नहीं रहे चंबल के 672 डाकुओं का सरेंडर कराने वाले ‘भाईजी’, सुब्बाराव के निधन पर दिग्गजों ने जताया शोक

नहीं रहे गांधीवादी विचारक डॉ. एसएन सुब्बाराव, 672 डकैतों ने सुब्बाराव से प्रेरित होकर किया था आत्मसमर्पण, CM गहलोत ने बताया व्यक्तिगत आघात, राज्यपाल और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जताया शोक, मुरैना के जौरा स्थित गांधी आश्रम में दी जाएगी अंतिम विदाई

भाईजी को 'नमन'
भाईजी को 'नमन'

Politalks.News/Rajasthan. वयोवृद्ध गांधीवादी विचारक डॉ. एसएन सुब्बाराव का निधन हो गया है. वो 93 साल के थे. सुब्बाराव भाईजी के नाम से जाने जाते थे. पिछले 6 दिन से वो जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भर्ती थे. सुब्बाराव के निधन से गांधीवादी विचारकों में शोक की लहर दौड़ पड़ी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सुब्बाराव के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है. डॉ. एसएन सुब्बाराव और सीएम गहलोत का नाता बेहद ख़ास और बहुत पुराना है. इसी के चलते उन्होंने इसे व्यक्तिगत आघात और अपूरणीय क्षति बताया है.सीएम कल शाम भी उनकी तबीयत जानने के लिए SMS अस्पताल गए थे. साथ ही राज्यपाल कलराज मिश्र और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी भाई जी के निधन पर शोक जताया है. आपको बता दें कि सुब्बाराव से प्रेरणा लेकर 672 कुख्यात डकैतों ने आत्मसर्मपण किया था.

मुरैना के गांधी आश्रम में दी जाएगी अंतिम विदाई
पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित सुब्बाराव का आज सुबह करीब 6 बजे जयपुर के SMS अस्पताल में निधन हो गया. भाईजी का पार्थिव देह जयपुर के विनोभा भावे केन्द्र में अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया है. सुब्बाराव का पार्थिव शरीर दोपहर 12 बजे जयपुर से मुरैना के लिए रवाना होगा. शाम को 5 बजे मुरैना बैरियर चौराहे पर पहुंचेगा. इसके बाद जौरा स्थित गांधी आश्रम में ले जाया जाएगा. वहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

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भाईजी से निधन से मुझे लगा व्यक्तिगत आघात- सीएम गहलोत
‘भाईजी’ के निधन पर मुख्यमंत्री गहलोत ने गहरा दुख जताया है. मुख्यमंत्री गहलोत ने ट्वीट करते हुए कहा कि, ‘वयोवृद्ध गांधीवादी, भाईजी डॉ एसएन सुब्बाराव जी के निधन से मुझे व्यक्तिगत रूप से बेहद आघात पहुंचा है. 70 वर्षों से अधिक समय से देश के युवाओं से जुड़कर, लगातार अपने शिविरों के माध्यम से उन्हें प्रेरणा देने वाले देश की पूंजी गांधीवादी विचारक और प्रेरक का देहांत एक अपूरणीय क्षति है’. सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘भाईजी ने जीवनपर्यन्त युवाओं को जागरूक करने की मुहिम चलाई, विदेशों में भी वहां पर नई पीढ़ी को देश के बारे में बताया, यहां के संस्कार, संस्कृति, अनेकता में एकता का सन्देश उन तक पहुंचाने का कार्य किया. उनके शिविरों में आकर मुझे बेहद सुकून महसूस होता रहा’.

सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘उनके प्रेरणागीत और विचार प्रेरणादायी सन्देश देते रहेंगे. हम सौभाग्यशाली हैं कि राजस्थान में उनका सानिध्य हमको मिलता रहा. ईश्वर से प्रार्थना है उनके सहयोगियों एवं फॉलोवर्स को इस बेहद कठिन समय में सम्बल प्रदान करें एवं दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें’.

