Politalks.News/Rajasthan. तो क्या अशोक गहलोत बनेंगे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष? सवाल छोटा सा नजर आ सकता है लेकिन इसके जवाब की पृष्ठभूमि पिछले कई दिनों से तैयार हो रही है. प्रियंका गांधी ने एक निजी मीडिया को दिए इंटरव्यू में यह बात कहकर उन सारी अटकलों पर विराम लगा दिया है, जिनमें कहा जा रहा था कि अगर राहुल गांधी तैयार नहीं होते हैं, तो जिम्मेदारी प्रियंका गांधी को संभालनी चाहिए.
यही नहीं प्रियंका ने यह भी कहा कि गांधी परिवार के अलावा जो भी अध्यक्ष होगा, वह उनका बॉस होगा. अगर पार्टी अध्यक्ष कल मुझे कहते हैं कि मुझे तुम्हारी ज़रूरत उत्तर प्रदेश में नहीं, बल्कि अंडमान व निकोबार में है, तो मैं ख़ुशी से अंडमान व निकोबार चली जाऊंगी. प्रियंका गांधी के द्वारा दिए गए इंटरव्यू की यह बात उस समय सामने आई है जब एक ओर राजस्थान में सियासी घमासान का पार्ट 2 चल रहा है, वहीं कांग्रेस के 100 नेताओं द्वारा नए अध्यक्ष की प्रक्रिया शुरू करने के लिए लिखे गए खत की चर्चा जोरों पर है.
सचिन पायलट का बागी होकर जाना और इतने सम्मान से वापसी, इस पूरे सियासी घटनाक्रम का बहुत ही मामूली पहलू हो सकता है, लेकिन राजनीति संभावनाओं का खेल है. अगर अशोक गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो राजस्थान में कांग्रेस के भविष्य के लिए पायलट की वापसी जरूरी थी. राजनीति में सबकुछ संभव है.
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आइए अब समझने की कोशिश करते हैं, कांग्रेस के अंदर चल क्या रहा है
लोकसभा चुनाव के बाद से ही कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोडकर बैठे राहुल गांधी को हर सम्भव प्रयासों के बाद भी अध्यक्ष पद पर फिर से बैठने के लिए राजी नहीं किया जा सका है. यह अलग बात है कि सोनिया गांधी ने अगले अध्यक्ष के नहीं बनने तक अंतरिम अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रखी है. इसी बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी अपने बडे भाई राहुल गांधी की बात का समर्थन करते हुए कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर गांधी परिवार के अलावा किसी और कांग्रेस नेता को कमान सौंपी जानी चाहिए.
अब सवाल उठता है कि राहुल और प्रियंका गांधी अगले अध्यक्ष नही तो फिर कौन? कौन संभालेगा कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान? चर्चा है कि कांग्रेस के पास दो बडे नाम है, जिनपर विचार मंथन का दौर चल रहा है. इनमें नंबर वन पर अशोक गहलोत और नंबर टू पर मल्लिकाार्जुन खडगे और ज्यादा जोड़ें तो नंबर 3 पर गुलाम नबी आजाद का नाम चर्चा में आ सकता है. लेकिन बात करें राजनीतिक कौशल और अनुभव की तो यह दोनों नाम ही अशोक गहलोत के सामने बोने नजर आते हैं.
इधर ताजा सियासी हालातें पर नजर डालें तो अशोक गहलोत ने राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में जिस तरह से बीजेपी के आॅपरेशन लोटस को धूल चटाई है, वो कई मायनों में महत्वपूर्ण है. यही नहीं कर्नाटक चुनाव, पंजाब और अहमद पटेल के राज्यसभा के लिए निर्वाचन के मौके पर मुख्यमंत्री गहलोत अपनी राजनीतिक जादूगरी का लोहा मनवा चुके हैं. इसके आलावा बीजेपी के चाणक्य माने जाने वाले नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की राजनीति का तोड़ कांग्रेस में अगर किसी के पास है तो वो हैं अशोक गहलोत.
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इसके साथ ही बागी होकर सरकार को संकट में डालने वाले सचिन पायलट की जिस तरह से वापसी हुई है, उसे देखकर तो प्राथमिक तौर पर कहा जा सकता है कि सचिन पायलट की बात को तवज्जो दी गई है. चाहे प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे का हटाने का मामला हो या फिर तीन सदस्य कमेटी बनाने की बात हो. लेकिन कांग्रेस से जुडे सूत्र गांधी परिवार के इन कदमों का एक नया संकेत भी दे रहे हैं. अगर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राष्ट्रीय कांग्रेस की जिम्मेदारी देकर केन्द्र में भेजा जाता है तो राजस्थान में कांग्रेस की बागडोर सम्भालने के लिए सचिन पायलट से उपयुक्त नाम अभी दूसरा नजर नहीं आता है.
पिछले दिनों जो कुछ भी घटा उसमें अगर सचिन पायलट किसी भी रूप में अगर पार्टी से अलग हो जाते तो फिर राजस्थान में मुख्यमंत्री गहलोत के अलावा कोई और नेता पायलट की चुनौती को नहीं झेल सकता था. हां यह भी सम्भव है कि इतने बड़े घटनाक्रम के बाद अभी मुख्यमंत्री गहलोत के बाद मुख्यमंत्री के लिए सीधा सचिन पायलट का नम्बर नहीं लगे और लॉटरी किसी तीसरे की यानि कहें तो सीपी जोशी की लग सकती है.
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चूंकि कांग्रेस में इस समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सबसे ज्यादा अनुभवी नेता हैं. मुख्यमंत्री गहलोत तीन बार प्रदेश अध्यक्ष, तीन बार केबिनेट मंत्री, दो बार कांग्रेस महासचिव और तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. यही नहीं गांधी परिवार में विश्वास पात्र नेताओं की पहली श्रेणी के नेता हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास संगठन और प्रशासन दोनों चलाने का अनुभव है. ऐसे में सचिन पायलट की कांग्रेस में वापसी का एक बडा पहलू यह भी हो सकता है कि राजस्थान को कुछ समय बाद सचिन पायलट को संभाला दिया जाए और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिए जाएं.