक्ष कहीं टिकता नजर नहीं आया. कांग्रेस मात्र 50 सीट पर ही सिमट गई और मिशन मोदी हटाओ में लगे गठबंधन भी बेअसर दिखे. ऐतिहासिक जीत के बाद अब केंद्र में फिर से मोदी सरकार बनाने की कवायद शुरू हो गई है. केंद्रीय कैबिनेट की बैठक आयोजित कर 16वीं लोकसभा को भंग करने को मंजूरी दी गई. इसके बाद पीएम मोदी सहित संसदीय दल ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंपा.

शुक्रवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक आयोजित की गई जिसमें 16वीं लोकसभा को भंग करने का निर्णय लिया गया. साथ ही 17वीं लोकसभा के गठन पर भी चर्चा की गई. बैठक के बाद पीएम नरेंद्र मोदी सहित पूरा कैबिनेट अपना इस्तीफा सौंपने के लिए राष्ट्रपति भवन पहुंचे. जहां उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपना इस्तीफा सौंप दिया. इसके बाद अब 17वीं लोकसभा के गठन के साथ केंद्र में सरकार बनाने की कवायद तेज हो गई है. कैबिनेट की बैठक में अरूण जेटली स्वास्थ्य कारणों के चलते शामिल नहीं हो सके.

कल शनिवार को बीजेपी की ओर से दिल्ली में संसदीय दल की बैठक रखी गई है. बैठक में संसदीय दल द्वारा नरेंद्र मोदी को नेता चुनने की औपचारिकता पूरी की जाएगी. जिसके बाद 17वीं लोकसभा के गठन की रणनीति बनाई जाएगी. संसदीय दल की बैठक के बाद कल ही एनडीए की भी बैठक आयोजित की जाने वाली है. जिसमें एनडीए के सहयोगी दलों के नेता व सांसदों के अलावा पार्टी नेता हिस्सा लेंगे. बैठक में मोदी पार्ट टू सरकार बनाने सहित आगामी रणनीति पर चर्चा की जाएगी.

वहीं आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा मौजूदा केंद्रीय कैबिनेट को डिनर दिया जाएगा. पूरा कैबिनेट राष्ट्रपति भवन में पहुंच चुका है. बड़ी जीत के बाद अब केंद्र सरकार के गठन की कवायद शुरू हो गई है. सूत्रों के अनुसार नरेंद्र मोदी 30 मई को प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते है. इसी दिन कैबिनेट मंत्री भी तय किए जा सकते हैं. इस कार्यक्रम में राजनेताओं के अलावा कई कॉर्पोरेट, फिल्म जगत के साथ-साथ विदेशी सरकारों के मेहमान भी शरीक हो सकते हैं.

तो क्या ये हिन्दुत्व की जीत है…

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लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद राज्यसभा सांसद स्वप्न दास गुप्ता ने ट्वीट किया, ‘पश्चिम बंगाल में 40 फीसदी वोटों के साथ बीजेपी बंगाली हिंदुओं की पसंदीदा पार्टी बन गई है. टीएमएसी दूसरे समुदायों की पसंदीदा पार्टी है. इस सच्चाई को स्वीकार करना होगा.’ तो क्या मोदी की अगुवाई में बीजेपी की यह अभूतपूर्व जीत हिंदुत्व की जीत है? दिल्ली यूनिवर्सिटी के राजनीतिशास्त्र विभाग के प्रोफेसर सुनील कुमार चौधरी कहते हैं, ‘इतने बड़े नतीजों की बुनियाद किसी एक वजह पर नहीं बनती है. लेकिन, जनता का संदेश साफ है या तो आप परफॉर्म करिए या हाशिए पर जाइए! आपकी जो भी भूमिका जनता ने चुनी है, उसे निभाना पड़ेगा. विपक्ष ने विपक्ष की भूमिका नहीं निभाई.’

नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने पहली बार 300 सीटों का आंकड़ा पार किया है. 1984 के बाद यह पहला मौका है जब किसी पार्टी को लोकसभा में 300 से अधिक सीटें मिली हैं. जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद नरेंद्र मोदी तीसरे और पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री है जिन्होंने लगातार चुनावों में अपनी सत्ता बचा रखी है. यह नतीजे तब हैं जब इस बार मुखर धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति की धार कुंद करने के लिए विपक्ष ने पूरा जोर लगा दिया था. यूपी में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की लिटमस टेस्ट मानी जाने वाली सहारनपुर सीट से दो मुस्लिम उम्मीदवारों के लड़ने और वोटों का बंटवारा होने के बाद भी बसपा का जीतना इसकी एक नजीर है.

