PoliTalks.News/Rajasthan. राजस्थान के बहुचर्चित भरतपुर राजा मानसिंह हत्याकांड (Raja Mansingh Hatyakand) में आज 35 साल बाद निर्णायक फैसला आ ही गया. बीते दिन मंगलवार को भरतपुर रियासत के राजा मानसिंह हत्याकांड मामले में कोर्ट ने 11 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था. बुधवार को मथुरा जिला सेशन कोर्ट की जिला एवं सेशन न्यायाधीश साधना ठाकुर ने फैसला सुनाते हुए सभी 11 दोषी पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. दोषी ठहराए गए सभी अभियुक्तों को कड़ी सुरक्षा में अस्थाई जेल पहले ही भेजा जा चुका है. हत्याकांड में 14 पुलिसकर्मी शामिल थे जिनमें से तीन को अदालत ने बरी किया है. अदालत के फैसले पर राजा मानसिंह की पुत्री और पूर्व सांसद कृष्णेंद्र कौर दीपा ने संतुष्टि जताते हुए इंसाफ मिलने की बात कही.
दरअसल, भरतपुर के राजा मानसिंह और उनके दो साथियों ठाकुर सुमेर सिंह व हरी सिंह की राजस्थान पुलिस ने 21 फरवरी 1985 को मुठभेड़ में हत्या कर दी थी. इस हत्याकांड के बाद राजा मानसिंह के दामाद विजय सिंह ने तत्कालीन डीग सीओ कान सिंह भाटी, थाना प्रभारी वीरेंद्र सिंह सहित अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. जयपुर सेशन कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू हुई थी. इसके बाद पीड़ित पक्ष के प्रार्थना पत्र पर सर्वोच्च न्यायालय ने दिसंबर 1990 में मुकदमे की सुनवाई मथुरा जिला जज की अदालत में शुरू हुई.
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भरतपुर रियासत के राजा मानसिंह हत्याकांड में शामिल 14 आरोपियों में से 11 को कोर्ट ने दोषी माना है. तीन आरोपियों को बरी कर दिया गया है. प्रदेश के इस बहुचर्चित 35 साल पुराने इस मुकदमे की सुनवाई के लिए मंगलवार को राजा मानसिंह की बेटी दीपा सिंह, उनके पति विजय सिंह भी फैसल के दौरान मथुरा कोर्ट पहुंचे थे.
बता दें, 20 फरवरी 1985 को चुनावी माहौल के बीच राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर का हेलीकॉप्टर जीप से टक्कर मारकर तोड़ दिया था, चुनावी मंच भी तोड़ दिया था. इस मामले की एफआईआर दर्ज करने के एक दिन बाद 21 फरवरी 1985 को डीग विधानसभा क्षेत्र के निर्दलीय उम्मीदवार राजा मान सिंह अपनी जीप लेकर चुनाव प्रचार के लिए डीग थाने के सामने से निकले थे. उस समय पुलिस ने उन्हें घेरकर ताबड़तोड़ फायरिंग की, जिसमें राजा मानसिंह के साथ सुमेर सिंह और हरी सिंह की मौत हो गई.
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घटना के बाद डीग थाना के एसएचओ वीरेंद्र सिंह ने राजा मान सिंह के दामाद विजय सिंह सिरोही के खिलाफ 21 फरवरी को धारा 307 की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. हालांकि विजय सिंह को उसी रात जमानत मिल गई और 22 फरवरी को राजा मान सिंह का दाह संस्कार महल के अंदर करने के बाद 23 फरवरी को विजय सिंह ने डीग थाने में राजा मान सिंह और दो अन्य की हत्या का मामला दर्ज कराया. इसमें सीओ कान सिंह भाटी, एसएचओ वीरेंद्र सिंह सहित 14 पुलिसकर्मियों को आरोपी बनाया गया था.
केस के हाई-प्रोफाइल होने की वजह से इसको जल्द ही जांच के लिए सीबीआई के हवाले कर दिया गया. इसके साथ ही मामले की सुनवाई राजस्थान के बाहर मथुरा के न्यायालय में कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था. तब से इस मामले में अब तक करीब 78 बार गवाही हुई और अब आखिरकार इस मामले में आज फैसला आ गया. इस केस में 35 सालों में 1700 से अधिक तारीखे पडी और 8 बार फाइनल बहस हुई. इस केस के 14 में से तीन आरोपियों को बरी कर दिया गया है जबकि तीन आरोपियों की मौत हो चुकी है. ज्यादातर की उम्र 80 के करीब है.