पॉलिटॉक्स ब्यूरो. राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार को बने एक साल से ज्यादा का समय हो गया है. लेकिन सत्ताधारी कांग्रेस के मंत्री और विधायकों का प्रशासनिक अधिकारियों से तालमेल अभी तक नहीं बैठ पाया है. पिछले कुछ दिनों में इसके कई उदाहरण देखने को मिले हैं जब मंत्री या विधायकों ने प्रशासनिक अधिकारियों पर मनमानी करने के आरोप लगाए हैं. ऐसा ही एक उदाहरण बुधवार को शासन सचिवालय में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल की अध्यक्षता में चली राज्य स्तरीय बैठक में देखने को मिला, जहां सचिव या उससे ऊपर के अधिकारियों के नहीं पहुंचने पर मंत्री जी नाराज हो गए. गुस्साए मंत्रीजी ने यहां तक कह दिया कि अगर भविष्य में कभी ऐसा हुआ तो मीटिंग में बैठने नहीं दूंगा.
दरअसल, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल की अध्यक्षता में बुधवार काे सचिवालय में अनुसूचित जाति राज्य स्तरीय स्टीयरिंग कमेटी की बैठक आयोजित हुई. मंत्री मेघवाल द्वारा ली जा रही इस राज्य स्तरीय बैठक में कई विभागों के सचिव, प्रमुख सचिव और अतिरिक्त मुख्यसचिव नहीं पहुंचे. बैठक में अधिकारीयों के नहीं आने से मंत्री जी आग बबूला हो गये और गुस्साए मंत्री जी ने कहा कि भविष्य में हाने वाली राज्य स्तरीय बैठक में सचिव से नीचे के अधिकारी नहीं आने चाहिए. वहीं एक तुगलकी फरमान सुनाते हुए मंत्री जी ने कहा कि अगर इस तरह की बैठक में सचिव स्तर से नीचे के अधिकारी आ गए तो उन्हें बैठक में बैठने नहीं दूंगा.
अनुसूचित जाति राज्य स्तरीय स्टीयरिंग कमेटी की इस बैठक में अनुसूचित जाति उपयोजना के अन्तर्गत मौजूदा वित्तिय वर्ष के विभागवार प्रावधान और व्यय की समीक्षा की जानी थी. लेकिन बैठक में कई विभागों के अधिकारी बिना तैयारी के शामिल हुए. जिस पर नाराज मंत्री मेघवाल ने अधिकारियों को जमकर खरी खाेटी सुनाई. मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल ने अधिकारियों से कहा कि पूरी रिपाेर्ट मुझे हर हाल में अगके दस दिन में मिल जानी चाहिए.
बता दें, ऐसा पहली बार नहीं है जब सत्ता में बैठे मंत्री और विधायकों के प्रशासन में बैठे अधिकारियों से तालमेल नहीं होने की बात सामने आई हो. हाल में बीती 21 जनवरी को ही प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने जनसुनवाई के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों को बातों ही बातों में नसीहत देते हुए कहा कि लोकतंत्र में सबसे बड़ा जनप्रतिनिधि होता है जो चुनाव में जनता के द्वारा चुनकर आता है. कोई भी अधिकारी बिना सरकार या जनप्रतिनिधि को विश्वास में लिए काम करेगा तो वो डेमोक्रेटिक रूल्स रेगूलेसन के खिलाफ है और उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.
इसके आलाव पिछले महीने ही पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने अपने ही महकमे के अधिकारियों पर उनकी बात नहीं सुनने का और मनमानी करने का आरोप लगाया था. जिस पर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नाराजगी जाहिर की थी. वहीं बीते मंगलवार ही सरकार में मंत्री परसादी लाल मीणा ने ब्रह्मपुरी थानाधिकारी पर एफआईआर दर्ज नहीं करने और मंत्रीजी की नहीं सुनने की शिकायत मंत्री शांति धारीवाल से की थी.