अयोध्या (Ayodhya) राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवादित भूमि के मामले में मंगलवार को 30वें दिन की सु​नवाई हुई. इस दौरान मुस्लिम पक्ष ने अपने पक्ष की अंतिम दलील सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की 5 सदस्यीय संविधान पीठ के सामने रखी. अपनी सभी दलीलों में हार्ड कोर दलीले पेश करने वाले मुस्लिम पक्ष अपनी अंतिम सुनवाई में न्यायधीशों के प्रश्नों का उत्तर तक न दे पाये. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि रामायण या रामचरितमानस में राम जन्मभूमि (Ram JanamBhumi) का जिक्र न होने से हिंदू आस्था प्रभावित नहीं होती और हिंदुओं को यह मानने से नहीं रोका जा सकता कि जन्मस्थान कहां पर है.

न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड ने ये टिप्पणी मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी (Zafaryab Jilani) की उस दलील पर की जिसमें जिलानी ने कहा था, ‘रामायण और रामचरितमानस में राम जन्म स्थान को लेकर कुछ नहीं कहा गया.’ न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने कहा कि किसी जगह का जिक्र किसी ग्रंथ में न होने का अर्थ यह नहीं है कि उस जगह का अस्तित्व ही नहीं.

न्यायमूर्ति ने कहा कि शहंशाह अकबर के दौर में लिखी गई किताब ‘आईने अकबरी’ में बाबरी मस्जिद का विवरण नहीं दिया गया. जबकि इस किताब में उस दौर की भारत की हर छोटी से छोटी बात का जिक्र है. फिर अयोध्या में मस्जिद का जिक्र उस किताब में क्यों नहीं है. इस सवाल पर वरिष्ठ अधिवक्ता जफरयाब जिला संविधान पीठ को सिवाय चुप्पी के कुछ नहीं दे पाए.

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने जिलानी से पूछा कि क्या वह इस बात पर बहस करना चाहते है कि अयोध्या में भगवान राम का जन्म नहीं हुआ. इस पर जिलानी ने जवाब देते हुए कहा कि ये तो बहस का विषय ही नहीं है. हम तो इतना कह रहे हैं कि जिस जगह ​मस्जिद थी, वह जगह जन्म स्थान नहीं है.

जब न्यायमूर्ति भूषण ने पूछा कि क्या वह ये मानते हैं कि जहां पर राम चबूतरा था, वही जन्म स्थान है तो जिलानी ने यू-टर्न लेते हुए कहा कि हां, हम ये मानते हैं क्योंकि पहले भी तीन बार अलग-अलग अदालतें यह कह चुकी हैं.

संविधान पीठ के अन्य सदस्य एस.ए.बोबडे और न्यायमूर्ति एस.अब्दुल नजीर ने जन्म स्थान को लेकर उपलब्ध तथ्यों पर भी सवाल करते हुए पूछा, ‘माना जाता है कि सीताकुंड से पश्चिम में 200 फुट की दूरी पर जन्म स्थान है. क्या आप हमें बता सकते हें कि वह जगह मस्जिद है या राम चबूतरा?’

जवाब देते हुए जिलानी ने कहा कि ये बता पाना बहुत मुश्किल है क्योंकि दोनों जगह एक दूसरे के अगल-बगल है.

पिछली सुनवाई के लिए पढ़ें यहां

अयोध्या मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी.

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