क्या फिर एक होगा मुलायम सिंह का यादव कुनबा? इस बार अखिलेश ने दिए संकेत

विधानसभा चुनावों में साथ आ सकते हैं अखिलेश-शिवपाल, शिवपाल के खिलाफ दाखिल याचिका को वापिस लेने की अपील कर अखिलेश ने दिए संकेत, मुलायम के घर साथ-साथ दिखाई दी थी चाचा-भतीजे की जोड़ी

Yadav Family
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पॉलिटॉक्स न्यूज/उत्तरप्रदेश. यूपी के सियासी गलियारों से खबर आ रही है कि आगामी विधानसभा चुनावों से पहले पूरा मुलायम कुनबा एक होने जा रहा है. प्रबल संभावना जताई जा रही है कि यादव परिवार में चाचा-भतीजे अपने सारे गिले-शिकवे भुलाकर एक होंगे. साथ ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपने चाचा शिवपाल यादव के साथ चुनाव लड़ते दिखाई देंगे और शिवपाल यादव की तरफ से अखिलेश यादव को सीएम उम्मीदवार बनाने में भी कोई दिक्कत नहीं है. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के अध्यक्ष शिवपाल यादव सांसद मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई हैं. यादव परिवार में हुए कुछ कार्यक्रमों को देखकर इस बात का संकेत मिलता है कि शिवपाल यादव फिर से अखिलेश से हाथ मिलाने को तैयार हैं और सपा ने भी शिवपाल यादव पर अपने तेवर नरम करते हुए इस बात के मजबूत संकेत भी दे दिए हैं.

दरअसल, 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले ही चाचा-भतीजे शिवपाल यादव व अखिलेश यादव के बीच खटास आ गई थी. शिवपाल ने सपा में रहते हुए जसवंतनगर से विधानसभा का चुनाव जीता. बाद में समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव के साथ मनमुटाव बढ़ने पर शिवपाल यादव ने अलग होकर अगस्त, 2018 में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना ली थी, लेकिन तकनीकी तौर पर वे सपा से ही विधायक हैं क्योंकि न तो उन्होंने सपा छोड़ी है और न ही अखिलेश ने उन्हें पार्टी से बाहर निकाला. अपने चाचा के रवैये से नाराज होकर सपा की ओर से विधानसभा में विपक्ष के नेता और सपा के वरिष्ठ नेता रामगोविंद चौधरी की ओर से दलबदल विरोधी कानून के आधार पर शिवपाल यादव की सदस्यता निरस्त करने के लिए विधानसभा सचिवालय को 4 सितंबर को ही पत्र लिखा गया था. लेकिन अब सपा की ओर से नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित को पत्र लिखकर याचिका को वापस लेने गुहार लगाई है.

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राम गोविंद चौधरी ने स्पीकर को लिखे पत्र में कहा, ‘आपके सम्मुख जो याचिका विचाराधीन है, उसमें पूरे प्रपत्र नहीं लगे हैं. शिवपाल यादव की सदस्यता समाप्त करने के लिए जो जरूरी प्रपत्र होते हैं, उसे हम आपके समक्ष प्रस्तुत भी नहीं कर सके हैं. इस कारण आपको (स्पीकर) निर्णय लेने में भी असुविधा हो रही है इसीलिए इस याचिका को वापस कर दिया जाए.’

सपा के इस कदम से शिवपाल यादव की पार्टी में वापसी की संभावना तेज हो गई है. वैसे सपा में शिवपाल के वापसी के संकेत उस समय से बढ़ गए थे, जब होली के मौके पर पैतृक गांव सैफई में दोनों एक मंच पर आए थे. इस दौरान अखिलेश ने शिवपाल के पैर भी छुए थे और शिवपाल ने अपने चचेरे भाई व सपा प्रमुख महासचिव रामगोपाल यादव के पैर छुए थे. उस दौरान प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव ने कहा कि उनकी पार्टी 2022 के विधानसभा चुनाव सपा से साथ मिलकर लड़ेगी.

उस दौरान शिवपाल ने कह कि उनकी पार्टी 2022 के विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ेगी. सपा से तालमेल पार्टी की प्राथमिकता है. प्रसपा आज भी मुलायम सिंह यादव के साथ है. पार्टी का उद्देश्य 2022 में प्रदेश में सरकार बनाना है. शिवपाल पहले ही सपा से गठबंधन करने व अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने की बात कह चुके हैं लेकिन वह अपनी पार्टी प्रसपा का सपा में विलय करेंगे या नहीं यह सवाल अभी बरकरार है. लेकिन सपा के हालिया कदम से तो यही लग रहा है कि दोनों एक साथ नहीं बल्कि एक ही पार्टी में मिलकर चुनाव लड़ेंगे.

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पिछले साल इटावा में एक कार्यक्रम के दौरान शिवपाल ने ‘यादव परिवार’ की एकता पर जोर देते हुए कहा था, ‘हम चाहते हैं नेता जी (मुलायम सिंह) के जन्मदिन (22 नवंबर) पर परिवार में एकता बढ़ जाए तो अच्छा है. हमारा प्रयास है भतीजा समझ लेगा तो सरकार बना लेगा. मुख्यमंत्री हमें तो बनना नहीं है.’ उन्होंने ये भी कहा कि हमारी प्राथमिकता है समाजवादी पार्टी, क्योंकि हमने बहुत लंबे समय तक नेताजी के साथ काम किया है. हमारी विचारधारा भी समाजवादी है. नेताजी के जन्मदिन के अवसर पर दोनों पार्टियां एकता के लिए आगे बढ़ें.

अभी हाल ही में दोनों चाचा-भतीजे एक साथ मुलायम सिंह यादव के घर पर भी दिखाई दिए थे. उस दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मुलायम सिंह यादव का हाल चाल जानने उनके घर पहुंचे थे. इससे पहले भी अखिलेश यादव ने शिवपाल को पार्टी में वापस आने का इशारों-इशारों में न्योता दिया था लेकिन बात आगे नहीं बढ़ सकी.

हाल में जिस तरह से शिवपाल यादव की कोशिशें चल रही हैं, उससे तो यही लग रहा है कि उन्हें भी सपा में शामिल होने की जल्दी है. वहीं प्रियंका गांधी जिस तरह से यूपी की राजनीति में एक्टिव हो चुकी हैं और चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण के राजनीतिक पार्टी के गठन के बाद जिस तरह यूपी की राजनीति में भूचाल आया है, उसे देखते हुए सपा प्रमुख और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी वि.स.चु. से पहले चाचा-भतीजे की जोड़ी फिर से मजबूत करने में पीछे नहीं हटेंगे.

यादव परिवार के चाचा-भतीजा की ये जोड़ी यूपी विधानसभा चुनावों में क्या मैजिक करेगी, ये तो बाद में पता चल ही जाएगा लेकिन दोनों की नजदीकियों से मायावती की नीदें उड़ गई होंगी. वैसे भी मायावती रावण के राजनीति में अधिकारिक प्रवेश करने को लेकर पहले से ही चिंताग्रस्त हो चुकी हैं.

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