Politalks.news/Rajysabha. संसद भवन को इस देश के ‘लोकतंत्र का मंदिर’ कहा जाता है. संसद भवन के दो सदन राज्यसभा और लोकसभा जो की दो स्तम्भ हैं. मगर इस चार दीवारी में अगर कोई भी असंसदीय घटना घटित होती है तो वह देश की जनता में एक गलत संदेश पहुँचाने का काम करती है. कुछ ऐसा ही नजारा कल संसद के उच्च सदन राज्यसभा में देखने को मिला. जब किसान आंदोलन पेगासस जासूसी मामले को लेकर सरकार पर हमलावर विपक्ष सदन के बीच महासचिव की मेज पर जा बैठा. हद तो तब हो गई जब एक सांसद ने टेबल पर चढ़कर रूलबुक चेयर की तरफ फेक दी. यह नजारा चौंकाने वाला था. इस घटना को लेकर बुधवार को राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने पर उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने दुःख जताया और भावुक हो गए. नायडू ने कहा कि कल इस सदन की सारी पवित्रता तबाह हो गई. साथ ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने के बाद कहा कि,’मुझे दुख है कि इस बार अपेक्षा के अनुरुप काम नहीं हुआ. मानसून सत्र में केवल 22 फीसदी ही काम हो पाया’
सांसद ने किया सदन की गरिमा को तार तार
संसद के मानसून सत्र के प्रारम्भ से ही विपक्ष बढ़ती महंगाई को लेकर सरकार पर हमलावर है फिर वो लोकसभा हो या राज्यसभा. 19 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र में एक दिन भी ऐसा नहीं निकला जब सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से चली हो. लेकिन मंगलवार को राज्यसभा में पक्ष और विपक्ष की तकरार के बीच लोकतंत्र के मंदिर में एक शर्मसार करने वाली घटना सामने आई. कृषि कानूनों का विरोध कर रहे विपक्षी दलों जिनमें मुख्यतः कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वाम दल और आम आदमी पार्टी के सांसदों ने मंगलवार को सभी हदें पार करते हुए महासचिव की मेज पर चढ़कर उस पर कब्जा कर लिया और जोरदार नारेबाजी की. इतना ही नहीं हंगामा करने वाले सांसदों में से कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा टेबल पर चढ़ गए और उन्होंने आसान की ओर रूल बुक भी फेंकी. कांग्रेस सांसद की ये हरकत सदन की गरिमा के खिलाफ थी जिसके बाद सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई.
राज्यसभा में जो हुआ उससे हुई सदन की पवित्रता तबाह- नायडू
बुधवार को जब राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो इस पुरे मसले पर उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने दुःख व्यक्त किया और इस दौरान नायडू भावुक भी हो गए. नायडू ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि ‘संसद में जो हुआ, उससे मैं बहुत दुखी हूं. कल जब कुछ सदस्य टेबल पर आए, तो सदन की गरिमा को चोट पहुंची और मैं पूरी रात नहीं सो पाया. इस घटना ने सदन की पवित्रता को तबाह कर दिया है’. वैंकेया नायडू ने विपक्ष को आगाह किया कि, ‘आप सरकार को इस बात के लिए फोर्स नहीं कर सकते कि वो क्या करे, क्या नहीं?’. वहीं विपक्ष के भारी हंगामे के बीच मंगलवार को लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई. वहीं, वेंकैया नायडू के संबोधन के दौरान राज्यसभा की कार्यवाही भी शोर-शराबे की वजह से दोपहर 12 बजे तक के लिए टालनी पड़ी. इसके बाद कार्यवाही फिर से शुरू हुई. बता दें कि संसद का मानसून सत्र 13 अगस्त तक ही चलना है.
लोकसभा की कार्यवाही हुई अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने के बाद मीडिया से कहा कि, ’17वीं लोकसभा का 6वां सत्र आज सम्पन्न हो चुका है लेकिन इस सत्र में अपेक्षाओं के अनुरुप सदन का कामकाज नहीं हुआ. सदन में जो हुआ उसे लेकर मेरे मन में दुख है’. ओम बिरला ने कहा कि, ‘मेरी हमेशा यही कोशिश रहती है कि सदन में अधिकतम कामकाज हो, विधायी कार्य हो और जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हो. सभी संसद सदस्यों से अपेक्षा रहती है कि हम सदन की कुछ मर्यादाओं को बनाए रखें. हमारी संसदीय मर्यादाएं बहुत उच्च कोटि की रही हैं. तख्तियां और नारे हमारी संसदीय परंपराओं के अनुरुप नहीं हैं’. ओम बिरला ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि, ‘इस बार सदन में लगातार गतिरोध रहा और ये गतिरोध समाप्त नहीं हो पाया’.
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चेयर की तरफ रूल बुक फेंका जाना दुर्भाग्यपूर्ण- मेघवाल
वहीं प्रताप सिंह बाजवा द्वारा राज्यसभा में रूल बुक चेयर की ओर फाड़ कर फेकें जाने पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि, ‘ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोई भी माननीय सांसद (प्रताप सिंह बाजवा) रूल बुक लेकर चेयर पर फेंके और अधिकारियों की टेबल पर चढ़े. ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण नज़ारा है, अगर वो इसपर सफाई देते हैं तो ये और भी ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण होगा’.
जो घटना राज्यसभा में हुई उसकी निंदा के लिए नहीं है शब्द- पटेल
तो वहीं केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा कि, ‘उच्च सदन राज्यसभा में गिरावट लगातार जारी है. कांग्रेस वहां नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में है लेकिन फिर भी वह सदन को नहीं चलने दे रहा. मंत्री के हाथ से कागज़ छीनकर फाड़े गए, और कल तो आसन्दी पर पुस्तकें फेंकी गई, जिसकी निंदा के लिए शब्द नहीं हैं’.
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क्या हुआ था राज्यसभा में
बता दें कि मगलवार दोपहर 2 बजे दोपहर के भोजन के बाद जब राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई तब कृषि से सम्बंधित समस्यों और उनके समाधान को लेकर सदन में चर्चा शुरू हुई. चर्चा के दौरान इस मसले पर कई सांसदों ने अपनी बात रखी लेकिन विपक्ष लगातार तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ सदन में नारेबाजी कर रहा था. जब उक्त मुद्दे पर बीजद नेता प्रसन्ना आचार्य ने भी हंगामे के बीच अपनी बात रख रहे थे तभी विरोध कर रहे सदस्यों में से एक सांसद प्रताप सिंह बाजवा महासचिव की मेज पर चढ़ गए और नारेबाजी करते रहे. इस दौरान बाजवा ने वहां रखी रूल बुक उठा कर आसन की तरफ फेंक दी. इस हंगामे के दौरान विपक्षी दल के नेताओं ने ‘जय जवान, जय किसान’ के नारे भी लगाए. इसके साथ ही तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग की. जिसके बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई.