Politalks.News/Rajasthan/Agriculture Law. प्रदेश भाजपा के हंगामेदार विरोध के बीच राजस्थान विधानसभा ने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ संशोधन विधेयक पारित कर दिया गया. इस दौरान बीजेपी ने सदन का वॉकआउट भी किया. राज्य के संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के मुताबिक, सदन में कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020 तथा आवश्यक वस्तु (विशेष उपबंध और राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020 सदन के पटल पर रखे गए.
मंत्री धारीवाल ने कहा कि इन विधेयकों का उद्देश्य केंद्र द्वारा हाल ही में पारित कृषि संबंधी तीन कानूनों का राज्य के किसानों पर प्रभाव ‘निष्प्रभावी’ करना है. धारीवाल ने बताया कि कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020 में सरकार ने कहा है कि वह राज्य के कृषकों, कृषि श्रमिकों तथा कृषि और उससे संबंधित क्रियाकलापों में लगे हुए अन्य समस्त व्यक्तियों के भी हितों और आजीविका की सुरक्षा और संरक्षण के लिए राजस्थान कृषि उपज मंडी समिति अधिनियम 1961 के विनियामक ढांचे के माध्यम से राजस्थान राज्य के कृषकों के लिए रक्षापायों को पुनः स्थापित करने की दृष्टि से यह विधेयक लाई है. इस विधेयक में कृषकों के उत्पीड़न के खिलाफ दंड का प्रावधान है.
सदन में कृषि बिलों पर चर्चा में मंत्री शान्ति धारीवाल ने कहा कि राजस्थान के कानून में एमएसपी के नीचे किसान से फसल का कॉन्ट्रैक्ट नहीं होगा. केंद्र के कानून में किसान को बांध दिया और पूंजीपतियों को लाभ दिया है. राजस्थान में 86 हजार लाइसेंसी बिचौलिये हैं. केंद्र के कानून में, किसान की फसल को नहीं बल्कि उसके जीवन को खरीदने का कानून बना दिया.
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धारीवाल ने आगे कहा कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिग में फसल खराब होने पर किसान को कौन मुआवजा देगा? कृषि जिंसों पर कमी बताकर बाजार पर कंपनियां कब्जा करेंगी. विश्व बैंक की रिपोर्ट में देहात की जमीन पर अकुशल हाथों में बताई गई थी और उसे शहर में बैठे कुशल हाथों में दी जाने की बात कही थी, लेकिन वह रिपोर्ट केंद्र ने मानी है.
मंत्री शांति धारीवाल ने केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वन नेशन-वन मार्केट की बात करने वालों ने दो मार्केट बना दिए. एक मंडी में और एक मंडी के बाहर. आने वाले समय में इस कानून से मंडियां बिकेंगी. सत्ता पक्ष की ओर से लालचंद कटारिया उदयलाल आंजना हरीश चौधरी और शांति धारीवाल ने प्रमुखता से सरकार का पक्ष रखा. जबकि भाजपा की तरफ से विधायक मदन दिलावर रामलाल शर्मा चंद्रकांता मेघवाल ने विरोध जताया. निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने भी केंद्र के कृषि बिलों के खिलाफ आवाज उठाई.
वहीं, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कानून में किसान की जमीन नहीं जाएगी. मंत्री शांति धारीवाल ने बिलों पर जवाब देते हुए कहा केंद्र के यह कानून किसान की मौत का सामान लेकर आए हैं.