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बीते एक महीने में विभिन्न राज्यों के तीन बड़े नेताओं सहित कई पूर्व मंत्रियों ने कांग्रेस का साथ छोड़ा है. अशोक चव्हाण एवं मिलंद देवड़ा जैसे दिग्गज नेता भी सत्ता की चाहत में कांग्रेस से लंबा रिश्ता छोड़ भारतीय जनता पार्टी की गोद में जा बैठे हैं. हालांकि दिग्गजों के पार्टी छोड़ने का ये सिलसिला यहीं थमने वाला नहीं है. सियासी बाजार से खबर आ रही है कि कांग्रेस के एक दर्जन से अधिक सांसद और 40 से अधिक विधायक एक चरणबद्ध तरीके से पार्टी छोड़ने वाले हैं. वहीं अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बीजेपी चुन चुनकर अन्य दलों से जुड़े नेताओं के लिए अपने द्वार खोल रही है. 2024 के आम चुनावों में 543 में से 370 सीटें जीतना बीजेपी का लक्ष्य है. इसी कड़ी में बीजेपी ने उन 161 सीटों की पहचान की हे जिन्हें वह जीतना चाहती है जिन पर ‘कमल’ अभी तक खिल नहीं पाया है.

पिछले लोकसभा चुनावों के ‘डाटा क्रंचिंग’ से पता चला है कि बीजेपी को इन सीटों को जीतने के लिए अन्य दलों के नेताओं की मदद की आवश्यकता होगी इसलिए अन्य दलों के नेताओं के प्रवेश की स्क्रीनिंग के लिए 4 सदस्यीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति की स्थापना की गयी थी ​जो उनके प्रवेश को हरी झंडी दिखाने के लिए ओवरटाइम काम कर रही है. समिति में केंद्रीय मंत्री भूपिंदर यादव, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेता एवं महासचिव विनोद तावड़े और संगठन महासचिव बीएल संतोष शामिल है.

समिति का ध्यान उन राज्यों पर है जहां बीजेपी की मजबूत उपस्थिति तो है लेकिन फिर भी वह उन सीटों को जीतना चाहती है जहां वह कमजोर स्थिति में है. महाराष्ट्र, असम, यूपी, जम्मू कश्मीर और मध्य प्रदेश जैसे राज्य बीजेपी में झोली में और सीटें जोड़ने के रडार पर हैं. बीजेपी कोर टीम को लगता है कि पार्टी 2019 की जीती गई सीटों को बरकरार रखने के साथ इन राज्यों में कम से कम 25 सीटें जोड़ सकती है. यूपी से स्वामी प्रसाद मौर्या एवं सलीम शेरवानी का सपा से इस्तीफा देना इसी रणनीति का हिस्सा है.

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मध्यप्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट उन 161 सीटों में से है जिन्हें बीजेपी दशकों से नहीं जीत पायी है. पंजाब, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, कर्नाटक, झारखंड और कुछ अन्य राज्य हैं जहां यदि अन्य दलों के मजबूत नेताओं को पार्टी में शामिल कर लिया जाए तो वह लोकसभा में 10 सीटें जोड़ सकती है. कोर कमेटी का ध्यान विशेष रूप से पंजाब पर भी है जहां ठीक से काम किया जाए तो पार्टी सभी 13 सीटें जीत सकती है. इसी रणनीति के तहत पंजाब के पूर्व सीएम एवं कद्दावर कांग्रेस नेता रहे कैप्टन अमरिंद सिंह और सुनील जाखड़ को शामिल किया गया.

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्य विशेष फोकस में हैं जहां बीजेपी तेदेपा और अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन करके कम से कम 15 सीटें जीत सकती है. शेष दक्षिण भाषी राज्यों में बीजेपी का लक्ष्य 10 से अधिक सीटें जीतने का है. राजस्थान में बीजेपी को ज्यादा उठा पटक करने की जरुरत नहीं है क्योंकि यहां बीजेपी को सभी 25 सीटों पर हैट्रिक जमाने की पूरी उम्मीद है. अब देखना रोचक होने वाला है कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के कितने बड़े नेता अपनी पार्टियों का हाथ छोड़ बीजेपी की वॉशिंग मशीनों में धुलने की तैयारी कर रहे हैं.

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