Politalks.News/UttarpradeshAssemblyElection. कड़ाके की ठंड के बीच उत्तरप्रदेश की राजनीति ने गर्माहट पैदा कर दी है. उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly eleciton) की तारीखों के एलान के बाद से ही प्रदेश में नेताओं के दल बदलने की जैसे होड़ से मची है. हाल ही में योगी सरकार में मंत्री रह चुके स्वामी प्रसाद मौर्या, धर्म सिंह सैनी और दारा सिंह चौहान के साथ कई विधायकों के साइकिल पर सवार होने से भाजपा को तगड़ा झटका लगा है. लेकिन सूत्रों की मानें तो अब बीजेपी भी समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को बड़ा झटका देते हुए बदला लेने की तैयारी कर रही है. सियासी गलियारों में ये चर्चा अब जोर पकड़ चुकी है कि, ‘सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और नेताजी के नाम से मशहूर मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh yadav) की ‘बहु’ जल्द ही बीजेपी में शामिल हो सकती है और साथ ही वह आगामी चुनाव में सपा के सामने चुनौती बनकर उभरने वाली हैं.’
सूबे में एक ओर जहां समाजवादी पार्टी जहां बीजेपी को कमजोर करने के लिए ओबीसी कैटेगरी के नेताओं को सपा में शामिल कर मजबूत कर रही है. वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व के खिलाफ उठी आवाज और सरकार के खिलाफ एंटी इंकमबेंसी के बावजूद BJP अब जवाबी प्रहार की तैयारी कर रही है. इसके लिए भारतीय जनता पार्टी मुलायम परिवार की बहु अपर्णा यादव का सहारा लेने वाली है. सियासी गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि मुलायम सिंह यादव की छोटी बहु यानी अखिलेश यादव के छोटे भाई की पत्नी कभी भी भाजपा में शामिल हो सकती है.
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इसी बीच खबर यह भी आ रही है कि अपर्णा यादव आज ही आईपीएस की नौकरी छोड़ने वाले असीम अरुण के साथ ही बीजेपी में शामिल होंगी लेकिन असीम अरुण के अकेले बीजेपी जॉइन करने के बाद सभी कयासों पर अब विराम लग चुका है. पॉलिटॉक्स से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अपर्णा यादव और बीजेपी नेताओं के बीच अब भी कहीं न कहीं पेंच फंसा हुआ है. दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव (Aparana Yadav) लखनऊ कैंट विधानसभा से समाजवादी पार्टी के टिकट पर 2017 में चुनाव हार चुकी हैं. चुनाव हारने के बाद भी अपर्णा यादव लखनऊ कैंट क्षेत्र में सक्रिय रही हैं. ऐसे में अपर्णा चाहती है कि भाजपा एक बार फिर उन्हें लखनऊ कैंट सीट से ही मैदान में उतारे. जबकि बीजेपी के लिए यहां यह थोड़ा मुश्किल है.
वहीं जब बीजेपी नेताओं से इस बारे में सवाल पूछा गया तो गोलमोल से जवाब सामने आने लगे. बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी से जब ये सवाल पूछा गया कि क्या अपर्णा यादव भाजपा के साथ आ रही हैं तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि, ‘अभी उनके आने की हमारे पास कोई खबर नहीं है, लेकिन वो आएंगीं तो हम स्वागत करेंगे. कोई भी भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करने के लिए आएगा, उत्तर प्रदेश को मजबूत करने के लिए आएगा तो हम उसका स्वागत करेंगे.’
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आपको बता दें कि, ‘अपर्णा यादव मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना यादव के बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं. प्रतीक यादव को मुलायम सिंह यादव ने न सिर्फ अपनाया बल्कि उन्हें अपना नाम भी दिया. अपर्णा यादव समाजवादी पार्टी के टिकट पर 2017 में लखनऊ कैंट से टिकट दिया था लेकिन वे चुनाव हार गईं. हार के बावजूद भी अपर्णा यादव इस क्षेत्र में पूरी तरह से सक्रिय रही और इस विधानसभा क्षेत्र में उन्हें एक समाजसेवी के रूप में भी पहचान मिली. योगी आदित्यनाथ जब मुख्यमंत्री बने थे उन्होंने अपर्णा यादव को लखनऊ में अपनी गोशाला में बुलाया था. इस घटना को जबरदस्त मीडिया कवरेज भी मिली थी. इसे अखिलेश यादव से उनकी नाराजगी के तौर पर भी देखा गया था.
वहीं राजनीतिक हलकों में ये चर्चा भी जोर पकड़ रही है कि, ‘मुलायम सिंह यादव की बड़ी बहु और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव और अपर्णा यादव के बीच कुछ भी ठीक नहीं है. शादी के कुछ समय बाद से ही दोनों के रिश्तों में थोड़ी खटास आ गई थी. हालांकि सार्वजनिक तौर पर कभी भी डिंपल यादव ने अपर्णा को लेकर किसी भी तरह की कोई टिप्पणी नहीं की है. माना जा रहा है कि डिंपल की करीबी महिला नेता को पार्टी में बढ़ावा दिए जाने से भी अपर्णा असहज हो सकती हैं. वहीं समाजवादी पार्टी छोड़कर बीजेपी की तरफ जाने की चर्चाओं पर टिप्पणी करते हुए सपा के एक नेता कहते हैं, ‘अपर्णा समाजवादी पार्टी में बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं रही लेकिन फिर मैं उनसे कहना चाहता हूं कि उन्हें पार्टी की नीतियों और नेतृत्व पर भरोसा करना चाहिए.
हालांकि अपर्णा यादव के बीजेपी में जाने की चर्चाएं तो हैं लेकिन उन्हें लखनऊ कैंट से ही टिकट मिले यह अभी साफ़ नहीं है. क्योंकि अगर अपर्णा बीजेपी में आती है तो पार्टी के अन्य नेताओं में नाराजगी बढ़ सकती है. कांग्रेस से भाजपा में आई पूर्व कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी भी इस सीट से अपने बेटे के लिए टिकट मांग रही हैं. रीता बहुगुणा जोशी इस सीट से लगातार जीतती रही हैं. 2017 में इस सीट से जीत दर्ज करने के बाद 2019 में लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए जोशी ने यह सीट छोड़ दी थी. वहीं उपचुनाव जीतने वाले मौजूदा बीजेपी विधायक सुरेश चंद्र तिवारी भी यहां से टिकट के मजबूत दावेदार हैं. ऐसे में बीजेपी भी अब पशोपेश में हैं कि क्या करे?
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वहीं सूत्रों का कहना है कि समाजवादी पार्टी लखनऊ कैंट से सौम्या भट्ट को चुनाव लड़वाने की तैयारी कर रही है. सौम्या भट्ट भी अपर्णा यादव की तरह ही समाजसेवी के रूप में काम करती रही हैं. अब देखना ये होगा कि आखिर कब अपर्णा यादव बीजेपी में शामिल हो सपा को झटका दे या फिर वहीं रहकर सौम्य भट्ट की जगह चुनाव लड़ने की तैयारी करें. सियासी जानकारों का कहना है कि जिस तरह की सियासी हवा प्रदेश में चल रही है उस हिसाब से अपर्णा यादव का बीजेपी में शामिल होना घाटे का सौदा साबित हो सकता है. लेकिन राजनीति में कहा जाता है कि ‘कब कहां क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता.’