विपक्ष न सेक्युलर बन पाया और न ही ‘कम्यूनल’
नरेंद्र मोदी ने जीत के बाद पार्टी कार्यालय पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दो अहम बातें कहीं. पहली, ‘भारत की जनता ने एक नया नैरेटिव सामने रख दिया है. वो नैरेटिव ये है कि देश में अब सिर्फ दो जाति बचेगी. पहली — गरीब और दूसरी जाति है- देश को गरीबी से मुक्त करने के लिए अपना योगदान देने वालों की.’ मोदी ने यह भी कहा, ‘एक टैग था, जिसका नाम था सेक्युलरिज्म. जिसका चोला ओढ़ते ही सारे पाप दूर हो जाते थे. आपने देखा होगा कि 2014 से 2019 आते आते उस पूरी जमात ने बोलना ही बंद कर दिया. इस चुनाव में एक भी राजनीतिक दल सेक्युलरिज़्म का नकाब पहनकर देश को गुमराह करने की हिम्मत नहीं कर पाया.’

मोदी के यह बयान बीजेपी की रणनीति का आईना हैं. जातीय चुनौती को गरीबी बनाम कर मोदी ने यूपी-बिहार जैसे राज्यों में जाति की दीवारें ढहा दीं. वहीं, हिंदुत्व की स्थाई राजनीति करने वाले बीजेपी की इस काट को तोड़ने के लिए विपक्ष भी ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ पर उतर आया. इसके जरिए मोदी ने विपक्ष को उस पिच पर लाकर खड़ा कर दिया जिसके वे मॉस्टर ब्लॉस्टर थे और विपक्ष नौसखिया. बीजेपी को हिंदुत्व पर बोलने में कभी परहेज नहीं रहा. वहीं सकुचाया विपक्ष न हिंदू बन पाया और न ही सेकुलरिज्म की गठरी संभाल पाया.

विकास के चेहरे पर हिंदुत्व का ‘तिलक’?
2014 के लोकसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद हुए ध्रुवीकरण में बीजेपी ने विपक्ष को ध्वस्त कर दिया था. लेकिन, मोदी ने तब भी अपना चेहरा विकास का रखा. 1990 के बाद का यह पहला लोकसभा चुनाव है जिसमें बीजेपी मैदान में थी, लेकिन अयोध्या में राम मंदिर मुद्दा नहीं था. तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के पहले अयोध्या में धर्मसभा व दूसरी गतिविधियों से इसका ट्रायल किया जा चुका था और बीजेपी के लिए नतीजे बहुत अनुकूल नहीं थे. मोदी ने अयोध्या जिले में जनसभा करने के बाद भी इस मुद्दे को छुआ तक नहीं. क्योंकि, बालाकोट की एयर स्ट्राइक से उपजी राष्ट्रवाद की लहर मिडिल क्लॉस से लेकर सुदुर गांव तक वोटों की जमीन को उर्वरा बनाने के लिए पर्याप्त थी. पूरे उत्तर भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा व ‘पाकिस्तान में घुसकर मारा’ की धारणा से बीजेपी ने विपक्ष के कोर वोटर्स की भी ‘लॉइन ऑफ कंट्रोल’ तोड़ डाली. राष्ट्रवाद की यह जमीन करीने से हिंदुत्व की आंच से भी पकाई गई. विकास के चेहरे पर हिंदुत्व का तिलक ही एजेंडा साधने के लिए पर्याप्त था. वाराणसी में नामांकन के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने खास तौर पर वाराणसी, अयोध्या और अक्षरधाम में हुए आंतकी हमलों की याद दिलाई. यह भी बताया कि उनके कार्यकाल में किसी धार्मिक स्थल पर हमला नहीं हुआ. पुणे यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के विजिटंग प्रोफेसर राजेश मिश्र कहते हैं, ‘मॉचो नैशनलिज्म’, मोदी का करिज्मा व हिंदुत्व तीनों का ही पैकेज बीजेपी ने तैयार कर जनता के सामने रख दिया. उनकी ब्रैंडिंग के आगे विपक्ष कहीं टिक नहीं सका.

