Politalks.News/Bengal/MamataBanerjee. इस बात में कोई शक नहीं है कि AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) को बिहार चुनावों में जबरदस्त सफलता हाथ लगी है. ओवैसी की पार्टी के पांच सदस्य जीतकर बिहार विधानसभा में पहुंच गए हैं. ओवैसी की इस सफलता को एक नेशनल पार्टी की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है. बिहार चुनाव परिणामों के आधार पर सफलता के घोड़े पर सवार ओवैसी पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में ताल ठोकने की बात पहले ही कह चुके हैं. इन परिणामों से ओवैसी इतने उत्साहित हैं कि बंगाल में टीएमसी प्रमुख और वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ही गठबंधन का न्यौता दे दिया.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) के केंद्रीय प्रवक्ता ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि अगर तृणमूल कांग्रेस चाहे तो वो पश्चिम बंगाल में एक गठबंधन के अंतर्गत चुनाव लड़ सकते हैं. यानी सीधे तौर पर कहें तो पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले ओवैसी की पार्टी ने ममता बनर्जी के सामने गठबंधन के दरवाजे खोल दिए हैं.
दरअसल इस बार टीएमसी और ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की हालात पश्चिम बंगाल में ठीक नहीं हैं. लोकसभा चुनाव में ही बीजेपी यहां अपनी सियासी जमीन तलाश कर चुकी है. 2014 के आम चुनावों में जहां बीजेपी को ममता के गढ़ में केवल दो सीटें मिली थी, वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 18 सीट अपने कब्जे में लेकर ममता बनर्जी की धड़कने बढ़ा दी. उसके बाद से बीजेपी ममता पर और सीएम ममता बनर्जी बीजेपी पर लगातार हमलावर हैं.
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हालात ये रहे कि कई मौकों पर ममता दीदी ने गृहमंत्री अमित शाह के हैलिकॉप्टर्स को अपने गढ़ में उतरने तक नहीं दिया. वहीं बीजेपी पार्टी कार्यकर्ताओं की हत्या और बंगाल में फैल रही अराजकता को आतंकी घटनाओं का नाम देकर घेरने में लगे हुए हैं. हाल में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष दिलीप घोष के काफिले पर हुए हमले को लेकर भी ममता सरकार घिरी हुई है.
यहां बीजेपी ने ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में सेंध भी लगानी शुरु कर दी है. इसमें पहला नाम है शुभेंदु अधिकारी का, जिन्होंने बगावत कर ममता सरकार के खिलाफ झंडा उठा लिया है. माना यही जा रहा है कि वे जल्दी बीजेपी में शामिल होंगे. अगर ऐसा होता है तो ममता के गढ़ में एक बड़ा छेद हो जाएगा जिसमें से गुजरते हुए बीजेपी आसानी से सत्ता की चाबी पाने में सफल हो सकती है. टीएमसी में वैकल्पिक पावर सेंटर के तौर पर उभर रहे शुभेंदु अधिकारी पूर्वी मिदनापुर के साथ ही आसपास के सात जिलों में अपना प्रभाव रखते हैं. ममता के लिए ये परेशानी वाली बात है.
इसी बीच ओवैसी की ओर से टीएमसी के लिए गठबंधन का न्यौता आया है. बंगला शेरनी को उसी के गढ़ में इस तरह का निमंत्रण ओवैसी की बढ़ी हुई हिम्मत और सफलता का घोतक है. बंगाल में कांग्रेस पहले से ही टीएमसी के समर्थन में है. ऐसे में ओवैसी का ये पैतरा कांग्रेस की सीनियर लीडरशिप को सोचने पर मजबूर कर सकता है.
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इधर, ओवैसी के ममता बनर्जी को साथ आने का निमंत्रण देने पर बीजेपी ने निशाना साधा है. बीजेपी के बंगाल प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने चुटकी लेते हुए कहा कि AIMIM हमें हराने के लिए ‘सेक्युलर पार्टियों’ को जोड़ रही है. अब हमें एआईएमआईएम-टीएमसी गठबंधन को लेकर कुछ नहीं कहना है. हमें कोई दिक्कत नहीं है. हम लोगों ने यह जीत संगठनात्मक मजबूती की वजह से हासिल की है. हम लोग आने वाले समय में इसी मजबूती के जोर पर बंगाल में भी सत्ता बदल देंगे.