Politalks.News/NarendraModi. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज 72 वां जन्मदिन है. इस खास मौके को और भी खास बनाने के लिए लिए और देश को अपने जन्मदिन के मौके पर रिटर्न गिफ्ट देने के लिए चीतों की सौगात दी है. देश में चीतों के 70 साल के सूखे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ख़त्म कर दिया है. नामीबिया से विशेष विमान से भारत लाए गए 8 चीतों में से 3 चीतों को आज पीएम मोदी ने मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ दिया है. इस दौरान पीएम मोदी ने चीतों के पिंजरे का लिवर खींचने के बाद खुद पिंजरों से बाहर निकले चीतों की तस्वीरें लीं. चीतों को छोड़ने के बाद पीएम मोदी ने देश के नाम एक संदेश भी दिया. पीएम मोदी ने कहा कि, ‘समय का चक्र हमें अतीत को सुधारकर नए भविष्य के निर्माण का मौका देता है. आज सौभाग्य से हमारे सामने एक ऐसा ही क्षण है. दशकों पहले जैव विविधता की जो कड़ी टूट गई थी, आज उसे जोड़ने का हमें मौका मिला है. आज भारत की धरती पर चीता लौट आए हैं.’ इस दौरान पीएम मोदी ने बिना नाम लिए विपक्ष पर भी निशाना साधा.
नामीबिया से भारत आए चीतों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा. इसके बाद पीएम ने देश के नाम एक संदेश में कहा कि, ‘मैं हमारे मित्र देश नामीबिया और वहां की सरकार का भी धन्यवाद करता हूं जिनके सहयोग से दशकों बाद चीते भारत की धरती पर वापस लौटे हैं. ये दुर्भाग्य रहा कि हमने 1952 में चीतों को देश से विलुप्त तो घोषित कर दिया, लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक कोई सार्थक प्रयास नहीं हुआ. आज आजादी के अमृतकाल में अब देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है. ये बात सही है कि, जब प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण होता है तो हमारा भविष्य भी सुरक्षित होता है. विकास और समृद्धि के रास्ते भी खुलते हैं. कुनो नेशनल पार्क में जब चीता फिर से दौड़ेंगे, तो यहां का ग्रासलैंड इकोसिस्टम फिर से रिस्टोर होगा, बायोडाइवर्सिटी और बढ़ेगी.’
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देश एवं प्रदेश की जनता से अपील करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि, ‘कुनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीतों को देखने के लिए देशवासियों को कुछ महीने का धैर्य दिखाना होगा, इंतजार करना होगा. आज ये चीते मेहमान बनकर आए हैं, इस क्षेत्र से अनजान हैं. कुनो नेशनल पार्क को ये चीते अपना घर बना पाएं, इसके लिए हमें इन चीतों को भी कुछ महीने का समय देना होगा. अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन्स पर चलते हुए भारत इन चीतों को बसाने की पूरी कोशिश कर रहा है. आज 21वीं सदी का भारत, पूरी दुनिया को संदेश दे रहा है कि इकॉनमी और इकोलॉजी कोई विरोधाभाषी क्षेत्र नहीं है. पर्यावरण की रक्षा के साथ ही, देश की प्रगति भी हो सकती है, ये भारत ने दुनिया को करके दिखाया है.’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, ‘जब हम अपनी जड़ों से दूर होते हैं तो बहुत कुछ खो बैठते हैं. इसलिए आजादी के इस अमृतकाल में हमने अपनी विरासत पर गर्व और गुलामी की मानसिकता से मुक्ति जैसे पंचप्राणों के महत्व को दोहराया है.’
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वहीं इसके बाद पीएम मोदी ने मध्यप्रदेश के श्योपुर में स्वयं सहायता समूह सम्मेलन में भी शिरकत की. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि, ‘आज के दिन आम तौर पर मेरा प्रयास रहता है कि मैं मेरी मां के पास जाऊं, उनके चरण छूकर आशीर्वाद लूं. लेकिन आज मैं मां के पास नहीं जा सका, लेकिन मध्य प्रदेश के आदिवासी अंचल की, अन्य समाज की, गांव-गांव में मेहनत करने वाली लाखों माताएं आज मुझे यहां आशीर्वाद दे रही हैं. ये दृष्य आज मेरी मां जब देखेगी तो जरूर संतोष होगा कि भले बेटा आज यहां नहीं गया, लेकिन लाखों माताओं ने आशीर्वाद दिया है. मेरी मां को आज ज्यादा प्रसन्नता होगी.’