जैसी जमीन, वैसी खाद
12 से अधिक राज्यों में बीजेपी का वोट शेयर 50 फीसदी है. तो क्या यह आंकड़े धर्म व जाति में सेंध लगाए बिना संभव थे? प्रो.सुनील कुमार चौधरी कहते हैं कि इस चुनाव में जाति, संप्रदाय, भाषाई, सामुदायिक व क्षेत्रीय समीकरण ध्वस्त हो गए. कर्नाटक से तेलगांना और नार्थ ईस्ट तक हिंदी भाषी नेताओं की अपार सफलता इसका इशारा है. विपक्ष के ‘पापुलिज्म’ की तरकीब काम नहीं आई. क्योंकि, मोदी पहले से ही उन पर काम करके भरोसा पैदा कर चुके थे और विपक्ष ‘मोदी हटाओ’ के नारे की वजह वोटर्स को समझा नहीं सका.

जानकारों का कहना है कि हमेशा इलेक्शन मोड में रहने वाली बीजेपी ने जमीन के हिसाब से रणनीति की ‘खाद’ डाली. 115 पिछड़े जिले चिन्हित कर योजनाओं के जरिए वहां मोदी पहुंच चुके थे. गरीब केंद्रित योजनाओं से जातीय दीवार ढहाने की भूमिका तैयार की गई. आसाम से पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में अवैध प्रवासियों व अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के मुद्दे पर करारा हमला बोला गया. मोदी, शाह व यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसकी कमान संभाली. ‘जय श्री राम’ का नारा बंगाल में मुद्दा बना. नतीजा यह हुआ कि यहां भी राष्ट्रवाद व हिंदुत्व की जुगलबंदी ने ममता का गढ़ तोड़ दिया.

Result 2019: इन राज्यों में नहीं खुला BJP का खाता

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देश में आए लोकसभा चुनाव के नतीजों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व में बीजेपी ने विशाल जीत हासिल की है. भारत के चुनावी इतिहास में किसी गैर कांग्रेसी दल ने सबसे ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की. बीजेपी ने कुल 542 में से 352 सीटों पर विजयश्री हासिल की है. बीजेपी ने कई राज्यों में तो विपक्ष का सूपड़ा ही साफ कर दिया.

लेकिन मोदी की इस प्रचंड सुनामी के बावजूद बीजेपी को कई राज्यों से निराशा हाथ लगी. इन राज्यों में तो बीजेपी का खाता तक नहीं खुल सका. यह आंकड़े बीजेपी के उस दावे को झटका देते हैं जिसमें बीजेपी विश्व की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करती है. इस आंकड़ों को देखते हुए यह साफ तौर पर कहा जा सकता है कि बीजेपी आज भी कई राज्यों में प्रभावी नहीं है. वहां उसकी मौजूदगी नाम-मात्र की भी नहीं है.

नीचे उन राज्यों के बारे में बता रहे हैं जहां बीजेपी अपना खाता भी नहीं खोल पायी है…

केरलः केरल में 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया था. इसके बाद बीजेपी के भीतर यह उम्मीद जगी थी कि केरल में उसका जनाधार बढ़ेगा. लेकिन लोकसभा चुनाव में केरल से आए नतीजे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को निराश करने वाले हैं. यहां बीजेपी अध्यक्ष के तमाम प्रयासों के बावजूद बीजेपी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. केरल में लोकसभा की 20 सीटे हैं जिसमें से कांग्रेस ने अकेले के दम पर 15 सीटों पर जीत हासिल की है. बीजेपी ने केरल में लगभग 13 प्रतिशत मत तो हासिल किए लेकिन वो इन वोटों को सीटों में तब्दील नहीं कर पायी. यहां बीजेपी का खाता नहीं खुल सका.

