पॉलिटॉक्स ब्यूरो. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पिछले वसुंधरा राजे सरकार का एक और बड़ा निर्णय बदलने जा रही है. गहलोत सरकार पंचायत चुनाव (Panchayatiraj Election) में दो से अधिक संतान होने पर चुनाव न लड़ पाने की बाध्यता खत्म करने पर विचार कर रही है. सूत्रों के अनुसार, इसके लिए सरकार ने अयोग्यता संबंधी नियम में बदलाव करने की तैयारी भी शुरु कर दी है. कांग्रेस सरकार की पहली वर्षगांठ यानि 17 दिसम्बर को हो सकती है इसकी घोषणा. आगामी पंचायतीराज चुनावों को देखते हुए ये बड़ा फैसला माना जा रहा है.
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इससे पहले पिछली वसुंधरा राजे सरकार ने एक कानून लाकर दो से अधिक संतान होने पर स्थानीय निकाय एवं पंचायतीराज संस्थाओं (Panchayatiraj Election) में चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी. राजस्थान पंचायतीराज अधिनियम-1994 की धारा 19 में संशोधन कर दो से अधिक संतान होने पर पंचायत चुनाव लड़ने के लिए अयोग्यता संबंधी प्रावधान किया गया था. इसके तहत 1995 से पहले जिनके दो या दो से अधिक बच्चे हैं, उन्हें 1995 के पश्चात एक और बच्चा होने की स्थिति में चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित किया गया. हालांकि उस समय पंचायती राज संस्थाओं से जुड़े जनप्रतिनिधियों ने इस फैसले का विरोध किया था.
बता दें, राज्य में अगले साल की शुरुआत में पंचायतीराज (Panchayatiraj Election) के चुनाव प्रस्तावित हैं. ग्रामीण सरकार के ये चुनाव दो या इससे अधिक चरणों में संपन्न हो सकते हैं. इसके लिए प्रदेशभर में 25 दिसम्बर के आसपास आदर्श अंचार संहित लगने की उम्मीद है. इस बार पंचायतों और पंचायत समितियों का पुनर्गठन किया गया है.
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गौरतलब है कि इससे पहले भी गहलोत सरकार पिछली सरकार के कई फैसलों को बदल चुकी है. गहलोत कैबिनेट की पहली बैठक में पंचायत चुनाव में लगी 10वीं पास की शैक्षिणक बाध्यता को समाप्त कर दिया था. साथ ही सरकारी लेटर हैड से आरएसएस विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम हटाने पर भी मुहर लगी थी. हाल ही में गहलोत सरकार ने स्टेट हाइवे ओर निजी वाहनों पर टोल टैक्स को भी फिर से लागू कर दिया जिसे वसुंधरा राजे सरकार ने चुनाव से कुछ महीनों पहले फ्री कर दिया था. इसके अलावा, मीसाबंदियों की पेंशन योजना को भी बंद कर दिया गया है. स्कूलों की पाठ्यपुस्तकों में सावरकर के आगे से वीर शब्द हटाने के जैसे और भी बदलाव पहले ही किया जा चुके हैं. (Panchayatiraj Election)