बिहार के चुनावी नतीजे आ चुके हैं. एनडीए ने बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 39 सीटों पर जीत हासिल की है. यह एनडीए का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन है. नरेंद्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व में बीजेपी-जदयू-लोजपा गठबंधन के सामने महागठबंधन कहीं खड़ा नहीं दिखाई दिया. लेकिन मोदी के लिए इस बार बिहार की चुनौती आसान नहीं थी. हम आपको चुनाव से पहले की चुनौतियों के बारे में बता रहे हैं जिन्हें बीजेपी ने केवल नरेंद्र मोदी की वजह से पार किया.
2014 की मोदी लहर में पुराने साथी जदयू के साथ छोड़ने के बावजूद बीजेपी ने बिहार में अच्छा प्रदर्शन किया था. उसके बाद 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा. यह संगठन के लिए एक झटके की तरह था. चुनाव हारने का मुख्य कारण राजद-जदयू का गठबंधन रहा.
लेकिन बीजेपी ने इसका बदला 2018 में अपनी तरह से लिया. उन्होंने नीतीश कुमार को अपने पाले में लाने के लिए मना लिया. नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. अगले दिन बीजेपी ने जेडीयू सरकार के समर्थन का ऐलान कर दिया. बीजेपी सरकार में सहयोगी बनी और पुरानी सरकारों की तरह बीजेपी नेता सुशील मोदी को उप-मुख्यमंत्री बनाया गया.
लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी को केंद्रीय मंत्री और रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाह ने झटका दे दिया. वो एनडीए का साथ छोड़कर चले गए. यह बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका था. मोदी को घेरने के लिए तेजस्वी यादव ने बिहार में सामाजिक समीकरणों को साधते हुए महागठबंधन का निर्माण किया. महागठबंधन में राजद, कांग्रेस, रालोसपा, जीतनराम मांझी की ‘हम’ और मुकेश साहनी की ‘वीआईपी’ पार्टी शामिल थीं.
बिहार में चुनाव से पूर्व यह अनुमान था कि इस बार के चुनाव में बीजेपी-जदयू गठबंधन को महागठबंधन से कड़ी चुनौती मिलेगी. लेकिन आए नतीजों ने इस संभावना को सिरे से खारिज कर दिया. मोदी के करिश्माई नेतृत्व में बीजेपी-जदयू-लोजपा गठबंधन ने प्रचंड जीत हासिल की.
मोदी ने यहां सारे जातीय समीकरणों को तोड़ा है. मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र अररिया से भी बीजेपी के उम्मीदवार प्रदीप कुमार ने जीत हासिल की है. प्रदीप यादव की जीत ही बिहार में मोदी मैजिक की स्थिति का आलम बयां करती है.
मोदी के इस तुफान में बिहार के कई दिग्गजों के किले धवस्त हो गए. पाटलिपुत्र से लालु यादव की पुत्री मीसा भारती को बीजेपी के रामकृपाल यादव ने हराया. वहीं बेगूसराय में मोदी की आंधी में सीपीआई के कन्हैंया कुमार उड़ गए. कन्हैंया कुमार को गिरिराज सिंह ने करीब चार लाख वोटों से पटखनी दी. राजद के उम्मीदवार तनवीर हसन तीसरे स्थान पर रहे.
लालु यादव के संसदीय क्षेत्र से इस बार उनकी पत्नी राबड़ी देवी के स्थान पर तेजप्रताप यादव के ससूर चंद्रिका राय चुनाव मैदान में थे. उनको यहां बीजेपी के राजीव प्रताप रुडी से हार का सामना करना पड़ा. बिहार के उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र से रालोसपा के उप्रेन्द्र कुशवाह को बीजेपी के नित्यानंद राय से हार का सामना करना पड़ा है.
बिहार की सबसे चर्चित सीट पटना साहिब से बीजेपी के रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस के शत्रुघ्न सिन्हा को भारी अंतर से हराया. वीआईपी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश साहनी को भी अपने पहले चुनाव में मोदी लहर के कारण हार का सामना करना पड़ा. उनको लोजपा के महबूब अली कैसर ने हराया. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को भी इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है.