आंध्रप्रदेशः केरल के बाद जिस राज्य में बीजेपी का खाता नहीं खुला, वो आंध्रप्रदेश है. 2014 के चुनाव में बीजेपी ने संयुक्त आंध्रा में तीन सीटों पर जीत हासिल की थी. लेकिन उनकी इस जीत का कारण चंद्राबाबु नायडू की पार्टी तेलगू देशम के साथ बीजेपी का गठबंधन होना था. 2018 में चंद्रबाबु नायडू ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया था. वो बीजेपी के खिलाफ जुलाई, 2018 में सदन में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए. लेकिन अविश्वास प्रस्ताव अल्पमत में होने के कारण धाराशायी हो गया था. तभी बीजेपी को अंदेशा हो गया था कि 2019 में आंध्र-प्रदेश में उसके लिए परिस्थितियां बहुत मुश्किल होने वाली हैं.

रही सही कसर आंध्र-प्रदेश में आई जगनमोहन रेड्डी की सुनामी ने पूरी कर दी. जगन की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने प्रदेश की 25 सीटों में से 23 पर जीत हासिल की. आंध्र-प्रदेश में लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा के चुनाव भी हुए है लेकिन बीजेपी के लिए वहां के नतीजों में भी अच्छी खबर नहीं आई. विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी खाली हाथ ही रह गई.

मेनका गांधी या संतोष गंगवार होंगे 17वीं लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर

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लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जनादेश मिलने के बाद से बीजेपी खासी उत्साहित है. मोदी मैजिक फिर से काम कर गया और पार्टी अकेले अपने दम पर 300 सीटों का आंकड़ा पार करने में सफल रही है. वहीं एनडीए भी मोदी लहर में 350 से अधिक सीटें जीतने में कामयाब रहा है. कल होने वाली संसदीय दल की बैठक में नरेंद्र मोदी को नेता चुनने की औपचारिका के बाद  केंद्र में सरकार का गठन किया जाएगा. इस बीच बीजेपी खेमे में चर्चा यह है कि किस नेता को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाएगा क्योंकि इस बाद कई दिग्गज बीजेपी लीडर ने चुनाव से दूरी बनाई हुई थी. पार्टी के पास इस पद के लिए वरिष्ठ नेता के रूप में मेनका गांधी व संतोष गंगवार को ही माना जा रहा है.

प्रचंड जीत के बाद बीजेपी खेमा सरकार के गठन की कवायद में लग गया है. संसदीय दल की बैठक के साथ ही कल नरेंद्र मोदी को फिर से पीएम बनाने पर मुहर लगने वाली है. सूत्रों के अनुसार नरेंद्र मोदी 30 मई को प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. इसके साथ ही मोदी कैबिनेट का भी फैसला लिया जाएगा. इसके अलावा इस बात की भी चर्चा है कि लोकसभा का प्रोटेम स्पीकर किसे बनाया जा सकता है. पार्टी इस पद पर किसी दिग्गज को ही बैठाती है. इस फेहरिश्त में दो नाम सबसे उपर माने जा रहे हैं. पहला यूपी की सुल्तानपुर सीट से जीतने वाली मेनका गांधी और दूसरा संतोष गंगवापर का, जो यूपी की ही बरेली से 7वीं बार संसद पहुंचे है.

देश की सियासत के बड़े राजनीतिक हराने की सदस्य व दिग्गज बीजेपी नेता मेनका गांधी सातवीं बार लोकसभा चुनाव जीतने में सफल रही हैं. अबकी बार मेनका ने यूपी की सुल्तानपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और जीतीं. लेकिन इससे पहले वे पीलीभीत सीट से 6 बार चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची है. नई सरकार के गठन में बीजेपी में से मेनका गांधी को प्रोटेम स्पीकर पद के लिए दावेदार माना जा रहा है. वे पहले भी मोदी सरकार में मंत्री  रह चुकी हैं.

इसके अलावा प्रोटेम स्पीकर बनने की दौड़ में बरेली लोकसभा सीट से सांसद चुने गए संतोष गंगवार भी है. गंगवार इसी सीट से 7वीं बार जीते हैं और लोकसभा सांसद के रूप में दिल्ली पहुंचे है. पहली मोदी सरकार में वे भी मंत्री रह चुके हैं. संतोष गंगवार की वरिष्ठता के कारण उन्हें प्रोटेम स्पीकर पद के लिए दावेदार माना जा रहा है.