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गांधीवादी ने अपना जीवन राष्ट्रसेवा को किया था समर्पित- पायलट
पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने भी सुब्बराव के निधन पर शोक जताया है. पायलट ने कहा कि, ‘महान गांधीवादी विचारक डॉ. एस.न. सुब्बाराव जी के निधन की खबर अत्यंत दुखद है. महात्मा गांधी जी के आदर्शों का अनुसरण कर उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रसेवा के प्रति समर्पित कर दिया. मेरी ईश्वर से प्रार्थना है दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें व उनके प्रशंसकों को यह आघात सहने का संबल दें’.

9 अगस्त 1942 को मात्र 13 साल की उम्र में जुड़ गए आजादी आंदोलन से
गांधीवादी विचारक डॉ. एसएन सुब्बाराव का कर्नाटक के बेंगलुरु में 7 फरवरी 1929 को जन्म हुआ था. सुब्बाराव स्कूल में पढ़ते समय महात्मा गांधी की शिक्षा से प्रेरित थे. वह 9 अगस्त 1942 को मात्र 13 साल की उम्र में आजादी आंदोलन से जुड़ गए थे. ब्रिटिश पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने पर उन्होंने दीवार पर ‘QUIT INDIA’ लिखा था. तभी से सुब्बा राव स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय हो गए थे. उन्होंने छात्र जीवन के दौरान स्टूडेंट कांग्रेस और राष्ट्र सेवा दल के कार्यक्रमों में भाग लिया था. सुब्बाराव पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित थे.

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डॉ. एसएन सुब्बाराव 1951 में कांग्रेस सेवा दल में हुए थे शामिल
गांधीवादी विचारक डॉ. एसएन सुब्बाराव 1951 में कांग्रेस सेवा दल में शामिल हुए थे. इसके बाद लगातार कांग्रेस सेवा दल में कार्य करते रहे. उन्होंने पूरे भारत में यूथ शिविरों का आयोजन किया. युवाओं और महिलाओं के बीच सुब्बाराव की लोकप्रियता थी. उन्हे अपने कार्य के कारण पं. जवाहरलाल नेहरू का स्नेह मिला था. सुब्बाराव ने 1969 में ‘गांधी शताब्दी’ मनाने की जिम्मेदारी भी निभाई थी. उसके बाद उन्होंने 1970 में राजनीतिक दल के बजाय देश की सेवा करने का संकल्प लिया.

सुब्बाराव ने चंबल के 672 डकैतों का करवाया था आत्मसमर्पण
डॉ. एसएन सुब्बाराव की कर्मस्थली मुरैना रही. मध्य प्रदेश के मुरैना में महात्मा गांधी सेवा आश्रम की स्थापना की थी. सुब्बाराव से प्रेरित होकर आश्रम में मोहर सिंह, माधो सिंह जैसे कुख्यात कई डकैतों ने आत्मसमर्पण किया था. यहां उन्होंने सन 1970 के दशक में 672 डाकुओं का सरेंडर कराया था। आश्रम में आज भी 5 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है. मध्य प्रदेश के इतिहास में एसएन सुब्बाराव को हमेशा याद किया जाएगा. चंबल में डाकुओं की समस्या तत्कालीन नहीं थी बल्कि पीढ़ियों पुरानी थी. जिन 672 डकैतों ने श्री सुब्बाराव के कहने पर आत्मसमर्पण किया वह सभी खुद को अपराधी नहीं बल्कि बागी कहते थे. डाकू बनने के पीछे सबकी अपनी कहानी थी और हर कहानी के मूल में सरकार का फैलियर था या फिर पुलिस का अत्याचार था. इस तरह के बागियों के मन में सरकार के प्रति विश्वास जगाना और 5000 से ज्यादा लोगों की हत्या कर चुके 672 डाकुओं को सरेंडर के लिए राजी कर लेना निश्चित रूप से वर्ल्ड रिकॉर्ड है.

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