पीसीसी में मंत्री धारीवाल की जनसुनवाई में मंत्री परसादी मीणा पहुंचे फरियाद लेकर, पुलिस पर लगाया FIR दर्ज नहीं करने का आरोप

सरकार के एक मंत्री को FIR तक करवाने के लिए अगर मुख्यमंत्री से प्रार्थना करनी पड़े तो फिर आम आदमी का क्या होता होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी मुख्यालय में होने वाली जनसुनवाई में मंगलवार को एक दिलचस्प नज़ारा देखने को मिला. दरअसल, पीसीसी में चल रही यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की जनसुनवाई के दौरान प्रदेश की कांग्रेस सरकार के ही उद्योग मंत्री परसादी लाल मीणा भी वहां कुछ फरियादियों के साथ पहुँचे. मंत्री परसादी लाल मीणा ने कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए पुलिस प्रशासन के खिलाफ लापरवाही की शिकायत यूडीएच मंत्री से की.

पार्टी मुख्यालय पर चल रही सरकार के मंत्री की जनसुनवाई में सरकार के ही दूसरे मंत्री को ऐसे फरियादियों के साथ आता देख एक बारकी तो सब हतप्रभ रह गए. पीसीसी जनसुनवाई में पहुँचे उद्योग मंत्री परसादी लाल मीणा ने यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को बताया कि उनके निर्वाचन क्षेत्र की एक महिला की मृत्यु के बाद उसके परिजन ब्रह्मपुरी थाने में मुकदमा दर्ज करने पहुंचे. लेकिन पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज नहीं किया गया. इस पर मृतका के परिजनों के साथ खुद उद्योग मंत्री परसादी लाल मीणा पीसीसी पहुँचे ओर ब्रह्मपुरी थाना पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज नहीं करने की शिकायत की.

इस पूरे मामले पर मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा की इस पूरे घटनाक्रम को लेकर वो बहुत जल्द मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलकर शिकायत करेंगे और पुलिस की कार्यशैली से उन्हें अवगत करवाएंगे. बता दें, मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ अशोक गहलोत प्रदेश के गृहमंत्री भी हैं, ऐसे में सरकार के एक मंत्री को FIR तक करवाने के लिए अगर मुख्यमंत्री से प्रार्थना करनी पड़े तो फिर आम आदमी का क्या होता होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.

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खैर, पीसीसी में हुई इस घटना पर पत्रकारों ने जब यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल से सवाल किया तो धारीवाल ने सवाल को कई बार टालने की कोशिश की, लेकिन जब अलग-अलग पत्रकारों ने यही सवाल किया तो भी धारीवाल टालते हुए लहजे में सिर्फ यही बोल पाए, “सब आते हैं शिकायत लेकर, चाहे छोटा हो बड़ा, हम शिकायत लेते हैं, वाजिब होती तो तुरंत लिखते हैं, उनकी शिकायत पर भी मैनें एसएचओ को लिखा है.” यहां मंत्री जी को समझना चाहिए कि पहली बात तो ऐसा हो ही क्यों कि फरियादी को पीसीसी में आना पड़े, सम्बंधित विभाग कार्यालय में ही मुद्दा क्यूं न निपट जाए. दूसरा मंगलवार को पीसीसी में जो हुआ वो शर्मिंदगी वाली बात है जिसे शायद यूडीएच मंत्री जी समझ नहीं पाए कि फरियाद लेकर आने वाला कोई आम आदमी नहीं बल्कि आपकी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता और आपकी सरकार के मंत्री हैं.

बता दें, ऐसा पहली बार नहीं है जब सत्ता में बैठे मंत्री और विधायकों ने प्रशासन में बैठे लोगों की कार्यशैली पर सवाल उठाएं हों, हाल में पिछले सप्ताह ही सवाई माधोपुर विधायक दानिश अबरार ने बजरी माफिया और पुलिस की साठगांठ का खुलासा किया था. इसके पिछले महीने पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने अपने ही महकमे के अधिकारियों पर उनकी बात नहीं सुनने का और मनमानी करने का आरोप लगाया था.

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गौरतलब है कि, राजस्थान में प्रदेश कांग्रेस कमेटी मुख्यालय पर पिछले कुछ महीनों से मंत्री स्तर की जनसुनवाई का कार्यक्रम चालू है. सत्ता और संगठन में बेहतर तालमेल हो आमजन की शिकायतों का निराकरण हो इसके लिए एआईसीसी के निर्देश पर प्रत्येक सप्ताह सोमवार से शुक्रवार मंत्री स्तर की सुनवाई होती है. जिसमें प्रदेश संगठन से जुड़े पदाधिकारी सहयोग करते है. प्रदेश भर के फरियादी अपनी समस्याओं के लेकर इस जनसुनवाई में पहुंचते हैं और अपनी शिकायतों से मंत्री को रूबरू करवाते हैं.

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