Politalks.News/Hyderabad. भारत की आजादी के एक साल से भी ज्यादा समय तक निजाम के अधीन पूर्वी हैदराबाद राज्य का आज 17 सितम्बर 1948 के दिन ही भारतीय संघ में विलय हुआ था. लेकिन इसे लेकर देश में सियासत अपने चरम पर है. तेलंगाना सरकार और केंद्र सरकार दोनों अपने अपने तरीके से इस दिवस को मनाने में जुटी है. तेलंगाना सरकार ने इस दिन को “तेलंगाना राष्ट्रीय एकता दिवस” का नाम दिया है. इसे मनाने के लिए तेलंगाना सरकार ने तीन दिवसीय उत्सव की घोषणा की है. तो वहीं केंद्र सरकार ने इसे ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ का नाम दिया है और इसके 75 साल पूरे होने पर सालभर कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है. इसी कड़ी में आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हैदराबाद पहुंच परेड ग्राउंड समारोह की शुरुआत की. इस दौरान आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि, ‘हैदराबाद पर आज भी निजामों का राज है. यहां की जनता को अब सिर्फ 13 महीने के लिए इसे झेलना होगा.’
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ के 75 साल पूरे होने के अवसर पर वर्षभर चलने वाले जश्न का उद्घाटन किया. इसके बाद अमित शाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर एक सेवा कार्यक्रम में भी शामिल होंगे. केंद्र ने ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ के 75 साल पूरे होने पर सालभर कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है. वहीं, राज्य सरकार ने निजाम शासन में पूर्ववर्ती हैदराबाद रजवाड़े का भारतीय संघ में 17 सितंबर, 1948 को किये गये विलय की याद में शुक्रवार से तीन दिन के लिए ‘तेलंगाना राष्ट्रीय एकीकरण दिवस हीरक जयंती समारोह’ मनाने का निर्णय लिया है. मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव एक कार्यक्रम में राष्ट्रध्वज फहरायेंगे और सलामी लेंगे. राज्य के मंत्री शनिवार को सभी जिला मुख्यालयों में ध्वजारोहण करेंगे.
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‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ के मौके पर आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ केंद्रीय अमित शाह ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए किया. बता दें, हैदराबाद के भारतीय संघ में शामिल होने के बाद देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने परेड ग्राउंड में तिरंगा लहराया था. अमित शाह ने कहा कि, ‘हैदराबाद की मुक्ति का श्रेय सरदार वल्लभ भाई पटेल को है. यदि सरदार पटेल नहीं होते, तो हैदराबाद को मुक्त कराने में कई और साल लग जाते. पटेल जानते थे कि जब तक निजाम के रजाकारों को हरा नहीं दिया जाता, तब तक अखंड भारत का सपना साकार नहीं होगा.’
सत्ताधारी पार्टी TRS पर निशाना साधते हुए अमित शाह ने कहा कि, ‘इतने साल बाद, इस भूमि के लोगों की इच्छा थी कि ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ को सरकार की भागीदारी से मनाया जाना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य की बात की है कि 75 साल बाद भी यहां शासन करने वाले वोट बैंक की राजनीति के कारण ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ मनाने का साहस नहीं जुटा पाए.’ कई लोगों ने चुनावों और विरोध प्रदर्शनों के दौरान मुक्ति दिवस मनाने का वादा किया, लेकिन जब वे सत्ता में आए, तो रजाकारों के भय से अपने वादों से मुकर गए.’
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अमित शाह ने आगे कहा कि, ‘आज हैदराबाद मुक्ति दिन मनाने का उद्देश्य स्पष्ट है कि इस मुक्ति आंदोलन की कहानी को नई पीढ़ी तक पहुंचाना है. मुक्ति संग्राम के नामी-अनामी अनेक योद्धाओं और शहीदों को जनमानस में पुनर्जीवित करके नई पीढ़ी को देश भक्ति की लौह जगानी है. अमित शाह ने आगे बड़ा बयान देते हुए कहा कि, ‘भारत को तो आजादी 1947 में मिल गई थी, लेकिन हैदराबाद पर आज भी निजामों का राज है. लेकिन अब यहां की जनता को सिर्फ 13 महीने के लिए इसे झेलना होगा.’