बिहार विधानसभा चुनावों से पहले होगा ‘सेमीफाइनल’, कांग्रेस-राजद की प्रतिष्ठा दांव पर

एमएलसी चुनावों में दो-दो हाथ करने का शानदार मौका मिलेगा महागठबंधन और जेडीयू-बीजेपी को, 9 सीटों पर होना है चुनाव, नामांकन प्रक्रिया शुरु और अधिसूचना हुई जारी, अभी तक सभी सीटें बीजेपी-जेडीयू के पास

पॉलिटॉक्स न्यूज. बिहार विधानसभा चुनावों में अभी कुछ महीने बाकी हैं लेकिन इससे पहले सेमीफाइनल मैच होने जा रहा है, जो हैं विधान परिषद (MLC) के चुनाव. 9 सीटों पर होने वाले चुनावों के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरु हो गई है. एमएलसी कैंडिडेट 25 जून तक अपना नामांकन दाखिल कर सकेंगे. हालांकि, अभी तक प्रदेश की किसी भी राजनीतिक पार्टी ने अपने एमएलसी प्रत्याशियों के नाम का ऐलान नहीं किया है. विधानसभा चुनावों से पहले सीएम नीतीश कुमार की जेडीयू और गठबंधन सरकार में भागीदार बीजेपी के सामने राजद और कांग्रेस की चुनौती होगी. इन सभी पार्टियों के पास फाइनल चुनावों से पहले एमएलसी चुनावों में दो दो हाथ करने का शानदार मौका है. विधायकों के द्वारा चुनी जाने वाली विधान परिषद के चुनाव 6 जुलाई को होंगे.

विधानसभा चुनाव से पहले होने वाले विधान परिषद के चुनाव को सेमीफाइनल माना जा रहा है. 9 एमएलसी सीटें विधानसभा सदस्यों की संख्या के आधार पर चुनी जानी हैं. ऐसे में एक विधान परिषद के लिए 27 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी. इस तरह से तीन आरजेडी और एक कांग्रेस का सदस्य चुना जाना तय है. अन्य तीन सीटें जेडीयू और दो सीटें बीजेपी के खाते में जा सकती हैं. अभी तक ये सभी सीटें बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के पास थी.

नीतीश सरकार में मंत्री अशोक चौधरी विधायक कोटे से एमएलसी चुनकर आए थे. विधान परिषद के कार्यकारी सभापति हारुण रसीद भी विधायक कोटे से एमएलसी चुनकर आए हैं. इसके अलावा हीरा प्रसाद बिंद, पीके शाही, सतीश कुमार, सोनेलाल मेहता, कृष्ण कुमार सिंह, राधामोहन शर्मा और संजय प्रकाश का कार्यकाल मई के पहले सप्ताह में पूरा हो गया है. सभी जेडीयू और बीजेपी पार्टी के हैं.

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लोकसभा चुनावों में राजद और कांग्रेस ने महागठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़ा था. हालांकि दोनों ही पार्टियां आम चुनावों में कुछ खास नहीं कर पाए. विधानसभा चुनाव भी महागठबधंन में ही लड़ा जाएगा. फिलहाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को महागठबंधन का नेता बनाया जा रहा है. हालांकि अन्य सदस्यों की सहमति अभी बाकी है. राजद भी प्रदेश में अपनी खोई राजनीतिक प्रतिष्ठा वापिस लाने का पूर्ण प्रयास कर रही है जो लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद धूमिल हो चुकी है.

पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में हालांकि नीतीश कुमार की जेडीयू पार्टी नंबर दो की पार्टी रही थी और राजद पहले नंबर पर. पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के इशारे पर नीतीश कुमार को गठबंधन के तहत सीएम की कुर्सी मिली और तेजस्वी को उप मुख्यमंत्री लेकिन राजद की सत्ता में बढ़ती घुसपैठ के चलते नीतीश कुमार ने राजद का साथ छोड़ बीजेपी से हाथ मिला फिर से सरकार बना ली. उसके बाद से राजद और जेडीयू में ठनी हुई है.

दोनों की इस फूट में कांग्रेस राजद का साथ दे रही है. दिल्ली और झारखंड चुनावों में भी दोनों से साथ मिलकर चुनाव लड़ा. हालांकि दिल्ली में दोनों पार्टियां जीत का खाता खोलने में कामयाब नहीं हो पाई थी लेकिन झारखंड में दोनों ने ही विपक्षी पार्टियों को कड़ी टक्कर दी. कांग्रेस ने 22 में से 16 सीटों पर कब्जा जमाया जबकि राजद ने इकलौती सीट पर जीत दर्ज की. दोनों ही पार्टियां झारखंड की सत्ता में भागीदार हैं.

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अब बिहार चुनावों में कांग्रेस और राजद के साथ बीजेपी और नीतीश कुमार की भी नजरें गढ़ी हैं. बिहार चुनावों पर नीतीश कुमार का भविष्य तय करेगा. बिहार में जिस तरह प्रवासी मजदूरों और कोटा में फंसे छात्रों की वापसी पर नीतीश कुमार ने चुप्पी साधी रखी और विपक्ष ने इस मुद्दे को जमकर भुनाया है, उससे विपक्ष की साख बढ़ी है. कांग्रेस राहुल गांधी के नेतृत्व में हालांकि केंद्र की राजनीति में फंसी हुई है लेकिन तेजस्वी यादव और उनके बड़े भाई तेज प्रताप सिंह वक्त-बेवक्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी पर निशाना साधने से नहीं चूक रहे.

बिहार में पोस्टर पॉलिटिक्स तो लंबे समय से चल रही है. आगामी विधानसभा चुनावों में बिहार की सभी चारों प्रमुख पार्टियां गठबंधन में जीतने का दम भर रही हैं. लेकिन हालांकि सदन में मौजूद संख्या बल के आधार पर ये चुनाव लड़ा जाना है लेकिन एमएलसी चुनाव में जोड़ तोड़ का गेम खासा उभर कर सामने आएगा.

कोरोना संक्रमण के चलते चुनाव आयोग ने विधान परिषद के चुनाव की नामांकन प्रक्रिया से लेकर वोटिंग तक के लिए कई दिशा निर्देश जारी किए हैं. प्रत्याशियों के नामांकन के दौरान भीड़-भाड़ ना हो इसलिए उम्मीदवारों को एक साथ बुलाने की बजाय अलग समय पर उन्हें अपना नॉमिनेशन दाखिल करने जाना होगा. इसके अलावा सोशल डिसटेंसिंग सैनिटाइजेशन जैसी चीजों का विशेष ध्यान रखना होगा.

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बिहार विधान परिषद की 9 सीटों पर नामांकन प्रक्रिया शुरु हो चुकी है. अधिसूचना भी जारी कर दी गई है. प्रत्याशी अपना नामांकन 18 जून से 25 जून तक करा सकेंगे. नामांकन पत्रों की जांच 26 जुलाई से होगी जबकि नाम लेने की अंतिम तारीख 29 जून है. विधान परिषद के लिए वोटिंग 6 जुलाई को सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक होगी. उसी दिन शाम को नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे.

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