Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान में कांग्रेस को तो मणिपुर में बीजेपी को अपना दमखम दिखाना है. राजस्थान में अशोक गहलोत की अगुवाई में तो मणिपुर में एन. बीरेनसिंह के नेतृत्व की सरकार को बहुमत साबित करना है. राजस्थान में 14 अगस्त को तो मणिपुर में आज विशेष सत्र बुलाया गया है. मणिपुर में आज राज्य सरकार को विश्वास मत का सामना करना है.
सीएम एन. बीरेनसिंह सिंह विश्वास प्रस्ताव पेश करेंगे. विश्वास मत में राज्य में बीजेपी नीत गबठंधन सरकार के भाग्य का फैसला होगा. बीजेपी और कांग्रेस ने क्रमश अपने 18 और 24 विधायकों को व्हिप जारी करते हुए विधानसभा में मौजूद रहने और पार्टी लाइन के मुताबिक मत देने के लिए कहा है.
खास रोचक बात यह है कि मणिपुर विधानसभा में सरकार और विपक्ष, दोनों की ओर से एक ही प्रस्ताव पेश किया गया है. बीजेपी सरकार ने बहुमत साबित करने के लिए तो विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने भी बहुमत साबित करने का प्रस्ताव पेश किया है.
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क्या है मणिपुर का मामला
राज्य में बीजेपी सरकार उस समय संकट में आ गई थी जब उपमुख्यमंत्री वाई जॉय कुमार सिंह, बीजेपी के 3 बागी विधायक, तृणमूल कांग्रेस का 1 और 1 निर्दलीय के अलावा एनपीपी के कोटे से 4 मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था. कुल मिलाकर 9 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था. कांग्रेस ने इन 9 विधायकों को अपने पक्ष में ले लिया और सेक्युलर प्रोग्रेसिव फ्रंट नाम से एक गठबंधन बना लिया था.
राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल सदस्यों की संख्या 59 है. बीजेपी के पास 23 विधायकों का समर्थन है. इसमें से 18 बीजेपी, नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के 4 और 1 एलजेपी का विधायक हैं. कांग्रेस का दावा था कि उसके फ्रंट के पास के पास 29 विधायकों का समर्थन है. इसमें से कांग्रेस के 20, एनपीपी के 4, बीजेपी के 3 बागी, टीएमसी का 1 और 1 निर्दलीय विधायक हैं.
भाजपा नेताओं ने भागादौड़ी कर सरकार से इस्तीफा देने वाले नेशनल पीपुल्स पार्टी के 4 मंत्रियों को लेकर दिल्ली पहुंचे. उन्हें अमित शाह से मिलाया और फिर से समर्थन के लिए राजी कर लिया. मणिपुर में 60 सदस्यीय विधानसभा में तीन विधायकों के इस्तीफे और दल-बदल कानून के तहत चार विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद अब सदन में 53 विधायक हैं.