सिनेमा का सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहेब फालके सम्मान (Dada Sahab Phalke Award) इस बार अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) को देने का फैसला किया गया है. भारतीय फिल्म जगत के मौजूदा वातावरण में फिल्मों में सर्वाधिक सक्रिय योगदान देने वाले सबसे वरिष्ठ अभिनेता अमिताभ बच्चन ही हैं, जो इतने उम्रदराज होने के बावजूद फिल्मी पर्दे पर अपनी चमक बिखेर रहे हैं. अमिताभ बच्चन को फालके सम्मान दिए जाने की सूचना सबसे पहले सूचना एवं प्रसारण प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) ने एक ट्वीट के माध्यम से दी.

जावड़ेकर का ट्वीट है, अपने अभिनय के माध्यम से दो पीढ़ियों को प्रभावित करने वाले महान अभिनेता अमिताभ बच्चन को दादा साहेब फालके सम्मान देने का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया है. यह न केवल भारत बल्कि विश्व के लोगों के लिए प्रसन्नता का विषय है. अमिताभ बच्चन को मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई.

अमिताभ बच्चन को यह सर्वोच्च सम्मान उस समय मिला है, जब वह फिल्मों में अपनी स्वर्ण जयंती मना रहे हैं. 1969 में ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म से अमिताभ बच्चन की अभिनय यात्रा शुरू हुई थी. उसके बाद से वह लगातार फिल्मों काम करते रहे और अभी भी कर रहे हैं. सात हिंदुस्तानी फिल्म गोवा के स्वतंत्रता आंदोलन की पृष्ठभूमि पर बनाई गई थी, जो गोवा को पुर्तगालियों के शासन से मुक्त कराने के लिए चल रहा था. जब सात हिंदुस्तानी फिल्म बन रही थी, उसी समय उन्होंने मृणाल सेन की फिल्म भुवन शोम में अपनी आवाज दी थी. वह समानांतर हिंदी सिनेमा के शुरूआती दौर की फिल्म थी.

यह भी एक अच्छा संयोग है कि जब 1969 में अमिताभ बच्चन ने फिल्मों में प्रवेश किया, उसी वर्ष भारत सरकार दादा साहेब फालके को भारतीय फिल्मों के पितामह घोषित करते हुए उनका सम्मान कर रही थी. उसी साल दादा साहेब सम्मान की घोषणा हुई थी. दादा साहेब फालके ने भारतीय फिल्मों की नींव रखते हुए पहली बोलती फिल्म राजा हरिश्चंद्र बनाई थी, जो 1913 में प्रदर्शित हुई थी. पहले दादा साहेब सम्मान से देविका रानी को सम्मानित किया गया था, जो भारतीय फिल्मों की प्रथम महिला मानी जाती है.

अमिताभ बच्चन पिछले पचास साल से फिल्म जगत के आकाश में लगातार चमकते हुए सितारे हैं. उन्हें पहले चार राष्ट्रीय पुरस्कार और 15 फिल्मफेयर पुरस्कार मिल चुके हैं. विश्व में मनोरंजन के क्षेत्र में अमिताभ बच्चन ने अपनी मजबूत जगह बना रखी है. दादा साहेब फालके सम्मान के तहत अमिताभ बच्चन को स्वर्ण कमल और 10 लाख रुपए की पुरस्कार राशि से सम्मानित किया जाएगा.

अमिताभ बच्चन ने कभी किसी फिल्म का निर्देशन नहीं किया. उन्होंने एक बार अपनी फिल्म निर्माण संस्था बनाई थी, जिसमें उन्हें बहुत घाटा हुआ. उसके बाद से वह सिर्फ अभिनय ही कर रहे हैं. उनके खाते में कई फिल्में दर्ज हैं जो उन्हें सर्वश्रेष्ठ गुस्सैल और संवेदन अभिनेता साबित करती है. सात हिंदुस्तानी के बाद उनकी लगातार नौ फिल्में असफल रही थीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अभिनय के क्षेत्र में डटे रहे. 1973 में प्रकाश मेहरा की फिल्म जंजीर के प्रदर्शन से अमिताभ बच्चन का सितारा ऐसा चमका, जिसकी चमक अब तक कायम है.

1983 में अमिताभ बच्चन जब अपनी लोकप्रियता के चरम पर थे, उस समय मनमोहन देसाई की फिल्म कुली में मारधाड़ का सीन फिल्माते समय उनके पेट में एक टेबल से गंभीर चोट लग गई थी और पुनीत इस्सर का घूंसा लगने से यह स्थिति बनी थी. उस समय अमिताभ बच्चन को अस्पताल में भर्ती किया गया था. उनका जीवन संकट में देख देशभर के लोगों ने उनकी सलामती की दुआएं की थी. सामूहिक प्रार्थनाएं होने लगी थीं. लोगों की दुआओं का असर हुआ और उन्होंने खुद भी जीवट दिखाया, जिससे वह फिर स्वस्थ हो गए.

1984 में कांग्रेस ने अमिताभ बच्चन को इलाहाबाद से लोकसभा प्रत्याशी बना दिया था. उन्होंने उस समय के उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता हेमवंती नंदन बहुगुणा को अच्छे अंतर से हरा दिया था. चुनाव जीतने के तीन साल बाद अमिताभ बच्चन ने यह कहते हुए लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था कि राजनीति में आना उनकी भूल थी. उस समय बोफोर्स घोटाले में गांधी परिवार के साथ ही बच्चन का नाम भी लिया जाने लगा था. इससे वह बहुत आहत हुए थे.

राजनीति छोड़ने के बाद अमिताभ बच्चन फिर से फिल्मों सक्रिय हुए. फिर से उनका सिक्का चलने लगा. 1995 में उन्होंने अमिताभ बच्चन कॉर्पोरेशन लिमिटेड नामक कंपनी बनाई. फिल्म निर्माण और इवेंट मैनेजमेंट इस कंपनी का उद्देश्य था, लेकिन योजना और प्रबंधन में कमी होने से वह कंपनी बुरी तरह बिखर गई. यह अमिताभ बच्चन के जीवन के सबसे बुरा दौर था. वह अपनी कंपनी के कर्मचारियों को वेतन तक नहीं दे पाए थे. उनके मुंबई स्थित निवास और दिल्ली की जमीन नीलाम होने के कगार पर पहुंच गए थे. उस समय हाईकोर्ट से उन्हें राहत मिली और उन्हें कर्ज चुकाने की मोहलत मिल गई.

इसके बाद उन्होंने टीवी के पर्दे पर कौन बनेगा करोड़पति कार्यक्रम के जरिए प्रवेश किया और यश चोपड़ा ने उन्हें फ़िल्म मोहब्बतें से फिर मौका दिया. टीवी कार्यक्रम ने भी लोकप्रियता के झंडे गाड़े और मोहब्बतें फिल्म ने भी बॉक्स ऑफिस पर धूम बचाई. इसके बाद फिर से फिल्म जगत में अमिताभ बच्चन की जगह मुकम्मल हो गई. उन पर चढ़ा 90 करोड़ रुपए का कर्ज उतर गया और वह फिर से स्थापित हो गए. उसके बाद से उनका अभिनय का सफर जारी है.

Leave a Reply