पॉलिटॉक्स न्यूज. कर्नाटक में 4 सीटों के लिए राज्यसभा चुनाव होने हैं. चारों सांसदों का कार्यकाल आगामी 25 जून को समाप्त हो रहा है. चुनाव 19 जून को होगा. ऐसे में राज्यसभा की इन सीटों पर दावेदारी को लेकर सत्ताधारी बीजेपी की तरफ से टिकट को लेकर जबरदस्त लॉबिंग शुरु हो गई है. सरकार में शामिल कुछ विधायकों की नाराजगी के चलते मुख्यमंत्री येदियुरप्पा की चिंता भी बढ़ती जा रही है. इसी सिलसिले में पार्टी के कई दिग्गज नेताओं ने मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा से मुलाकात की है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक विधानसभा में विधायक उमेश कट्टी ने भी मुख्यमंत्री से मुलाकात की है.
उमेश कट्टी अपने भाई रमेश कट्टी को राज्यसभा भेजने की दावेदारी ठोक रहे हैं. साथ ही सरकार में खुद के मंत्री पद को लेकर भी सीएम येदियुरप्पा से कटे कटे से हैं. हाल में उन्होंने 20 विधायकों को अपने आवास पर डिनर पर भी बुलाया था जिसके बाद येदियुरप्पा के भी कान खड़े हो गए हैं. कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बीजेपी विधायकों के संपर्क में होने के बयान के बाद उमेश कट्टी का दावा पहले से कहीं मजबूत हो गया है. इसके बाद भी येदियुरप्पा ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं.
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दरअसल, उमेश कट्टी की निगाहें वर्तमान राज्यसभा सांसद प्रभाकर कोरे की सीट पर हैं. वहीं खुद प्रभाकर कोरे भी दोबारा राज्यसभा पहुंचने के मूड में हैं. मुश्किल ये आन खड़ी हुई है कि उमेश पार्टी के वरिष्ठ सदस्य हैं और आठ बार के विधायक एवं पूर्व मंत्री हैं. मंत्रीमंडल के गठन के बाद से ही वे इस बात से नाराज हैं कि वरिष्ठता के नाते भी उन्हें राज्य के कैबिनेट में भी कोई जगह नहीं दी गई. दूसरी ओर, कांग्रेस और जेडीएस छोड़कर बीजेपी की मदद करने वाले विधायकों को बीएस येदियुरप्पा सरकार में जगह दी गई है. उमेश कट्टी का दावा इतना भी कमजोर नहीं है. ऐसे में माना जा रहा है कि प्रभाकर कोरे की खाली हो रही सीट को लेकर खींचतान बढ़ सकती है.
हालांकि सत्ताधारी दल कोर कमेटी की अहम बैठक के बाद नाम फाइनल कर सकता है. वैसे बीजेपी की तरफ से एक सीट पर तेजस्विनी अनंतकुमार और दूसरी सीट पर सामाजिक कार्यकर्ता सुधा मूर्ति का नाम फाइनल किए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं. तेजस्वनी बीजेपी के दिग्गज नेता रहे दिवंगत अनंत कुमार की पत्नी हैं. अगर ऐसा होता है तो उमेश कट्टी की नाराजगी कई मायनों में सीएम येदियुरप्पा और बीजेपी सरकार पर भारी पड़ सकती है.
वहीं प्रभाकर कोरे की सीट के अलावा कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राजीव गौड़ा और बीके हरिप्रसाद एवं जेडीएस के कुपेंद्र रेड्डी की सीट भी खाली होगी. कांग्रेस की तरफ से मल्लिकार्जुन खड़गे, वीरप्पा मोइली और केएच मुनियप्पा संभावित उम्मीदवार हैं. बीके हरिप्रसाद भी लाइन में हैं. हालांकि कांग्रेस के पास एक ही सीट आएगी. ऐसे में मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम फाइनल माना जा रहा है. फिर भी आखिरी फैसले में जाति और समुदाय का गणित ही निर्णायक साबित होगा.
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इधर, जेडीएस की तरफ से पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा उम्मीदवार हो सकते हैं. हालांकि बीते लोकसभा चुनाव में हार के बाद वो कह चुके हैं अब सक्रिय राजनीति का हिस्सा नहीं रहेंगे. लेकिन दशकों से कर्नाटक की राजनीति की केंद्रीय धुरी बने रहे देवेगौड़ा के लिए माना जा रहा है कि राज्यसभा का टिकट देकर उनकी राजनीति में बैकडोर एंट्री कराई जा सकती है.
अब आते हैं संख्या बल की गणित पर. कर्नाटक विधानसभा में कुल 224 सीटें हैं. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के पास इस वक्त विधानसभा में 117 विधायक हैं. इतनी सीटों के दम पर वो राज्य की दो राज्यसभा सीटें आसानी के साथ जीत सकती है. कांग्रेस के पास 68 और जेडीएस के पास 34 विधायक हैं. दो सीटें निर्दलीय और दो सीटें खाली हैं. अंकगणीत के हिसाब से एक सीट के लिए 56 वोटों की जरूरत होगी. ऐसे में बीजेपी के खाते में दो और कांग्रेस के खाते में एक सीट का आना पक्का है.
कांग्रेस की मदद से एक सीट जेडीएस के खाते में भी जाना तय है. ऐसे में सीएम येदियुरप्पा के साथ साथ कांग्रेस के लिए भी चिंता होना स्वभाविक है. हालांकि कांग्रेस से ज्यादा चिंता येदियुरप्पा को होगी क्योंकि यहां उमेश कट्टी सहित अन्य विधायकों की नाराजगी उनकी सरकार लेकर डूब सकती है जैसा कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार के साथ पिछले साल हो चुका है.