पाॅलिटाॅक्स न्यूज/बिहार. 2020 के अंत तक बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है. बीजेपी की वर्चुअल रैली के साथ-साथ नीतीश कुमार भी चुनावी अभियान शुरू कर चुके हैं. वहीं लोजपा, आरजेडी और औवसी की पार्टी एआईएमआईएम ने भी चुनावी समर शुरू कर दिया है. क्या बीजेपी, जेडीयू और लोजपा का समीकरण एक बार फिर नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाएगा? या महागठबंधन के तेजस्वी यादव के सिर पर बंधेगा जीत का ताज? क्या मुस्लिम यादव समीकरण से राजद एआईएमआईएम बनाएंगे सत्ता की गणित, या फिर कांग्रेस और राजद के महागठबंधन का बनेगा बड़ा समीकरण? ऐसे ही कई सवालों के साथ बिहार में विधानसभा चुनाव का आगाज होने जा रहा है.
बिहार में मुस्लिम वोटर 17 से 18 फीसदी हैं. वही यादव वोटर 13 से 14 फीसदी है. दोनों मिलकर कुल वोटों का लगभग 33 फीसदी हैं. बिहार की कुल 243 सीटों में से 60 से 70 फीसदी सीट ऐसी हैं, जहां मुस्लिम मतदाता प्रभावी है. 243 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में 122 पूर्ण बहुमत के लिए 122 सीटें चाहिए.
243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में 2015 के चुनाव में लालू यादव की आरजेडी 80 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में उभरी तो नीतीश कुमार की जेडीयू 71 सीटें लेकर दूसरे नंबर पर रही. BJP को 53 सीट मिली तो कांग्रेस को 27 सीटों पर संतोष करना पड़ा. इस चुनाव में लालू यादव की पार्टी आरजेडी और नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के बीच गठबंधन था. लालू यादव की पार्टी के पास अधिक सीटें होते हुए भी सियासी समीकरणों के चलते नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने. लेकिन दोनों दलों के बीच मधुर रिश्ते ज्यादा समय तक नहीं रह सके और नीतीश कुमार ने आरजेडी से गठबंधन तोड़ कर बीजेपी से गठबंधन कर लिया.
यह भी पढ़ें: बिहार विधानसभा चुनावों से पहले होगा ‘सेमीफाइनल’, कांग्रेस-राजद की प्रतिष्ठा दांव पर
इधर बीजेपी इसी मौके की तलाश में थी. बीजेपी ने तुरंत नीतीश को समर्थन दे दिया और इस्तीफा 18 घंटे से भी कम समय में नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बन गए. बीजेपी की ओर से सुशील मोदी बिहार के उपमुख्यमंत्री बन गए. अब बीजेपी ने एक बार फिर नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान किया है. इसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच नीतीश बीजेपी की जोड़ी ने बिहार की 40 में से 39 सीटें जीती. इस चुनाव में बीजेपी के वोट शेयर में काफी बढ़ोतरी हुई.
अब आगे क्या
विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने कमर कस ली है. मतदाताओं को लुभाने का काम शुरू हो गया है. सभी राजनीतिक दल अपने-अपने समीकरण से मतदाताओं की मानसिकता अपने पक्ष में करने के काम में जुट गए है. चुनावी को लेकर हो रहे सर्वे के अनुसार मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच होना है. यानि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के चेहरे के बीच ही पूरा चुनाव होना है.
एनडीए गठबंधन जहां मोदी सरकार और नीतीश सरकार के काम पर वोट मांगने जनता के बीच जाएगा. वहीं महागठबंधन दोनों सरकार की विफलता के साथ देश और राज्य के वर्तमान हालातों को चुनावी मुददा बनाएगा. हालांकि अभी सीटों के बंटवारे को लेकर कई राजनीतिक दलों में बातचीत चल रही है. इस बीच महागबंधन से खबर आई है कि पिछले विधानसभा चुनाव में 40 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस ने इस बार 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का इरादा किया है. आखिरी फैसला तेजस्वी यादव के साथ होने वाली बैठक में ही लिया जाएगा.
यह भी पढ़ें: चीनी मोबाइल कंपनी के विज्ञापन पर कालिख पोतने जेसीबी पर सवार हुए पप्पू यादव
वहीं एनडीए के घटक दल लोजपा के चिराग पासवान ने सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की चिराग घोषणा की है. चिराग पासवान का कहना है कि उनकी रणनीति से एनडीए को फायदा ही होगा. एआईएमआईएम के औवेसी ने भी अधिकांश मुस्लिम प्रभाव वाली सीटों से अपने प्रत्याशी उतारने का एलान किया है. औवेसी चुनाव के बाद किसी दल को समर्थन देने के बारे में तय करेंगे.
चुनाव आयोग ने की तैयारियां शुरू
चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा को लेकर चुनाव की तारीखों का एलान नहीं किया है लेकिन तैयारियां शुरू कर दी है. आयोग ने नई पंजीकृत पार्टियों को चुनाव चिन्ह बांटना शुरू कर दिया है. इसके साथ ही चुनाव टीमों को सूचीबद्ध भी किया जा रहा है.
सर्वे में राजद कांग्रेस गठबंधन आगे
चुनाव से पहले हो रहे सर्वों में एनआरसी, टिपल तलाक और एससीएसटी एक्ट के मामले में बीजेपी को लेकर अल्पसंख्यक और अनुसूचित जाति वर्गों में नाराजगी जताई जा रही है. सर्वे के अनुसार इसका सीधा नुकसान बीजेपी की सीटों को होना बताया जा रहा है. वहीं चूंकि नीति कुमार तीन बार से मुख्यमंत्री हैं, एंटी इंकबेंसी की वजह से उनका कौर वोटर नाराज बताया जा रहा है. सर्वे में बताया गया है कि आरजेडी को 90 और कांग्रेस को 77 सीटें मिल सकती है. वहीं बीजेपी को पिछली बार के मुकाबले 23 सीटों का नुकसान बताया जा रहा है. वहीं जेडीयू को भी सीटों का नुकसान बताया जा रहा है. सर्वे के अनुसार बीजेपी 30 तो जेडीयू के खाते में 40 सीटों का अनुमान लगाया जा रहा है. सर्वे के अनुसार राजद कांग्रेस गठबंधन बीजेपी जेडीयू गठबंधन पर भारी पड़ता नजर आ रहा है.