Politalks.News/Rajasthan/VishvendraSingh. जाट आरक्षण को लेकर पूर्व मंत्री व डीग-कुम्हेर विधायक विश्वेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री अशोक से मुलाकात की. पायलट कैंप के विधायक विश्वेंद्र सिंह (VishvendraSingh) को इसी कार्यकाल में बगावत के चलते मंत्री पद गंवाना पड़ा था. जाट समाज की आरक्षण संबंधी मांग के सिलसिले में उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) से व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात की और बताया गया है कि गहलोत की ओर से जल्द इस मामले पर उचित कार्यवाही करने का आश्वासन दिया गया है. लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट के बीच विश्वेंद्र सिंह का सीएम गहलोत से मुलाकात के राजनीतिक गलियारों में सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.
दरअसल सचिन पायलट गुट के सरकार से बगावत करने के बाद आए सियासी संकट के बीच विधानसभा सत्र शुरु किया गया था. इसके बाद से ही मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल की कवायद शुरू हो गई थी. मंत्रिमंडल फेरबदल को लेकर सीएम गहलोत की केंद्रीय नेताओं के साथ चर्चा भी हो चुकी थी. सरकार बचाने में अहम भूमिका निभाने वाले निर्दलीय, बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों को मंत्रिमंडल के साथ-साथ संसदीय सचिव और राजनीतिक नियुक्तियों में एडजस्ट करने की बात कही जा रही है.
मंत्रिमंडल फेरबदल-विस्तार को लेकर कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी अजय माकन और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की चर्चा भी हो चुकी है. लेकिन सरकार चाहकर भी मंत्रीमंडल विस्तार या फेरबदल नहीं कर पा रही है. इसकी प्रमुख वजह है कि एआईसीसी की ओर से गठित तीन सदस्यीय कमेटी के प्रमुख सदस्य अहमद पटेल लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे हैं और गुड़गांव के एक अस्पताल में भर्ती हैं. जब तक वे पूरी तरह ठीक नहीं हो जाते हैं, तब तक मंत्रिमंडल विस्तार के लिए इंतजार करना होगा. माना यही जा रहा है कि मंत्रिमंडल में विस्तार या फेरबदल अगले साल से पहले होने की संभावना काफी कम है.
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वर्तमान गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्ज़ा प्राप्त चार नेताओं की जगह खाली है. सरकार में सचिन पायलट, रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह के मंत्रिमंडल से बाहर होने के बाद बीते दिनों कैबिनेट मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल के निधन से भी मंत्रियों पद भरने की वजह महसूस की जा रही है. गहलोत कैबिनेट में फिलहाल 21 मंत्री हैं और 9 की जगह खाली है. इनमें भी ज्यादा संख्या राज्य मंत्रियों की है. चूंकि कैबिनेट में अधिकतम 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं, ऐसे में 9 सदस्यों को मंत्रीमंडल में शामिल किया जा सकता है जिनमें पायलट गुट के पूर्व मंत्रियों के साथ बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों को शामिल करने की पूरी पूरी संभावना है.
अब ऐसे माहौल में विश्वेंद्र सिंह का सीएम गहलोत से मिलना अपने आप में ही एक सियासी घटनाक्रम बताया जा रहा है. माना यही जा रहा है कि विश्वेंद्र सिंह लंबे समय से मुख्यमंत्री से मिलकर अपना रूख रखना चाह रहे थे. जाट आरक्षण के मुद्दे ने उन्हें इस मुलाकात का अवसर दे दिया. विश्वेंद्र सिंह को बगावत करने के चलते मंत्री पद से हाथ धोना पड़ गया था. सचिन पायलट को भी पीसीसी चीफ और पंचायतीराज मंत्री से हाथ धोना पड़ा था. अब विश्वेंद्र सिंह के मुख्यमंत्री से मुलाकात के साथ ही अब चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है कि क्या बगावत कर चुके पायलट खेमे के नेताओं को संभावित मंत्रिमंडल विस्तार में तरजीह मिलती है या नहीं.
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इससे पहले पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह भरतपुर-धौलपुर जाट आरक्षण मुद्दे के समर्थन में खुलकर सामने आ गए हैं. समाज की आरक्षण संबंधी मांग के सिलसिले में उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से शुक्रवार रात निजी मुलाक़ात की और सरकार से केंद्र सरकार को भरतपुर-धौलपुर जाट समाज को केंद्रीय सेवाओं में ओबीसी कैटेगरी में शामिल करवाने के लिए सिफारिश करने का आग्रह किया. सीएम गहलोत की ओर से जल्द इस मामले पर उचित कार्यवाही करने का आश्वासन दिया गया है. इस बात की जानकारी विश्वेंद्र सिंह ने खुद ट्वीट कर दी.
कल सीएम साहब @ashokgehlot51 से मिल कर भरतपुर एवं धौलपुर के जाट समुदाय की आरक्षण की मांग के मुद्दे पर चर्चा की ।
आशा करता हूं कि राज्य सरकार जल्द से जल्द इसके समर्थन में केन्द्रीय सरकार को पत्र भेजने का निर्णायक कदम उठायेगी ।
— Vishvendra Singh Bharatpur (@vishvendrabtp) November 21, 2020
विश्वेंद्र सिंह ने जाट आरक्षण की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1999 के दौरान जब जाट समाज को ओबीसी में शामिल किया था, तब भरतपुर-धौलपुर के जाट समाज को उसमें वंचित रखा गया था. जाटों को आरक्षण का हक़ दिलवाने के लिए समाज ने लंबा संघर्ष किया है. जाट समाज को लगभग तीन साल पहले सफलता भी मिली जब सर्वे होने के बाद समाज को राज्य में आरक्षण का लाभ मिला, लेकिन केंद्र में आरक्षण की अभी भी दरकार है.