दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी ने पदभार संभाल लिया है. यहां उन्होंने राम राज्य की पठकथा लिखते हुए सीएम हाउस में एक कुर्सी खाली रखते हुए अपनी अलग कुर्सी रखवाई और आसान ग्रहण किया. दूसरी शब्दों में कहा जाए तो उन्होंने केवल एक कार्यवाहन मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण किया है. साथ ही साथ यह संदेश भी दिया कि अगर आगामी विधानसभा चुनाव में अगर आम आदमी पार्टी फिर से सत्ता में आती है तो अरविंद केजरीवाल एक बार फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री बनेंगे. आतिशी के इस कृत्य पर बीजेपी ने इसे रिमोट कंट्रोल वाली सरकार बताया और आतिशी को चापलूस. हालांकि आतिशी ने जो भी किया है, आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल का मान रखते हुए उनकी सौंपी गई जिम्मेदारी को बिना किसी ना-नुकुर स्वीकार किया है.
नई नवेली सीएम आतिशी के कहे अनुसार, ‘जैसे राम के वनवास जाने के बाद भरत ने खड़ाऊं रखकर अयोध्या का सिंहासन संभाला, मैं उसी तरह दिल्ली CM की कुर्सी संभालूंगी. 4 महीने बाद दिल्ली के लोग केजरीवाल को फिर से इसी कुर्सी पर बैठाएंगे. तब तक ये कुर्सी इसी कमरे में रहेगी और केजरीवाल जी का इंतजार करेगी.’ आतिशी ने ऐसा कहते हुए न केवल अपनी पार्टी के मुखिया का मान सम्मान बनाए रखा है. साथ ही साथ जनता के मन में यह भी घर कर दिया है कि दिल्ली का अगला सीएम एक बार फिर से अरविंद केजरीवाल ही होगा.
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दिल्ली शराब नीति केस में 13 सितंबर को जमानत पर बाहर आने के बाद अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद आतिशी को दिल्ली का नया सीएम नियुक्त किया गया और उन्होंने 5 मंत्रियों के साथ शपथ ली. हालांकि आप पार्टी में मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जैसे वरिष्ठ नेता भी मौजूद हैं लेकिन दोनों आबकारी नीति में जेल जा चुके हैं. ऐसे में आतिशी को साफ सुधरी छवि होने का फायदा मिला है. आतिशी (43) दिल्ली की सबसे युवा (43 साल) सीएम हैं. इससे पहले अरविंद केजरीवाल 45 साल की उम्र में दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे. आतिशी बतौर महिला सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के बाद दिल्ली की तीसरी महिला सीएम हैं.
सीएम पद संभालने के बाद आतिशी ने ये भी कहा कि भगवान श्रीराम ने एक वचन को निभाने के लिए 14 साल का वनवास स्वीकार किया, इसीलिए हम भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहते हैं. उनकी जिंदगी हम सबके लिए मर्यादा और नैतिकता की एक मिसाल है. बिल्कुल उसी तरह अरविंद केजरीवाल ने इस देश की राजनीति में मर्यादा और नैतिकता की एक मिसाल कायम की है. उसी तरह से आने वाले 4 महीने के लिए मैं दिल्ली सरकार चलाऊंगी. आतिशी ने ये भी कहा कि अगले चुनाव तक मेरे पास सिर्फ दो काम हैं. पहला- दिल्ली के लोगों की भाजपा के षड्यंत्र से रक्षा करना. दूसरा- केजरीवाल को फिर से सीएम बनाना.
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आतिशी के अलावा सौरभ भारद्वाज, गोपाल राय, कैलाश गहलोत, इमरान हुसैन और मुकेश अहलावत ने मंत्री पद की शपथ ली. कैबिनेट में मुकेश अहलावत एकमात्र नया चेहरा हैं. आतिशी कालकाजी सीट से तीन बार की विधायक हैं. सीएम आतिशी ने शिक्षा, PWD और वित्त समेत 13 विभाग अपने पास रखे. सौरभ भारद्वाज को हेल्थ समेत 8 प्रमुख विभाग का जिम्मा दिया गया है.
अगला दिल्ली चुनाव अग्निपरीक्षा
अगले साल जनवरी में 70 सीटों पर होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के लिए अग्निपरीक्षा साबित होंगे. देशभर में मोदी लहर के बावजूद 2015 से आम आदमी पार्टी दिल्ली में लगातार सत्तारूढ़ है. केजरीवाल लगातार तीन बार मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी निभा चुके हैं. एंटी इनकमबेंसी का खतरा तो है ही, सरकार में केजरीवाल सहित अन्य वरिष्ठ नेता कई मामलों में जेल की हवा खा चुके हैं. इन सभी को भ्रष्टाचारी कहकर विपक्ष संबोधित कर रहा है.
हालांकि ऐसे नाजुक वक्त में केजरीवाल ने पद से इस्तीफा देकर एक मास्टर कार्ड खेला है और जंतर मंतर पर जनता की अदालत बैठाकर जनता के मन में सहानुभूति का पासा फेका है. अब इंतजार इस बात का रहेगा कि केजरीवाल का मास्टर कार्ड एक बार फिर बाजी पलट देता है या आतिशी का कथित ‘राम राज्य’ केवल एक अवधारणा से भरा कथन ही साबित होने जा रहा है.