तेलंगाना विधानसभा चुनाव के लिए आए एग्जिट पोल में केसीआर की कुर्सी खतरे में नजर आ रही है. वजह है – राज्य में कांग्रेस को सत्ताधारी बीआरएस पर बढ़त मिल रही है. उसके बाद यह सवाल सभी के जहन में चल रहा है कि तीसरी बार सत्ता प्राप्त करने के सीएम केसीआर का सपना कांग्रेस तोड़ सकती है. उसके बाद क्या केसीआर (के.चंद्रशेखर राव) सीएम बने रहेंगे या एक दशक के अंतराल के बाद तेलंगाना की कमान किसके हाथों में जा रही है.. जैसे सवाल सभी के जेहन में बने हुए हैं. अब सबकी नजर आज शुरू हुई मतगणना पर टिक गयी है.
हालांकि सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर कांग्रेस को बहुमत हासिल नहीं होता है तो क्या बीजेपी सत्ता में भागीदार बनने के लिए केसीआर के साथ हाथ मिलाने को तैयार होगी? यह गठजोड़ इसलिए भी अहम होगा क्योंकि असदुद्दीन औवेसी की AIMIM पार्टी राज्य की केवल 9 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और शेष 110 सीटों पर बीआरएस को समर्थन दे रही है. ऐसे में हिंदूत्व के घोड़े पर सवाल बीजेपी के लिए यह चुनाव करना भी आसान नहीं होगा.
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राजनीतिज्ञों की राय, इस बार ‘फाइट टाइट’
राजनीति दलों के दावे अपनी जगह पर हैं लेकिन तमाम विश्लेषक इस बार पर एक राय है कि इस बार ‘फाइट टाइट’ है. पिछले विधानसभा चुनाव में तीन चौथाई बहुमत से सत्ता हासिल करने वाले केसीआर की राह में कांग्रेस सबसे बड़ी बाधा बनकर उभरी है. बीजेपी ने यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के पूरे प्रयास किए लेकिन यहां मुख्य मुकाबला बीआरएस और कांग्रेस के बीच ही सिमटा नजर आया रहा है. सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या बीआरएस हार सकती है? एक सवाल ये भी है कि अगर नतीजे त्रिशंकु विधानसभा की हालत में बीजेपी के कांग्रेस को समर्थन देने की संभावना तो गले नहीं उतररी.
बीआरएस का नहीं तो कांग्रेस का साथ देगी बीजेपी
सत्ता हासिल करने या सत्ता में भागीदारी के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अलग अलग राज्यों में अनेकों बार ऐसे दलों से भी हाथ मिलाया है, जिससे उसकी विचारधारा मेल नहीं खाती. हालांकि बीजेपी ने कांग्रेस से कभी हाथ नहीं मिलाया. यह सच है लेकिन अगर त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनती है तो वह किसी भी हालत में एक कांग्रेस का साथ नहीं देगी. सवाल में से एक सवाल यह भी है कि क्या ऐसे में कांग्रेस को रोकने के लिए बीजेपी केसीआर की बीआरएस को समर्थन देगी. यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि असदुद्दीन औवेसी की पार्टी 119 में से 110 सीटों पर बीआरएस को समर्थन दे रही है, जबकि बीते वक्त में कुछ राज्यों में जो भी विधानसभा चुनाव बीजेपी ने लड़े हैं, वो सब हिंदूत्व पर लड़े है. ऐसे में बीजेपी के भावी कदम पर सबकी निगाहें रहेंगी. तेलंगाना के गठन के बाद राज्य में यह दूसरा विधानसभा चुनाव है. साढ़े नौ साल से सत्तारूढ़ केसीआर समय-समय पर कांग्रेस व बीजेपी का विरोध करते नजर आए हैं.
इमोशनल कार्ड तो किसी ने खोली मोहब्बत की दुकान
कांग्रेस और बीजेपी ने अंतिम दौर तक जोर लगाया. विचु के लिए पीएम मोदी ने भी ताबड़तोड़ रैलियां की. उन्होंने पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को लुभाने के लिए कहा कि तेलंगाना का अगला मुख्यमंत्री पिछड़े समुदाय से होगा. यह भी कहा कि कांग्रेस व बीआरएस दोनों पार्टियों ने दलितों को धोखा दिया है और बीजेपी ही सही मायने में आदिवासी एवं पिछड़े समाज को सशक्त कर रही है. कांग्रेस ने भी यहां पर खूब जोर लगाया. राहुल गांधी ने करीब 6 दौरों में 15 रैलियां की. उन्होंने इमोशनल कार्ड भी खेला. एक रैली में उन्होंने कहा, ‘बीजेपी ने मुझ पर जो 24 केस लगाए हैं, वे मेरी छाती पर मेडल है. पीएम मोदी ने देश में हिंसा और नफरत फैला रखी है. नफरत से देश कमजोर होता है और हमें नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलनी है. बीआरएस की तरफ से मुख्यमंत्री केसीआर ने अकेले मोर्चा संभाला. अब आज शाम तक पूरी होने वाली मतगणना के बाद तेलंगाना में सभी स्थितियां स्पष्ट हो जाएंगी.