BJP: भारतीय जनता पार्टी को हिंदुत्व का नया पोस्टर बॉय आखिर मिल ही गया. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से योगी आदित्यनाथ बीजेपी के फायर ब्रांड नेता बनकर उभरे थे लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके तेवरों में थोड़ी नरमी आई है. इसके बाद सांसद तेजस्वी सूर्या ने कुछ समय के लिए हिंदुत्व की कमान संभाली लेकिन अब लगता है कि बीजेपी को उनका हिंदुत्व का नया पोस्टर बॉय मिल गया है. यह हैं असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा. बीते कुछ समय से सरमा मुस्लिम समुदाय पर तीखी टिप्पणी एवं बयानबाजी को लेकर काफी चर्चा में चल रहे हैं. हाल में बिस्वा ने सब्जियों के दाम बढ़ाने के लिए ‘असम के मियां’ को जिम्मेदार बताया. उन्होंने खाद जिहाद और लव जिहाद पर भी निशाना साधा.
इतना ही नहीं, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत के मुसलमानों की स्थिति के संबंधित टिप्पणियों पर सरमा ने कहा था कि भारत में कई हुसैन ओबामा हैं जिनसे देश को निपटना है.
असम में पुलिस मुठभेड़ में समुदाय विशेष के लोगों के मारे जाने की घटनाएं कथित तौर पर बढ़ रही हैं क्योंकि खुद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पुलिस से कहा है कि अगर आरोपी भागने की कोशिश करें तो उसके पैरों में गोली मार दी जाए. नेहरू और गांधी परिवार खास तौर पर राहुल गांधी के खिलाफ भी सरमा की बयानबाजी बढ़ती जा रही है. ज्यादा पुरानी बात नहीं है कि बीजेपी में अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के समय में सांप्रदायिक रूप से उग्र बयान प्राय: संघ परिवार से संबंधित संगठनों यथा विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के नेताओं एवं पदाधिकारियों की ओर से आते थे. 2014 के लोकसभा चुनावों के आसपास बीजेपी के मुख्यधारा के नेता गिरिराज सिंह, कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा आदि की विवादास्पद टिप्पणियां सामने आने लगी थी. कुछ समय के लिए तेजस्वी सूर्या हाईलाइट होने लगे थे लेकिन अब इनमें सबसे आगे हिमंत बिस्वा हैं.
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गौर करने वाली बात ये भी है कि उनके भडकाउ भाषण एवं बयानबाजी के खिलाफ विधि आयोग और सुप्रीम कोर्ट दोनों ही निर्देश दे चुके हैं पर सरमा अपने तेवरों को रत्तीभर भी नहीं छोड़ रहे हैं. वैसे सरमा कांग्रेस पृष्ठभूमि के हैं और 2014 में ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए थे. चूंकि उस समय वे बीजेपी के लिए नए थे, इसलिए शांत थे, लेकिन अब लगता है कि बीजेपी में अपनी जगह सुरक्षित करने और शीर्ष नेतृत्व की नजर में आने के लिए कट्टरपंथी हिंदुत्व को अपनाते हुए मुस्लिम समुदाय पर तीखे हमले कर रहे हैं.
राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो असम में चुनावी सफलता मिलने के बाद उनके मन में राष्ट्रीय राजनैतिक महत्वकांक्षाओं ने जन्म ले लिया है. यही वजह है कि असम में 35 फीसदी आबादी मुस्लिम होने के बावजूद उनके मुस्लिम विरोधी बयानों में नरमी नहीं आ रही है. इससे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बीजेपी को फायर ब्रांड नेता माना जाता था लेकिन सीएम बनने के बाद उनके व्यवहार में नरमी आई और उनकी बयानबाजी समुदाय विशेष पर न होकर गांधी परिवार तक सीमित रही.
आंकड़ों पर एक नजर डालें तो उत्तर प्रदेश में 403 विधानसभा सीटें जहां 50 सीटों पर मुस्लिम वोट असरदार है जबकि असरम में कुल 126 सीटों में से 58 सीटों पर मुस्लिम वोट प्रभावी हैं. असम के 31 जिलों में से 9 में मुस्लिमों का दबदबा है इसलिए बीजेपी के हिंदुत्व मॉडल को सफल बनाने में उत्तर प्रदेश से भी अधिक कारगर असम है. ऐसे में असम के नक्शे पर हिमंत बिस्वा सरमा एक फायर हिंदुत्व ब्रांड बनकर उभरते जा रहे हैं.