देश में लोकसभा चुनावों के साथ विधानसभा उपचुनावों में भी लहराया BJP का परचम

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देश में बुधवार को लोकसभा चुनाव के परिणाम के साथ-साथ कई राज्यों में विधानसभा उपचुनावों के नतीजे भी सामने आए. यहां बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के परिणामों की तरह ही विधानसभा उपचुनावों में भी अपना परचम लहराया है. जिन राज्यों में बीजेपी ने यह कारनामा किया है उस लिस्ट में बिहार, गोवा, गुजरात, कर्नाटक, एमपी, यूपी और पं.बंगाल जैसे कई प्रदेश शामिल हैं.

निम्न सीटों पर विधानसभा उपचुनावों के परिणाम बुधवार को घोषित हुए हैं.

बिहारः बिहार में लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा की दो सीटों के लिए चुनाव हुआ. इनके नतीजों में जदयू-बीजेपी गठबंधन ने महागठबंधन का सूपड़ा साफ कर दिया. डिहरी सीट पर बीजेपी के सत्यनारायण सिंह ने राजद के मोहम्मद फिरोज हुसैन को 34000 वोटों से मात दी. नवादा सीट पर जदयू के कौशल यादव ने ‘हम’ के धीरेन्द्र कुमार सिन्हा को 17000 वोटों से हराया.

गोवाः गोवा में विधानसभा की चार सीटों के लिए उपचुनाव हुए. तीन सीट पर बीजेपी और एक सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की. मन्द्रम सीट पर बीजेपी के दयानंद रघुनाथ ने कांग्रेस के बाबी शिवा को 9 हजार वोटों से मात दी. मपुसा सीट पर बीजेपी के जोशुआ पीटर डिसूजा ने सुधीर राम को एक हजार वोट से हराया. सिरोधा में मुकाबला काफी कड़ा रहा. यहां बीजेपी के सुभाष अंकुश ने कांग्रेस के महादेव नारायण को सिर्फ 19 वोटों से से मात दी. दिवंगत नेता मनोहर पर्रिकर की सीट पणजी पर इस बार कांग्रेस ने कब्जा किया. यहां से कांग्रेस के एतानासियो मोनसेरेट विजयी हुए.

गुजरात: यहां चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए. सभी सीटों पर बीजेपी के प्रत्याशी विजयी हुए. मनवादार से जवाहर भाई, ऊंझा से आशा-बेन पटेल, ध्रांगधरा से बीजेपी के पुरषोतम भाई और जामनगर ग्रामीण से राघवजी भाई विजयी हुए.

कर्नाटक: यहां बीजेपी-कांग्रेस का पलड़ा बराबर रहा. दोनों पार्टियों को एक-एक सीट पर जीत हासिल हुई. कुंडगोल से कांग्रेस के कुसुमवती चन्नबसाप्पा शिवली ने जीत हासिल की. चिंचोली विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के अविनाश उमेश ने जीत हासिल की.

मध्यप्रदेश: यहां छिंदवाड़ा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में मौजूदा मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जीत हासिल की. उन्होंने बीजेपी के विवेक बंटी को 25 हजार वोटों से मात दी.

उत्तर प्रदेश:  यहां दो विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने जीत का परचम फहराया. आगरा उत्तर विधानसभा सीट से बीजेपी के पुरषोतम खंडेलवाल ने सपा के सूरज शर्मा को मात दी. निगासन में बीजेपी के शंशाक वर्मा ने जीत हासिल की.

पश्चिम बंगाल: लोकसभा चुनाव की तरह बीजेपी ने विधानसभा उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया. बीजेपी ने यहां 4 सीटों पर जीत हासिल की. तृणमुल कांग्रेस के खाते में 3 सीट आई. एक सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की.

मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम: चारों राज्यों में एक-एक सीट पर उपचुनाव हुए. मेघालय में एकमात्र सीट पर हुए उपचुनाव में एनपीपी के सी.ए. संगमा ने जीत हासिल की. मिजोरम की आइजोल वेस्ट आई सीट से एमएनएफ के जोथान टी लोंगा ने जीत हासिल की. नागालैंड की आंगलेडन सीट पर एनडीपीपी के शेरिंग लोंगकमर और सिक्किम की योसकाम सीट से सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के संघय लेपचा ने जीत हासिल की.

तमिलनाड़ु: यहां 20 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव हुए जिनमें 13 सीटों पर डीएमके ने जीत हासिल की. 9 सीटों पर एआईडीएके ने फतह हासिल की.

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