पॉलिटॉक्स ब्यूरो. पहले दिल्ली के रामलीला मैदान और उसके बाद राजस्थान में हुई युवा आक्रोश रैली के बाद यही माना जा रहा था कि राहुल गांधी की फिर से ताजपोशी की तैयारियां शुरु हो गई हैं. तय माना जा रहा था कि राहुल गांधी ही फिर से कांग्रेस के ‘सरताज’ यानि कांग्रेस अध्यक्ष बनेंगे. कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता भी इस बात का समर्थन कर चुके हैं लेकिन अब राहुल गांधी ने एक बार फिर इन अटकलों को विराम देते हुए कांग्रेस की कमान संभालने से मना कर दिया. संसद के सेंट्रल हॉल में उन्होंने इन सभी खबरों को सिरे से नकारते हुए तीन बार कांग्रेस अध्यक्ष पद को ‘ना’ कहा.
राहुल गांधी शुक्रवार को संसद के सेंट्रल हॉल में पत्रकारों के साथ बात कर रहे थे. जब मीडिया ने उनसे सवाल किया गया कि आप दोबारा कांग्रेस अध्यक्ष कब बनेंगे? उसके जवाब में राहुल गांधी ने कहा, ‘मैं कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बन रहा हूं.’ उन्होंने अपने इस बयान को तीन बार कहा, ‘नहीं बनूंगा, नहीं बनूंगा, मैं कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं बनूंगा’.
गौरतलब है कि आम चुनाव-2019 के नतीजे आते ही राहुल गांधी ने पार्टी के भीतर अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश कर दी थी. परिवार और पार्टी से बड़े नेताओं से समझाने के बाद भी वे नहीं माने और जून, 2019 में हार की ज़िम्मेदारी लेते हुए कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया. उन्होंने कहा था कि जब तक वे खुद हार की ज़िम्मेदारी नहीं लेंगे तो दूसरों को कैसे ज़िम्मेदार ठहरा सकता हैं. इसके बाद लंबे विचार विमर्श के बाद पूर्व पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को फिर से पार्टी की कमान संभालाते हुए अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया. कांग्रेस के इस फैसले के बाद से ही लगने लगा था कि राहुल गांधी को वक्त आने पर फिर से रिलॉन्च किया जाएगा.
दबे हुए स्वरों में कांग्रेस पार्टी में इस बात को लेकर भी चर्चा थी कि दिल्ली चुनाव के बाद सोनिया गांधी पार्टी में बड़े बदलाव करेंगी. कुछ समय पश्चात अधिवेशन बुलाकर कर राहुल गांधी की ताजपोशी भी कर दल जाएगी लेकिन राहुल गांधी के आज के स्टेटमेंट के बाद इस तरह की अटकलों को फिर से विराम मिल गया.
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देखा जाए तो कांग्रेस आम चुनाव के 8 महीने बाद भी लोकसभा चुनाव की हार को न तो पचा पाई है और न ही उभर पाई. पार्टी को आम चुनावों में 100 से 125 सीटें जीतने की उम्मीद थी लेकिन हुआ कुछ ऐसा जो बीजेपी की सोच से भी कहीं आगे रहा. कांग्रेस केवल 52 सीटों पर सिमट गई. बीजेपी को 305 और एनडीए को 350+ सीटें मिली. इस हार के दंश को कांग्रेस अब तक भुला नहीं पाई. इसका असर हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में भी देखने को मिला जहां पार्टी के स्टार प्रचार राहुल गांधी ने गिनी चुनी सभाएं की. दिल्ली चुनावों में भी राहुल गांधी ने अंतिम दिनों में प्रचार कार्य संभाला, जबकि प्रियंका ने भी केवल दो सभाओं में हिस्सेदारी निभाई.