Politalks.News/Kejriwal/AAP. दिल्ली के बाद पंजाब में भारी बहुमत से सरकार बनाने के बाद आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) अब बाकी राज्यों में अपनी मजबूती के लिए जुट गई है. खासतौर पर पार्टी की नजर अब उन राज्यों पर है जहां जल्द ही चुनाव होने वाले हैं. इनमें गुजरात, हिमाचल और राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे बड़े राज्य भी शामिल हैं. इनमें से हिमाचल और गुजरात में इसी साल और राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में अगले साल चुनाव होने हैं. आम आदमी पार्टी ने इन राज्यों (Election States) में अपना संगठन मजबूत करना शुरू कर दिया है. आप ने अब 9 राज्यों में लोगों को अलग-अलग जिम्मेदारी दी है. लेकिन सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की है कि नए राज्यों में नेता कहां से लाएंगे अरविंद केजरीवाल? (Arvind Kejriwal) सियासी जानकारों का कहना है कि आने वाले चुनावी राज्यों में पार्टी के पास न तो संगठन है ना ही बड़े नेताओं का फेस, ऐसे में पार्टी दूसरी पार्टी के नाराज नेताओं पर ही निर्भर रहेगी.
आपको बता दें, छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ नेता और राज्य सरकार के मंत्री टीएस सिंहदेव के हाल दिए एक बयान ने जबर8सियासी हलचल मचा दी है. देव ने बताया कि आम आदमी पार्टी की तरफ से उनसे संपर्क किया गया था और पार्टी में शामिल होने का प्रस्ताव दिया गया था. आम आदमी पार्टी इस पर चाहे जो भी कहे लेकिन यह सुन कोई हैरानी नहीं हुई क्योंकि जिन राज्यों में उसे आगे राजनीति करनी है वहां उसके पास नेता नहीं हैं, इसलिए ऐसे में उसे दूसरी पार्टियों से ही नेता लेने ही होंगे.
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बात करें, पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की तो यहां से खबर है कि केजरीवाल के करीबी जो नेता वहां चुनाव लड़ाने पहुंचे हैं वे भाजपा के नाराज नेताओं के संपर्क में हैं. यहां कहा जा रहा है कि प्रेम कुमार धूमल खेमे में रहे कई नेताओं से आप ने संपर्क किया है. ध्यान रहे केजरीवाल ने दुर्गेश पाठक को हिमाचल प्रदेश का प्रभारी बना कर भेजा है, जो पहले पंजाब में प्रभारी थे. पाठक पंजाब में कमाल दिखा चुके हैं. अब उनकी अग्निपरीक्षा पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में होनी है.
सियासी गलियारों में चर्चा है कि असल में दिल्ली के बाद पंजाब एकमात्र राज्य है, जहां आप के पास उसके पुराने नेता बचे हुए थे. बाकी राज्यों में पार्टी ने खुद ही नेताओं को खत्म कर दिया या कुछ नेता पार्टी छोड़ कर चले गए. जिसके चलते इन राज्यों में पार्टी को नए नेता खोजने हैं. गुजरात और हरियाणा में भी आम आदमी पार्टी नए नेताओं की तलाश कर रही है और इस क्रम में उसकी नजर कांग्रेस और भाजपा के नेताओं पर है.
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इसी क्रम में हरियाणा से पूर्व कांग्रेसी सांसद और पश्चिम बंगाल चुनाव के समय ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी का दामन थामने वाले अशोक तंवर को आम आदमी पार्टी ने अपने साथ शामिल कर लिया है. वहीं भाजपा से अलग एक नया संगठन बनाने वाले बीरेंद्र सिंह हरियाणा में आप की राजनीति कर रहे हैं और इसके आलावा यहां पहले से नवीन जयहिंद आप के पास हैं. साथ ही हरियाणा और गुजरात दोनों जगह कांग्रेस के कुछ नेता भी आप के संपर्क में हैं.
आपको बता दें, राजस्थान में भी पार्टी के कमोबेश हालात ऐसे ही हैं. मरुप्रदेश में आम आदमी पार्टी का ना तो संगठन है और ना ही कोई बड़ा नेता, केजरीवाल ने अपने करीबी विनय मिश्रा को राजस्थान में पार्टी का कामकाज बढ़ाने की जिम्मेदारी दी है. इससे पहले पूर्व आप नेता कविराज कुमार विश्वास और सांसद संजय सिंह राजस्थान का कामकाज देख चुके हैं. राजस्थान में आम आदमी पार्टी को कांग्रेस और भाजपा से नाराज नेताओं से ज्यादा आस है. साथ ही सियासी जानकारों की मानें तो कुछ महत्वकांक्षी युवा नेता भी पार्टी के साथ जा सकते हैं. लेकिन जानकारों का यह भी कहना है कि मरुधरा के सियासी दिग्गजों से मुकाबला करने के लिए एक सशक्त चेहरे की जरुरत होगी जो अभी पार्टी के पास नहीं है. आने वाले दिनों में कांग्रेस या भाजपा में से ही पार्टी को किसी बड़े चेहरे के दल बदलने की संभावना पर काम करना पड़ेगा.