पॉलिटॉक्स न्यूज. जम्मू-कश्मीर के पूर्व वित्त मंत्री अल्ताफ बुखारी ने विभिन्न राजनीतिक दलों को छोड़कर आए करीब 30 नेताओं के साथ मिलकर नई पार्टी के गठन का एलान किया. इस नई राजनीतिक पार्टी का नाम है ‘जेके अपनी पार्टी‘. पार्टी अध्यक्ष के अनुसार, पार्टी का मकसद जम्मूृ-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिलाना और शिक्षा व नौकरियों में डोमिसाइल अधिकार दिलाना है. बुखारी को एक दिन पहले ही पार्टी का प्रधान चुना गया है. बुखारी कश्मीर की अमीराकदल विधानसभा से पीडीपी के विधायक थे.
अपने निवास स्थान पर पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए बुखारी ने कहा कि पार्टी आम लोगों द्वारा आम लोगों के लिए बनाई गई है. इसमें सभी आम लोग ही शामिल हैं. हम लोगों के बीच ऐसे सपने नहीं बेचेंगे जो पूरे नहीं हो सकते. हम लोगों की आम समस्याओं का समाधान करवाने का प्रयास करेंगे.
बुखारी ने अपनी पार्टी को अन्य राजनीतिक दलों से बिल्कुल अलग बताया. साथ ही नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी का नाम लिए बगैर कहा कि यह किसी परिवार ने नहीं बनाई है. उन्होंने संदेश जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें नहीं लगता कि चुनाव जल्दी होंगे. इसके लिए अभी कम से कम एक साल का समय लगेगा. तब तक हमें मिलकर लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए काम करना होगा.
बुखारी के साथ पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस तथा कांग्रेस सरकारों में मंत्री/विधायक रहे कई नेता जेके अपनी पार्टी में शामिल हुए. इन नेताओं में इनमें पूर्व मंत्री तथा पीडीपी के संस्थापक सदस्य रहे गुलाम हसन मीर, पीडीपी के महासचिव रहे तथा पूर्व मंत्री दिलावर मीर, पूर्व मंत्री चौधरी जुल्फिकार अहमद, मोहम्मद अशरफ मीर, अब्दुल मजीद पाडर, एजाज अहमद खान, उस्मान मजीद, पूर्व मुख्य सचिव विजय बकाया सहित कई अन्य नेता शामिल हैं. शामिल नेताओं के अनुसार, हमने एक ऐसा प्लेटफार्म तैयार किया है जो लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप काम करेगा.
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वहीं पार्टी लक्ष्यों को सबके सामने रखते हुए पार्टी प्रधान ने कहा कि जेके अपनी पार्टी जम्मू-कश्मीर के लोगों के स्वाभिमान को लौटाने के लिए काम करेगी. बुखारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बनाकर यहां के लोगों के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाई गई है. उनकी पार्टी का मुख्य एजेंडा जम्मू-कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाना है तथा यहां के लोगों को डोमिसाइल अधिकार दिलाना है. याद दिला दें, पिछले साल पांच अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन करके इसे कश्मीर और लद्दाख सहित दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया और यहां का विशेषाधिकार भी खत्म कर दिया.