Politalks.News/Punjab. लगता है कि कांग्रेस पार्टी अपने सबसे बुरे समय से गुजर रही है. लोकसभा चुनाव में पहले ही जनता कांग्रेस को गेंद बनाकर हवा में उड़ा चुकी है, अब रही सही कसर उसके अपने नेता पूरी करने में लग रहे हैं. गिने चुने राज्यों में कांग्रेस की सरकार रह गई है. कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में कांग्रेस नेताओं की बगावत के कारण सरकारें हाथ से निकल गई हैं. राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष रहे सचिन पायलट की मेहरबानी से गहलोत सरकार अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही है.
अब बचा कांग्रेस शासित पंजाब राज्य, तो यहां भी सरकार और संगठन के मुखियाओं के खिलाफ कांग्रेस नेताओं ने बगावत का झंडा लहरा दिया है. कांग्रेस के दो राज्य सभा सदस्य प्रतापसिंह बाजवा और शमशेर सिंह ढुलो ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बिगुल बजाने के साथ प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ के खिलाफ भी बगावती तेवर अपना लिए हैं.
कांगेस से राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने तीखे तेवर दिखाते हुए शुक्रवार को कहा कि अगर राज्य में पार्टी को बचाना है तो मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुनील जाखड़ को उनके पदों से हटाना होगा. बाजवा ने कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो कांग्रेस का पंजाब में वही हाल होगा जो पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर राय के बाद पश्चिम बंगाल में हुआ था.
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बता दें, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिह के खिलाफ पहला मोर्चा सांसद शमशेर सिंह ढुलो ने खोला. उसके बाद राज्सभा के दूसरे सांसद प्रताप सिंह बाजवा भी मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ खुलकर सामने आ गए. पंजाब कांग्रेस में खड़े हुए इस संकट से निबटने के लिए कई उपायों पर विचार किया जा रहा है. इसमें इन दोनों सांसदों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करना भी शामिल है. वहीं मुख्यमंत्री की केबिनेट के मंत्रियों ने जहरीली शराब मामले में अपनी ही सरकार की आलोचना को लेकर बाजवा तथा ढुल्लो को तुंरत कांग्रेस से बाहर करने की मांग की है.
दोनों सांसदों ने हाल ही में पंजाब में जहरीली शराब से हुई 113 लोेगों की मौत के बाद सरकार की आलोचना करते हुए मुख्यममंत्री की कार्यशैली पर प्रश्न खड़े किए थे.
सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि कांग्रेस ने नशे के खिलाफ काम करने का वादा जनता से किया था, लेकिन हो क्या रहा है. सरकार के बारे में आलाकमान को भी बताया लेकिन कुछ नहीं हुआ. हालांकि कांग्रेस के दोनों राज्यसभा सांसदों के विरोध के स्वर मुखर होने से पंजाब में कैप्टन की सरकार को कोई खतरा नहीं है लेकिन कांग्रेस से उठने वाली इतनी चिंगारी तो भाजपा के रणनीतिकारों के लिए बहुत है.