‘मिशन-25’ के तहत राजस्थान की सभी सीटों पर जीत का दावा करने वाली बीजेपी भले ही मोदी के नाम पर वोट मांग कर एकजुटता का दावा करे, लेकिन बीकानेर में पार्टी का यह दावा खोखला साबित होता नजर आ रहा है. प्रदेश में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा होने के बावजूद वसुंधरा राजे ने बीकानेर में चुनाव प्रचार से पूरी तरह से दूरी बनाए रखी. वसुंधरा की इस दूरी ने सियासी हल्कों में नई चर्चा को जन्म दे दिया है.
दरअसल, अर्जुनराम की गिनती प्रदेश के उन बीजेपी नेताओं में होती है, जिन्हें वसुंधरा के विरोधी खेमे और केंद्रीय नेतृत्व के नजदीक माना जाता है. केंद्र की राजनीति में अपने वरदहस्तों के चलते लगातार पायदान चढ़े अर्जुन के समर्थक भी उन्हें कभी मुख्यमंत्री तो कभी प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में भी मान रहे थे. राजस्थान में एकबारगी प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ के लिए उस वक्त उन्हें संभावित माना गया था जब अशोक परनामी को प्रदेशाध्यक्ष से हटाया गया और 75 दिन तक नया अध्यक्ष नहीं बन पाया.
इस दौरान जोधपुर के गजेंद्र सिंह शेखावत भी दावेदारों में शामिल थे. राजे ने जोधपुर में प्रचार से भी दूरी बनाए रखी, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत के उनके सामने चुनाव लड़ने और राजपूत मतदाताओं के साथ ही क्षेत्र में वसुंधरा के प्रभाव को देखते हुए आलाकमान के दखल के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान राजे जोधपुर गईं. हालांकि यहां भी वे अलग से प्रचार करने की बजाय रोड शो तक ही सीमित रहीं.
वहीं, बीकानेर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा तय होने के बाद माना जा रहा था कि वसुंधरा राजे बीकानेर आएंगी, लेकिन राजे मोदी की सभा में भी बीकानेर नहीं आईं. ऐसे में कहीं ना कहीं इन कयासों को बल मिला कि राजे की अर्जुन मेघवाल से अदावत अब भी कायम है. इसका बीकानेर के चुनाव परिणाम पर क्या असर होगा, इसकी चर्चा सियासी गलियारों में हो रही है.
यही नहीं, वसुंधरा राजे के विश्वस्त माने जाने वाले नेताओं में शुमार देवी सिंह भाटी पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं. जिले के अन्य राजे समर्थक नेता भी पूरी तरह से चुनाव प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं. राजनीतिक चर्चा तो यहां तक भी है कि खास व्यक्ति ने बीकानेर में कुछ लोगों को खास निर्देश भी दिए हैं. जिसके बाद प्रदेश की राजनीति में अपना चेहरा चमकाने की हसरत रखने वाले बीजेपी नेताओं ने पूरी तरह से चुनाव में औपचारिकता तक ही खुद को सीमित कर लिया है.
बीकानेर पूर्व से विधायक सिद्धी कुमारी पहले नामांकन और बाद में मोदी की सभा में मंच पर ही नजर आईं. खाजूवाला के पूर्व विधायक डॉ. विश्वनाथ मोदी की सभा में ही नजर आए, वहीं बीकानेर नगर विकास न्यास के पूर्व चैयरमैन महावीर रांका ने तो अर्जुन से दूरी बनाने के लिए पूरी तरह से खुद को श्रीगंगानगर में निहालचंद के चुनाव में व्यस्त कर लिया. हालांकि पार्टी ने उन्हें वहां भेजा ऐसा कुछ नहीं है.
वहीं, कुछ और नेता भी पूरे चुनाव प्रचार से दूर ही रहे हैं. अब यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि अर्जुन मेघवाल से राजे की अदावत क्या गुल खिलाती है. लेकिन इतना तय है कि पार्टी में अंसतोष और मेघवाल से राजे की दूरी की बात में कुछ सच्चाई तो जरूर है.