बिहार में लोकसभा चुनावों से पहले सियासत जोरों पर चल रही है. टिकट के लिए राजनेताओं का एक दल छोड़कर दूसरे राजनीतिक दलों में पलायन लगातार चल रहा है. सबसे अधिक जो असर पड़ा है, वो है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) पर, जो दिन-ब-दिन खाली होती जा रही है. बीते कुछ दिनों में आधा दर्जन से अधिक दिग्गज पार्टी का हाथ छोड़ राजद को थाम चुके है. कुछ समय से जेडीयू से नाराज चल रही बीमा भारती भी आज ही पार्टी जोड़ राजद में शामिल हुईं. पिछले महीने नीतीश सरकार के विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दौरान भी उन्होंने बागी तेवर अपनाया था.
इससे पहले टेकरी से पूर्व विधायक अभय कुशवाहा और बोधगया से पूर्व एमएलए अजय पासवान सहित दो पूर्व विधायकों ने भी पार्टी का दामन छोड़ दिया. जदयू के पूर्व विधायक दरभंगा के जाले से पूर्व एमएलए रामनिवास प्रसाद और केवटी से विधायक रहे फराज फातमी ने भी नीतीश यादव की पार्टी को छोड़ दिया. कुछ रोज पहले फराज के पिता और जदयू के राष्ट्रीय महासचिव अली अशरफ ने भी नीतीश का हाथ छोड़ा था. फिलहाल ये किसी भी राजनीतिक दलों में नहीं गए लेकिन जल्द ही इनके राजद में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं.
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वहीं बात करें बीमा भारती की तो वे विधायकी छोड़ इसलिए राजद में आयीं क्योंकि वे राजद के टिकट पर पूर्णिया संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती हैं. अब धर्म संकट ये है कि बिहार में महागठबंधन की सीटें अभी क निर्धारित नहीं हो पायी हैं. हालांकि पूर्णिया से कांग्रेस में हाल में शामिल हुए पप्पू यादव को पूर्णिया से उम्मीदवार बनाया गया है. ऐसे में दोनों राजनीतिक दलों के बीच थोड़ी बहुत कड़वाहट हो सकती है.
जदयू में लग रही सेंध –
लोकसभा चुनाव से पहले राजद प्रमुख लालू यादव और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव बिहार सीएम नीतीश की पार्टी में सेंध लगा रहे हैं. राजनीति गलियारों में भी इसकी चर्चा है. सीटों के बंटवारे पर महागठबंधन में कोई सहमति न बनने पर लालू एवं तेजस्वी ने सीएम मोदी से मुकाबले करने के लिए अपनी रणनीति में बदलाव किए हैं. राजद का मुख्य फोकस बीजेपी को हराना न होकर जदयू को कमजोर करने और उनके प्रभावी इलाकों में मजबूती से चुनाव लड़ना है.